Friday 18 December 2015

साइकिल पर सवार अखिलेश सरकार


संदीप कुमार मिश्र : देश का सबसे बड़ा सूबा उत्तर प्रदेश...जहां है अखिलेश यादव की साइकिल सरकार। साइकिल इसलिए की अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल है।आपको याद हो तो अखिलेश यादव के साइकिल चलाने का करिश्मा ही था कि पुछले चुनाव में प्रचार अभियान के दौरान अखिलेश यादव साइकिल पर सवार होकर पूरे प्रदेश में समाजवाद का इकबाल बुलंद किया था,और बसपा के हाथी को पीछे छोड़ते हुए सत्ता की रेस में सबसे आगे निकलकर सत्ता के सिंहासन पर काबिज हुए थे...।

दरअसल साइकिल पर सवार अखिलेश सरकार ने पंजाब में शुरु हुए राष्ट्रीय साइकिलिंग प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे प्रदेश के 21 खिलाड़ियों को सिर्फ एक ही साइकिल मुहैया कराई है।दोस्तों लिखना इसीलिए पड़ रहा है,क्योंकि जो सरकार साइकिल से सत्ता पर काबिज हो सकती है,तो क्या एक साइकिल पर 21 खिलाड़ियों को सवार कर के मैडल भी हासिल कर सकती है क्या...?

सियासत और संस्कृति के सबसे बड़े सूबे में साइकिल को खासी अहमियत दी जाती है।जो अच्छी बात भी है,और इसीलिए अखिलेश सरकार ने यूपी को हरित और स्वच्छ बनाने के लिए सभी मुख्य जिलों और शहरों में साइकिल ट्रैक बनाने का निश्च लिया है..जिसपर करोड़ों रुपये खर्च किये जाने हैं। अपने साइकिल को गति देने के लिए ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सूबे के जिस भी जिले में जाते हैं वहां साइकिल जरुर बांटते हैं।जैसा की अभी हाल ही में गोरखपुर में देखने को मिला। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गोरखपुर में एक जनसभा को संबोधीत करने के बाद तकरिबन 4500 साइकिलों का वितरण किया ।

दरअसल अखिलेश सरकार की योजना प्रदेश भर में ढ़ाई लाख साइकिल बांटने की है,जिसमें एक लाख साइकिल बांटी भी जा चुकी है।ऐसा लेबर डिपार्टमेंट की रिपोर्ट कहती है।वहीं अन्य योजनाओं की बात करें तो सीएम अखिलेश यादव ने अपनी हाल की घोषणा में कहा है कि आगरा से इटावा तक की 134 किलोमीटर की दूरी पर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का साइकलिंग ट्रैक बनाया जाएगा।आपको बता दें कि इस ट्रैक योजना पर कुल लगभग 60 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी की गई है।इस योजना से एक तरफ जहां आगरा आने वाले विदेशी पर्यटकों को साइकिल से इटावा तक ले जाने के लाभ मिलेगा वहीं दूसरी तरफ इसका सीधा लाभ ये होगा कि आगरा के साथ-साथ इटावा भी अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर जगह बना लेगा जो समाजवाद का गृह जिला है ।

अब जब समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल ही है तो सियासी रैलियों में भी अखिलेश यादव आपको गाहेबगाहे साइकिल चलाते हुए नजर आ ही जाएंगे।यही वजह है कि पिछले कई सालों से सपा के आला नेता कभी स्कूल जाने वाली कन्याओं को साइकिल बांटते हैं तो कभी खेत-खलिहान में काम कर रहे गरीब किसानों को साइकिल दान करते रहे हैं।सरकार के साइकिल प्रेम की वजह से ही लखनऊ, इटावा, सैफई और इलाहाबाद में साइकिल ट्रैक का निर्माण किया जा चुका है साथ ही नोएडा, वाराणसी और आगरा में साइकिल ट्रैक के लिए भूमि अधिग्रहण किया जा चुका है।इस पूरी योजना में सबसे खास बात ये है कि ट्रैक अन्य सड़कों से अलग नजर आये इसके लिए लाल रंग से ट्रैक को बनाया गया है। जिसपर विवाद ना हो इसलिए सीएम अखिलेश ने पहले ही सफाई देते हुए कह दिया कि लाल रंग के साइकिल ट्रैक का पार्टी की टोपी और झंड़े के लाल रंग से कोई लेना-देना नहीं है।लेकिन सियासत तो साब होगी ही ना...!

ऐसे में आप बताईए कि अफसोस क्यों ना हों जब साइकिल पर सवार यूपी सरकार पंजाब में शुरु हुए 68वें राष्ट्रीय साइकिलिंग प्रतियोगिता में प्रदेश से हिस्सा ले रहे 21 धावकों के लिए राज्य सरकार ने महज एक साइकिल ही उपलब्ध कराई हो। मजे की बात तो ये है कि इन खिलाड़ियों को जो एक साइकिल  भी दी गई है वो भी सेकेंड हैंड है। और तो और साइकिल भी कोई रेसिंग साइकिल न होकर एक सामान्य साइकिल ही है।


अंतत  : साब इसे आप चिराग तले अंधेरा नहीं तो और क्या कहेंगे।कि जो सरकार खुद तो साइकिल पर सवार होकर समाजवाद का इकबाद बुलंद होने की बात कह रही है उसी सूबे के 21 खिलाड़ी एक ही साइकिल पर सवार होकर मैडल जीतने की कोशिश। 

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