Wednesday 6 January 2016

करणी माता मंदिर : करणी माता हैं बीकानेर की कुल देवी


संदीप कुमार मिश्र :  आस्थाओं और मान्यताओं का देश भारत।जहां के कण कण में देवी देवताओं का वास है।जहां आस्थाऐं हमारे विश्वास को मजबुत करती हैं,तो वहीं मान्यताऐं हमें एक दुसरे से जोड़नें का काम करती है।तो आईए आपको दर्शन करवाते हैं ऐसे ही एक खास मंदिर के। जी हां दोस्तों राजस्थान का खूबसूरत शहर बीकानेर। जो सिर्फ अपने धार्मिक महत्व के कारण ही नहीं बल्कि अपनें प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है, और यहीं के देशनोक में स्थित है,माता करणी का मंदिर। जिसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।कहते हैं कि माता करणी बीकानेर की कुल देवी भी हैं।

राजस्थान जिसका कण कण हमें अपनी ओर आकर्षित करता है। करणी माता का मंदिर राजस्थान राज्य के ऐतिहासिक नगर बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गांव देशनोक की सीमा में स्थित है।जिसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी जाना जानता हैं।करणी देवी साक्षात मां जगदम्बा की अवतार मानी जाती हैं।कहते हैं साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है,वहां एक गुफा में रहकर मां अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं।यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है।

मां के ज्योर्तिलीन होने पर उनकी इच्छानुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना की गई। संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है।मंदिर परिसर में चूहों की धमाचौकड़ी देखती ही बनती है।चूहे पूरे मंदिर प्रांगण में मौजूद रहते हैं और वे श्रद्धालुओं के शरीर पर कूद-फांद करते हैं।लेकिन किसी को कोई नुक़सान नहीं पहुंचाते।चील, गिद्ध और दूसरे जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है।

इन चूहों की उपस्थिति की वजह से ही श्री करणी देवी का यह मंदिर चूहों वाले मंदिर के नाम से भी विख्यात है।ऐसी मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को यदि यहां सफ़ेद चूहे के दर्शन होते हैं,तो इसे बहुत ही शुभ माना जाता है।सुबह के पांच बजे होने वाली मंगला आरती और शाम सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस यहां देखने लायक़ होती है।मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर नक़्क़ाशी को भी विशेष रूप से देखने के लिए लोग यहां आते हैं।चांदी के किवाड़, सोने के छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए यहां रखी चांदी की बड़ी परात भी देखने लायक़ है।

राजस्थान का करनी माता मंदिर जिसे मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है वो बीकानेर के देशनोक का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण का केंद्र है।कहा जाता है कि राव बीकाजी जो बीकानेर के निर्माता है उनको देवी करनी  माता से आशीर्वाद प्राप्त था।तब से देवी को बीकानेर राजवंश के संरक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है।बताया जाता है की राजा गंगा सिंह द्वारा 20 वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। ये मंदिर अपने चूहों के लिए  भी जाना जाता है।जिन्हें काबस कहा जाता है।ऐसा माना जाता है की इन चूहों में देवी के बच्चों की आत्मा होती हैं। जिन्हें चरण कहा जाता है।इन चूहों के प्रति यहां के लोगों में गहरी आस्था है।यहां के लोगों की ऐसी धारणा है की यदि कोई चूहा अगर किसी श्रद्धालु के पैर में चढ़ जाए तो उस व्यक्ति की मनोकामना बहुत जल्द पूरी होती है।इन चूहों को चढ़ावे के रूप में प्रसाद चढ़ाया जाता है।

मुख्यरूप से चूहों के इस मंदिर में हर एक तीर्थयात्री बड़े ही स्वतंत्र रूप से घुमता है।मंदिर की सबसे अच्छी बात ये है कि यहां हजारों की तादात में चुहे हैं लेकिन कभी भी प्लेग जैसी बिमारी की घटना यहां नहीं हुई जो किसी चमत्कार से कम नहीं है।पूरी दुनियाभर में ये एक अद्वितीय मंदिर माना जाता है। देश का अनुठा और बेहद खुबसुरत ये मंदिर,अद्भुत है।खास अवसरों पर इस मंदिर में भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है।ये मंदिर राजस्थान ही नहीं देश के अन्य प्रांत के साथ ही विश्वभर में अपनी ख्याती फैला चुका है।

एक खूबसूरत शहर बीकानेर।एक अलमस्त शहर बीकानेर।जहां के लोग अलमस्त और बेफिक्र होकर अपना जीवन यापन करते है।इसका कारण भी है।कहते हैं कि बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी अलमस्त स्वभाव के थे और यहां की कुलदेवी माता करणी है । जिनके दरबार में हर आमो-खास-अर्जी लगानें आता है।

करणी माता के दरबार में आनें के लिए हम ट्रेन और खुद के वाहन के साथ ही बस का भी सहारा ले सकते हैं।अपनें साधन से आनें वाले श्रद्धालु रास्तेभर राजस्थान की खूबसूरती का नजारा पा सकते हैं।वहीं ट्रेन का सफर भी खास होता है।

अंतत: करणी माता मंदिर में पहुंचकर श्रद्धालू दरबार की भव्यता को देखकर आनंदित हो उठते हैं। यहां आने वाले भक्तों के आश्चर्य का ठिकाना तब और नहीं होता जब वो मंदिर में चूहों को अठखेलियां करते हुए देखते हैं।ऐसी आस्था,श्रद्धा और भक्ति निश्चिततौर पर कहीं और नहीं देखनें को मिल सकती।ऐसे में साथियों जब भी समय मिले तो आप भी हो जाईए बीकानेर...।


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