Monday, 12 October 2015

नवरात्र में अखंड ज्योति


संदीप कुमार मिश्र: सनातन धर्म में या सूं कहें कि हमारे हिन्दू धर्म में यज्ञ,हवन,पूजा पाठ और हर प्रकार के शुभ अवसर पर ज्योत का महत्व बढ़ा जाता है।खास कर नवरात्र में अखंड ज्योति जलाई जाती है। नवरात्रि में माता दुर्गा के समक्ष नौ दिन तक अखंड ज्योति जलाई जाती है।यह अखंड ज्योति माता के प्रति बमारी अखंड आस्था का प्रतीक स्वरुप होती है।अखंड ज्योत इसलिए भी जलाई जाती है कि जिस प्रकार विपरीत परिस्थितियों में छोटा सा दीपक अपनी लौ से अंधेरे को दूर भगाता रहता है,उसी प्रकार हम भी माता की आस्था का सहारा लेकर हम भी अपने जीवन को अंधकार को दूर कर सकते हैं।पौराणिक मान्यानुसार "मंत्र महोदधि" में कहा गया है कि-" दीपक या अग्नि के समक्ष किए गए जप का साधक को हजार गुणा फल प्राप्त होता है"

कहा जाता है-
दीपम धृत युतम दक्षे, तेल युत: च वामत:।

अर्थात घी युक्त ज्योति को जगत जननी जगदम्बा के दाहिनी ओर और तेल युक्त ज्योति देवी मां के बाईं ओर रखनी चाहिए।
मां दुर्गा के समक्ष अखंड ज्योत् पूरे नौ दिनों तक अखंड रहनी चाहिए।जिसके लिए हम एक छोटे दीपक का प्रयोग कर सकते हैं।जब भी अखंड ज्योति में धी डालने की आवश्यकता हो या फिर बत्ती ठीक करनी हो,या फिर गुल झाड़ना हो तो छोटा दीपक  अखंड दीपक की लौ से जलाकर अलग रख लें और यदि अखंड दीपक को ठीक करते हुए ज्योत बुझ जाए तोे छोटे दीपक की लौ से अखंड ज्योत पुन: जलाई जा सके। एक बात का अवश्य ध्यान रखें की छोटे दीपक की लौ को धी में डूबोकर ही रखें।
इस प्रकार से मां दुर्गा की कृपा आप पर बनी रहेगी और आपकी आराधना पूर्ण होगी।दोस्तों जगतजननी मां जगदम्बा की कृपा आप पर सदैव बनी रहे,इसी कामन के साथ ।। जय माता दी।।


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