आठवीं देवी महागौरी पार्वती ने इस भूलोक में ऋद्धि सिद्धि प्राप्त करने के लिए एक सिद्धकुंजीका स्तोत्र की रचना की,जिसके
नित्य पाठ से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मां दुर्गा की कृपा
पाने के लिए सबसे सरल और सुगम माध्यम है सिद्धकुंजीका स्तोत्र
जो इस प्रकार है-
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र
शिव उवाच-
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत् ॥१॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥२॥
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ ३॥
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥४॥
अथ मंत्र:-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।"
॥ इति मंत्रः॥
"नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥१॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि ॥२॥
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व में ।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ॥३॥
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ॥ ४॥
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणि ॥५॥
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥६॥
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥७॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ॥ ८॥
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्र सिद्धिं कुरुष्व मे ॥
इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे ।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत् ।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥
। इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।
।।ऊं तत्सत्।।
कहते हैं जो साघक इस मंत्र को नित्य ही देवी दुर्गा का ध्यान करके पढेगा।
उसको इस संसार में धनधान्य समृद्धि और सुख शांति के अलावा सभी प्रकार के निर्भय जीवन व्यतीत करने के सुख साधन मिलेंगे।यह एक गुप्त मंत्र है।ऐसा कहा जाता हैं
कि इस मंत्र के पाठ से मारण मोहन वशीकरण स्तम्भन और उच्चाटन जैसे उद्देश्यों की भी पूर्ति होती है।जय
माता दी।
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