Wednesday, 28 October 2015

गोवर्धन पूजा:प्रकृति प्रेम की अनूठी मिसाल


संदीप कुमार मिश्र: दोस्तों जगमगाते दीओं की रात क्या आती है साथ लेकर आती है ढेर सारी खुशियां और उत्साह।हर कोई इस रोशनी के त्यौहार से लबरेज नज़र आता है।हर किसी की यही चाहत रहती है,कि ये त्यौहार हम रोज मनाते रहें।दीपावली के दूसरे दिन ही होती है गोवर्धन पूजा।जिसे देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दीवाली के दूसरे दिन भी दिए जलाए जाते हैं,और घर का हर कोना रोशन हुआ नज़र आता है।इस दिन होती है घऱों में गोवर्धन पूजा।इस दिन गोवर्धन पूजा के साथ साथ अन्नकूट की भी  पूजा होती है। गोवर्धन पूजा के साथ ही अन्नकूट का भी बड़ा ही महत्व है हमारे जीवन में।हमारे देश में हर एक त्यौहार अपने साथ लेकर आता है ढेर सारी खुशियां।परिवार,समाज, देश और दुनियां में ये खुशियां बरकरार रहे।इसके लिए भी कामनाएं की जाती हैं।दीवाली के दूसरे दिन की जाती है गोवर्धन पूजा।गोवर्धन पूजा का ये पर्व भी जुड़ा है हमारी धार्मिक आस्था और सर्वजनहिताय  की कामना के लिए।कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पर्व मनाया जाता है।इसी दिन बलि पूजा, अन्नकूट और मार्गपाली उत्सव मनाए जाते हैं।अन्नकूट और गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से आरम्भ हुई।इस दिन गाय ,बैल पशुओं को स्नान कराके उनकी पूजा की जाती है और हाथ से मिठाईयां खिलाई जाती हैं।और फिर इनकी आरती भी उतारी जाती है।पूजा करने के लिए एक नियम यह भी है कि गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है।जल,मौली, रोली चावल , दही और तेल का दीपक जलाकर इनकी पूजा और अराधना की जाती है और इसके बाद की जाती है गोबर के बनाए गए पर्वत की परिक्रमा।कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को भगवान श्री कृष्ण को नैवेद्य और भोग लगाया जाता है।अन्न से बने कच्चे और पक्के भोग ,मिठाईंयां  भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित की जाती हैं।अन्नकूट जिसका मतलब है अन्न का ढेर । भागवत पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस दिन पूजा को पूरे परिवार ,मित्रों के साथ मिलकर करता है।उसका घर हमेशा अन्न और धन से भरा रहता है।उस घर में कोई कमी नहीं आती।

हमारे भारतीय लोक जीवन में इस त्यौहार की अहम भमीका हैं।गोवर्धन जो कि नाम से ही स्पष्ट है गो धन।गाय वो धन है जो हमे मीठा दूध तो देती ही हैं साथ ही इसके दूध से बनाए जाते है स्वादिष्ट  मीठे पकवान। हम गाय को मां का दर्जा देते हैं।गाय को देवी लक्ष्मी मां का रूप माना गया है।जैसे देवी लक्ष्मी मां हम सबको सुख समृद्धि प्रदान करती है,उसी तरह गौ मात भी अपने दूध से हमें स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती है।गौ के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट करने के लिए गोवर्धन पूजा की जाती है।ब्रज में तो दूध का अर्घ्य देने का भी नियम है।अन्नकूट या गोवर्धन पूजा का ये पर्व है तो बड़ा ही प्राचीन,लेकिन जब श्रीकृष्ण ने अवतार धारण किया तब से इसका महत्व और बढ़ गया।भगवान श्रीकृष्ण ने ही गोवर्धन पूजा शुरू की।ब्रजवासी तो इस त्यौहार को बडी ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।इस त्यौहार का धार्मिक महत्व तो है ही,साथ ही ये त्यौहार हमारी प्रकृति से भी जुड़ा हुआ है।गोवर्धन पूजा हमें संदेश देती है कि हमें अपनी प्रकृति को कैसे संभाल कर रखना चाहिए।क्योंकि इससे ही हमारा भरण पोषण होता है।प्राकृतिक संसाधनों को संभाल कर रखें और इनकी देवताओं के सामान पूजा करें।तभी प्रकृती का संतुलन बना रहेगा।

कहते हैं भगवान हमें जिस हाल में रखे हमें उसी हाल में रहना चाहिए और खुशी खुशी जीवन यापन करना चाहिए।हमें निरतंर काम करते जाना और फल की इच्छा नहीं रखनी है जो कर्तव्य हमें भगवान ने सौंपा है उसे पूरी शिद्धत से निभाना चाहिए।इन्द्र को इस बात का अहंकार हो गया था कि वो बारिश करवाते हैं।तभी भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्रदेव को  एहसास करवाया कि वो ऐसा करके कोई कृपा नहीं करते।ये तो उनका कर्तव्य है जो भगवान ने उन्हें सौंपा है और प्रकृती का संतुलन बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है।इन्द्रदेवता के अहंकार को भगवान कृष्ण ने तोड़ा और इन्द्र की पूजा को बंद करके उसके स्थान पर गोवर्धन की पूजा का प्रारम्भ किया।श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों के इस भ्रम को दुर किया कि  गोवर्धन पूजा के दिन इन्द्रदेवता की पूजा  पर ही  हमारी खेती निर्भर है और इन्द्र देवता ही वर्षा करके उनके खेतों में अन्न पैदा करते है।जिससे उनके पशुओं को चारा मिलता है।श्रीकृष्ण ने गोवर्धन रूप धारण कर ये पूजा स्वयं ग्रहण की ,जिससे इन्द्रदेव कुपित हो गए और मुसलाधार वर्षा की।तब नंद के लाल श्रीकृष्ण ने सभी ब्रजवासीयों,गोप गोपियों, पशु पक्षियों  को बचाने के लिए,उनके प्राणों की रक्षा के लिए जगत के पालनहार श्रीकृष्ण ने अपनी सबसे छोटी ऊंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया और लोगों को इस मुसलाधार वर्षा से निजात दिलवाई।साथ ही इन्द्र के अहंकार को तोड़ा।श्रीकृष्ण के स्मरण के लिए गोवर्धन पूजा का ये दिन खास होता है।सभी ब्रजवासी सात दिन तक गोवर्धन पूजा करते हैं और उनकी शरण में रहतें हैं।ब्रजवासियों पर एक बूंद तक नहीं गिरी थी,भगवान की इस लिला से इन्द्र बड़े लज्जित हुए और श्री कृष्ण से क्षमा याचना मांगी।श्री कृष्ण ने सातवे दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर ब्रजवासियों से कहा कि वो हर वर्ष गोवर्धन पर्व को मनाएं और अन्नकूट का ये पर्व मनाने से आपका घर धन धान्य से परिपूर्ण रहेगा। तभी से लेकर आज तक इस धार्मिक पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है।

अन्नकूट जो नाम से ही स्पष्ट है,अन्न का ढेर। हर साल मनाए जाने वाले अन्नकूट पर्व की वल्लभ कुल के सम्प्रयायों के मंदिरों में बड़ी धूम रहती है।इस सम्प्रदाय में तो मंदिरों में बड़े बड़े आयोजन किए जाते हैं और इसकी शुरूआत दशहरे से ही हो जाती है।इन 21दिनों में अलग अलग तरह के पकवान बनाए जाते हैं।हर दिन भगवान को भोग लगाकर सभी को बांट दिया जाता है।अन्नकूट का ये आयोजन गोवर्धन पूजा के लिए ही किया जाता है।भगवान श्री कृष्ण ने  गोवर्धन भक्ति , शक्ति , रहस्य , चमत्कार का ये पर्व शुरू किया था।माना जाता है कि इस दिन कृष्ण के साक्षात् दर्शन होते हैं।गोवर्धन में दीपावाली के दूसरे दिन श्रद्धालु कन्हैया के रंग में रंगने के लिए ब्रज जाते हैं।ये पर्व हमें प्रकृति की रक्षा करने का भी संदेश देता है।श्री कृष्ण प्रकृति प्रेमी थे।इन्द्र के अहंकार तोड़ने के पीछे यही मकसद था कि ब्रजवासी प्रकृति से प्रेम करें और अपने पर्यावरण को बचाएं।उसकी रक्षा करें,तभी जीव और जीवन दोनो की रक्षा हो सकेगी।

एक तरफ जहां ब्रज में गोवर्धन पूजा की धूम मची रहती है, वहीं आज के दिन ब्रज में दूध का अर्घ्य  दिया जाता है।गोवर्धन पूजा का नियम है कि इस दिन गोवर्धन पूजा जरूर करनी चाहिए। जिस भी तरह से आप पूजा करें ,श्री कृष्ण खुश हो जाते हैं।भगवान श्री कृष्ण खुद कर आपकी अराधना पूजा को स्वीकार करते हैं।लोग अपने गोधन की पूजा करते हैं और गोवंश की सुरक्षा करने का प्रण लेते हैं।मंदिरों में गोवर्धन का प्रतिक्रमा बनाकर पूजा तो की ही जाती है साथ ही परिक्रमा लगाई जाती है।सब्जियों और अन्न को मिलाकर अन्नकूट बनाया जाता है।भगवान को भोग लगाकर सभी को प्रसाद बांटा जाता है।इस पर्व को मनाने से गाय का तो कल्याण होता ही है।इससे पुत्र , पौत्रादि की सुख प्राप्ति होती भी होती है।कहते हैं कार्तिक महीने में जप..तप...होम ..अर्चना करने का विशेष महत्व है।


मित्रों कहते हैं कि जो गोवर्धन पूजा के दिन खुश रहता है,वो पूरे साल खुश रहता है,गोवर्धन , अन्नकूट से आपके घर भरे रहें।आप खुशहाल जीवन जियें और श्रीकृष्ण जी आप सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें।इसी हार्दिक शुभकामना के साथ...संदीप कुमार मिश्र..।

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