।।जय माता दी।।
संदीप कुमार मिश्र (संकलनकर्ता) : नवरात्र में मां दुर्गा की साधना से अनेकानेक प्रकार की
सिद्धियां प्राप्त होती है।मनोकामनापूर्ति के लिए साधक दुर्गा सप्तशती के सिद्ध
मंत्रों का जाप करते है और मनचाहा फल प्राप्त करते हैं।
आईए जानते हैं कौन से वो मंत्र और क्या है जाप करने का विधान- मनोकामनाओं को
पूर्ण करने वाली हैं मां दुर्गा । नवरात्रि के प्रतिपदा के दिन घटस्थापना करने के
बाद साधक को संकल्प लेकर नित्यक्रीया से निवृत होकर पवित्र मन से मां दुर्गा की
मूर्ति या फोटो की पंचोपचार या दक्षोपचार या फिर षोड्षोपचार से गंध, पुष्प, धूप दीपक नैवेद्य
निवेदित कर पूजा करें। ध्यान रखें साधक यानी की भक्तों का मुख पूर्व या उत्तर दिशा
की ओर ही रहना चाहिए।
इस क्रिया को करने के बाद साधक को शुद्ध-पवित्र आसन ग्रहण करना चाहिए और तुलसी,चंदन
या रुद्राक्ष की माला से मंत्र का जाप
करना चाहिए। जाप की संख्या एक माला से पांच माला तक हो सकती है।जिसे पूर्ण करने के
बाद अपनी मनोकामना को माता के सामने कहें। यकीन मानिए पूरी नवरात्रि जाप करने से
आपकी कामना अवश्य पूरी होगी।
इन मंत्रों का जाप
विधिविधान से करने से हम मां दुर्गा के कृपापात्र तो बनते ही हैं साथ ही हमारे सभी
मनोरथ पूर्ण होते हैं।
अब जानते हैं सभी
मनोकामनाओं की पूर्ती करने वाले मंत्र कौन से हैं-
*सर्वकल्याणकारी मंत्र-
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
* सौभाग्य एवं आरोग्य प्राप्ति के लिए-
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥
* बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए-
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
* सुलक्षणा पत्नी प्राप्ति के लिए-
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्ग संसारसागस्य कुलोद्भरवाम्।।
* दरिद्रता नाश के लिए-
दुर्गेस्मृता हरसि भतिमशेशजन्तो: स्वस्थैं: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दरिद्रयदुखभयहारिणी कात्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।।
* शत्रु नाश के लिए-
ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टायनां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वाम् कीलय
बुद्धिम्विनाशाय ह्रीं ॐ स्वाहा।।
* सर्वविघ्ननाशक मंत्र-
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यस्यखिलेशवरी।
एवमेय त्वया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्॥
* ऐश्वर्य प्राप्ति एवं भय मुक्ति मंत्र-
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥
* विपत्तिनाशक मंत्र-
शरणागतर्दिनार्त परित्राण पारायणे।
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥
* स्वप्न में कार्य-सिद्धि के लिए-
दुर्गे देवी नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।
ये सभी मंत्र दुर्गा सप्तशती से लिए गए हैं।जो जगत के लिए कल्याणकारी है।इन
सिद्ध मंत्रों के साथ ही भक्तों को संपूर्ण दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए।मां
बड़ी दयालू हैं अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती है।।जय माता दी।।
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