Saturday 6 February 2016

गोलू देव मंदिर: जहां पढ़ी जाती हैं अर्जीयां,चढ़ाई जाती है घंटियां


संदीप कुमार मिश्र: देव भूमि उत्तराखण्ड...जहां की मनोरम छटा के साथ ही भक्ति भाव पूर्ण वातावरण मन मोह लेता है।तभी तो पर्यटकों और श्रद्दालूओं का यहां तातां लगा रहता है।इसी पावन भूमि में मां गंगा हैं तो मंदाकिनी भी है...भगवान शिव हैं तो विष्णु भी हैं।पर्वतराज हिमालय हैं तो मंदिरों और लोक कथाओं की श्रृंखला भी है।ऐसे ऐसे मंदिर हैं जिनकी महिमा का बखान देश दुनिया के लोग बरबस ही करते रहते हैं।

दरअसल दोस्तों उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले में एक ऐसा अनोखा और अद्भूत मंदिर है जिसकी ख्याति विश्व के हर कोने में फैली हुई है।आपको बता दें कि अल्मोड़ा के चित्तई स्थित गोलू देव का प्राचिन मन्दिर है,जहां घंटियां चढ़ायी जाती है,यकिन मानिए कि इस मंदिर में इतनी घंटी चढ़ाई जाती है जितनी शायद विश्व के किसी भी मंदिर में नहीं चढ़ाई जाती। क सबसे अनोखी बात है गोलू देव मंदिर की कि इस मंदिर में भगवान के सामने लोग अर्जी लगाते हैं और भगवान इन अर्जीयों को पढ़कर उनकी मनोकामना पूरी करते हैं।कहते हैं यही बात गोलू देव मंदिर को सबसे खास बनाती है।

अल्मोड़ा के गोलू देव मंदिर की मान्यता की बात करें तो देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक में है। यही वजह है कि दूर-दराज से श्रद्धालु और सैलानी यहां खिंचे चले आते हैं।जब आप इस प्राचिन मंदिर में प्रवेश करेंगे तो आपको यहां अनगिनत घंटियां नजर आने लगेंगी। आप अंदाजा ही नहीं लगा पाएंगे कि इस मंदिर में कितनी घंटियां है।इन घंटियों का अंदाजा आज तक मन्दिर के लोग भी नहीं लगा पाए हैं। मंदिर में कदम रखते ही घंटियों की कतार शुरू हो जाती हैं।तभी तो जन सामान्य इस मंदिर को घंटियों वाला मन्दिर भी कह कर पुकारता है।

कहते हैं श्रद्धालू यहां मुरादें पूरी होने पर घंटियां चढ़ाते हैं।इन धंटियों को देक कर आप सोच सकते हैं कि यहां कितने भारी पैमाने पर लोगों की मुरादें पूरी हुई होंगी। खास बात है कि इन घंटियों को मन्दिर प्रशासन गलाकर, बेचकर या फिर दूसरे कार्यों में इस्तेमाल नहीं करता। बल्कि इसे भगवान की धरोहर मानकर सहेजा जाता रहा है।तभी तो इन घंटियों की संख्या का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है।अब आप इसे आस्था और विश्वास की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या कहेंगे...।

कहते हैं उत्तराखण्ड में न्याय के देवता हैं गोलू देवता।कहा जाता है कि जबह इंसान हर जगह से न्याय की आस छोड़ देता है तो गोलू देवता के दरबार में अर्जी लगाता है और उसे गोलू देवता तुरंत न्याय देते हैं।यही वजह है कि मंदिर में अर्जियां लगाने की परम्परा है। कोने-कोने से आये श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए बड़ी संख्या में अर्जियां लिखकर यहां टांग जाते हैं, जिन्हें मन्दिर में देखा जा सकता है।यही विश्वास भारतवर्ष का गौरव है।


अंतत: गोलू देवता के मंदिर में आने वाले लोग ,भक्त, श्रद्धालू या फिर पर्यटक हर कोई इस बात की तस्दीक करता है कि यहां अर्जीयां पूरी होती है...खैर जैसा विश्वास हमारे मन में होता है वैसा ही परिणाम भी हमे प्राप्त होता है। 

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