संदीप कुमार मिश्र: देश के सबसे बड़े और
प्रतिष्ठित शिक्षा के केंद्र जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में देश विरोधी नारों
ने धिरे-धिरे राष्ट्रव्यापी रुप ले लिया।एक तरफ इन नारों की सियासत में कुछ
देशप्रेमी निकलकर सामने आए तो कुछ पर देशद्रोह का मुकद्दमा दर्ज हुआ।लेकिन सवाल अब
भी वही है कि क्या वास्तव में असल देशद्रोही अपने सही ठिकाने पर पहुंच पाया...?दरअसल ये सवाल इसलिए
भी कि क्योंकि कन्हईया कुमार जिसपर देशद्रोह का मुकद्दमा दर्ज है,उसके साथ जो शख्स
था असल में देशविरोधी नारे वही लगा रहा था।वो शख्स कोई और नहीं उमर खालिद था।जिससे
सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर जेएनयू प्रशासन से इजाजत लेकर अफजल गुरु की शहादत
दिवस मना रहा था,और देशविरोधी नारे लगा रहा था।
नारे भी ऐसे कि किसी भी भारतीय का खून उबलने लगे साब...“पाकिस्तान जिंदाबाद” “गो इंडिया गो बैक” “भारत की बरबादी तक जंग रहेगी जारी” “कश्मीर की आजादी तक जंग रहेगी जारी” “अफ़ज़ल हम शर्मिन्दा है तेरे कातिल ज़िंदा हैं” “तुम कितने अफजल मरोगे, हर घर से अफ़ज़ल निकलेगा” “अफ़ज़ल तेरे खून से इन्कलाब आयेगा”....सुना आपने,किस
तरह से देश के सबसे बड़े शिक्षा के मंदिर में देश के सब्सिडि के रुपये-पैसे का शानदार
दुरुपयोग किया जा रहा था।
दरअसल छात्रसंघ के नेता कन्हैया की गिरफ्तारी के बाद देशभर
में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे है,हड़ताल भी जारी है,लेकिन तमाम उधेड़बुन और
जांच पड़ताल के बाद दिल्ली पुलिस की एक रिपोर्ट से यही लग रहा है कि देश के साथ
गद्दारी और देशविरोधी नारों का मास्टरमाइंड कोई और नहीं उमर खालिद है जो कि एक छात्र
नेता है और कन्हैया के साथ हर जगह साथ नजर आ रहा था।फिलहाल उमर खालिद का कोई
अतापता नहीं है कि वो कहां है।लेकिन पुलिस उसकी तलाश कई राज्यों मों कर रही है।
उमर खालिद...डेमोक्रेटिक स्टूडेंट
यूनियन का नेता है।सवाल उठता है कि आखिर क्या है, उमर का जेएनयू कनेक्शन ?आपको जानकर हैरानी
होगी कि जेएनयू में 9 फरवरी को हुए देशविरोधी नारों में उमर खालिद की ही अहम
भूमिका थी। इसी शख्स ने राजधानी दिल्ली के सबसे बड़े प्रतिष्ठित शिक्षा के मंदिर
में उस दिन भी अफजल गुरु की बरसी पर कार्यक्रम का आयोजन करवाया था जिसमें बड़ी
संख्या में कश्मीरी छात्र भी शरीक हुए थे और देश विरोधी नारे लगाए गए थे,जिसकी
तस्दीक उस दिन के विडियोज़ भी करते हैं।।
ताज्जुब तो तब होता है जब इस पूरे
कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी गई तब भी डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन ने वामपंथी
संगठनों को साथ लेकर से काम किया,जिसकी अगुवाई कोई और नहीं उमर खालिद ही कर रहा
था।इतना ही नहीं नारों की गंदी सियासत करते हुए उमर खालिद ने जेएनयू प्रशासन के
साथ ही ABVP के खिलाफ तो नारेबाजी की ही और हद तो तब कर दी जब पूरे होशोहवाश में देश
विरोधी नारे भी लगाने शुरु कर दिए। ABVP के विरोध में जब
वामपंथी संगठनों का एक के बाद एक प्रदर्शन जेएनयू कैंपस में हो रहा था उस समय भी उमर खालिद, कन्हैया के साथ ही खड़ा नजर आया।
यहां बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या जवाहर लाल नेहरु
विश्वविद्यालय के प्रांगण में उमर खालिद या फिर डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन के लोग ने पहली बार ऐसी हरकत की थी,तो जवाब होगा
शायद नहीं...क्योंकि इससे पहले भी जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक इस शक्स ने
पहले भी कई बार ऐसी हरकतें की थी,यहां तक कि दिल्ली पुलिस का कहना है कि उसने
डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन की हरकतों को लेकर दो बार जेएनयू प्रशासन को भी आगाह किया
था। पुलिस का ये भी कहना था कि उमर खालिद के साथियों ने ही जेएनयू कैंपस में देवी
देवताओं की आपत्तिजनक तस्वीरें लगाकर नफरत पैदा करने की हर संभव कोशिश की थी। उमर
खालिद के ग्रुप ने ही जब आतंकी अफजल गुरु की फांसी दी गई थी तो जेएनयू कैंपस में
मातम भी मनाया था।
हद तो तब हो गई जब साल 2010 में हमारे सीआरपीएफ के जवानो की जब छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा हत्या की गई तो पर खालिद
एण्ड कंपनी ने उसका भी जश्न मनाया। उमर खालिद एण्ड कंपनी की जेएनयू कैंपस बढ़ती हरकतों
को लेकर दिल्ली की पुलिस ने साल 2015 के अक्टूबर महिने में ही गृह मंत्रालय को भी
एक रिपोर्ट दी थी।वावजूद इसके न तो उमर खालिद और न ही उसके संगठन डेमक्रेटिक
स्टूडेंट यूनियन पर कोई कार्यवाही की गई।जिसका परिणाम है कि आज शिक्षा का सबसे शानदार
गढ़ बदनाम हो रहा है।
अंतत: कहना गलत नहीं होगा कि उमर खालिद जैसे भटके
लोगों ने जेएनयू की छवी और साख को मिट्टी में मिला दिया है,अफसोस तब और भी होता है
जब वाम का इकबाल बुलंद करने वाले लोग भी ऐसे लोगों के सात मिलकर देसविरोधी नारे
लगाते हैं और देश की साख को चोट पहुंचाते हैं।और तो और देश के सियासतदां देशहित पर
भी सियासत करने से बाज नहीं आते...।जो सर्वथा गलत है।
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