Thursday, 3 March 2016

महाशिवरात्रि पर भगवान शिवजी की आराधना के मंत्र महात्म्य


संदीप कुमार मिश्र: महाशिवरात्रि का हिन्दू और सनातन धर्म में विशेष महत्व है।ऐसे में मंत्र शक्ति जो कि भगवान आशुतोष का अतिप्रिय हैं,उन्हें इस खास अवसर पर अवश्य साधक को पढ़ने चाहिए।प्रसिद्ध ज्योतिषविद् पंडित शिवकुमार शुक्ल जी कहते हैं कि महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर सदाशिव भगवान आशुतोष का आराधना,पूजा का विशेष महत्व हमारे सनातन धर्म में बताया गया है,शिव जी को प्रसन्न करने के लिए हमें महाशिवरात्री के दिन रुद्राक्ष की माला से कुछ खास मंत्रों का जाप करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। मंत्र जाप करते समय साधक को अपना मुख उत्तर दिशा की तरफ करके करना चाहिए लेकिन इससे पहले शिवजी को बिल्वपत्र अर्पित करना चाहिए।

भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने का मंत्र-

ॐ नमः शिवाय।
प्रौं ह्रीं ठः।
ऊर्ध्व भू फट्।
इं क्षं मं औं अं।
नमो नीलकण्ठाय।
ॐ पार्वतीपतये नमः।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।

भगवान शिव का प्रिय नीलकंठ स्तोत्रम

विनियोग -  ॐ अस्य श्री भगवान नीलकंठ सदा-शिव-स्तोत्र मंत्रस्य श्री ब्रह्मा ऋषिः, अनुष्ठुप छन्दः, श्री नीलकंठ सदाशिवो देवता, ब्रह्म बीजं, पार्वती शक्तिः, मम समस्त पाप क्षयार्थंक्षे म-स्थै-आर्यु-आरोग्य-अभिवृद्धयर्थं मोक्षादि-चतुर्वर्ग-साधनार्थं च श्री नीलकंठ-सदाशिव-प्रसाद-सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।

 ऋष्यादि-न्यास - श्री ब्रह्मा ऋषये नमः शिरसि। अनुष्टुप छन्दसेनमः मुखे। श्री नीलकंठ सदाशिव देवतायै नमः हृदि। ब्रह्म बीजाय नमः लिंगे। पार्वती शक्त्यैनमः नाभौ। मम समस्त पाप क्षयार्थंक्षेम-स्थै-आर्यु-आरोग्य-अभिवृद्धयर्थं मोक्षादि-चतुर्वर्ग-साधनार्थंच श्री नीलकंठ-सदाशिव-प्रसाद-सिद्धयर्थे जविनियोगाय नमः सर्वांगे।

 स्तोत्रम् - ॐ नमो नीलकंठाय, श्वेत-शरीराय, सर्पा लंकार भूषिताय, भुजंग परिकराय, नागयज्ञो पवीताय, अनेक मृत्यु विनाशाय नमः। युग युगांत काल प्रलय-प्रचंडाय, प्र ज्वाल-मुखाय नमः। दंष्ट्राकराल घोर रूपाय हूं हूं फट् स्वाहा। ज्वालामुखाय, मंत्र करालाय, प्रचंडार्क सहस्त्रांशु चंडाय नमः। कर्पूर मोद परिमलांगाय नमः।

 ॐ इंद्र नील महानील वज्र वैलक्ष्य मणि माणिक्य मुकुट भूषणाय हन हन हन दहन दहनाय ह्रीं स्फुर स्फुर प्रस्फुर प्रस्फुर घोर घोर तनुरूप चट चट प्रचट प्रचट कह कह वम वम बंध बंध घातय घातय हूं फट् जरा मरण भय हूं हूं फट्‍ स्वाहा। आत्म मंत्र संरक्षणाय नम:।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रीं स्फुर अघोर रूपाय रथ रथ तंत्र तंत्र चट् चट् कह कह मद मद दहन दाहनाय ह्रीं स्फुर स्फुर प्रस्फुर प्रस्फुर घोर घोर तनुरूप चट चट प्रचट प्रचट कह कह वम वम बंध बंध घातय घातय हूं फट् जरा मरण भय हूं हूं फट् स्वाहा।

अनंताघोर ज्वर मरण भय क्षय कुष्ठ व्याधि विनाशाय, शाकिनी डाकिनी ब्रह्मराक्षस दैत्य दानव बंधनाय, अपस्मार भूत बैताल डाकिनी शाकिनी सर्व ग्रह विनाशाय, मंत्र कोटि प्रकटाय पर विद्योच्छेदनाय, हूं हूं फट् स्वाहा। आत्म मंत्र सरंक्षणाय नमः।

 ॐ ह्रां ह्रीं हौं नमो भूत डामरी ज्वालवश भूतानां द्वादश भू तानांत्रयो दश षोडश प्रेतानां पंच दश डाकिनी शाकिनीनां हन हन। दहन दारनाथ! एकाहिक द्वयाहिक त्र्याहिक चातुर्थिक पंचाहिक व्याघ्य पादांत वातादि वात सरिक कफ पित्तक काश श्वास श्लेष्मादिकं दह दह छिन्धि छिन्धि श्रीमहादेव निर्मित स्तंभन मोहन वश्याकर्षणोच्चाटन कीलना द्वेषण इति षट् कर्माणि वृत्य हूं हूं फट् स्वाहा।

वात-ज्वर मरण-भय छिन्न छिन्न नेह नेह भूतज्वर प्रेतज्वर पिशाचज्वर रात्रिज्वर शीतज्वर तापज्वर बालज्वर कुमारज्वर अमितज्वर दहनज्वर ब्रह्मज्वर विष्णुज्वर रूद्रज्वर मारीज्वर प्रवेशज्वर कामादि विषमज्वर मारी ज्वर प्रचण्ड घराय प्रमथेश्वर! शीघ्रं हूं हूं फट् स्वाहा।
।।ॐ नमो नीलकंठाय, दक्षज्वर ध्वंसनाय श्री नीलकंठाय नमः।।

।।इतिश्री नीलकंठ स्तोत्रम संपूर्ण:।।

घर पर सरल विधि से करें भगवान शिवजी की पूजा
शिवालय में पूजा का विशेष महत्व तो है ही लेकिन यहां आपको बताना ये भी जरुरी है कि घर पर  महाशिवरात्रि के दिन पूजा कैसे करें...आपको बताते हैं घर पर सबसे सरल पूजा विधि-
इस कलिकाल में सबसे सरल और सुलभ देव हैं भगवान आशुतोष।जिन्हे सबसे आसानी से  महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर प्रसन्न किया जा सकता है। घर पर भगवान शिव की पूजा के समय हमें नित्य कर्म से निवृत होकर शुद्ध आसन पर बैठकर सर्व प्रथम आचमन करना चाहिए। ततपश्चात यज्ञोपवित धारण करना चाहिए और आसन की शुद्धि करनी चाहिए।और रक्षादीप प्रज्ज्वलित करनी चाहिए।इस प्रकार से वैदिक शिव पूजन प्रारम्भ करना चाहिए।इसी क्रम में  स्वस्ति-पाठ करें।जो इस प्रकार से है-

स्वस्ति-पाठ
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:, स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:,
स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु।

इसके बाद पूजन का संकल्प कर भगवान गणेश एवं गौरी-माता पार्वती का स्मरण कर पूजन करना चाहिए। इसके बाद हाथ में बिल्वपत्र एवं अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करने चाहिए। भगवान शिव का ध्यान करने के बाद आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घी-स्नान, शहद-स्नान व शरकरा-स्नान कराने चाहिए व भगवान का एक साथ पंचामृत स्नान और फिर सुगंध-स्नान कराकर पुन: शुद्ध स्नान करवाने चाहिए।

 ततपश्चात नए वस्त्र और फिर यज्ञोपवित भगवान शिव को चढ़ाने चाहिए और पुन: सुगंध, इत्र, अक्षत, पुष्पमाला, बिल्वपत्र चढाने चाहिए।अब भगवान शिव को फल चढ़ाएं और धूप-दीप जलाएं। इस क्रिया को संपन्न करने के बाद हाथ धोकर भगवान आशुतोष को नैवेद्य लगाएं। नैवेद्य के बाद फल, पान-नारियल, दक्षिणा अर्पीत कर भगवान शिव जी की आरती करनी चाहिए। अब क्षमा-याचना करें।

क्षमा मंत्र
आह्वानं ना जानामि, ना जानामि तवार्चनम,
पूजाश्चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर:।

मित्रों इस प्रकार से अपने घर में भगवान शिवजी की सच्चे मन से पूजा आराधना करनी चाहिए।निश्चित तौर पर इस सरल पूजा धान से भगवान आशुतोष प्रसन्न होंगे और अपनी कृपा आप पर बरसाएंगे। हम तो यही कामना करते हैं कि भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करें और महाशिवरात्रि आपके जिवन में नव मार्ग प्रशस्त करें।


।।ऊं नम: शिवाय।।

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