भारत का बडा विश्व में डंका 'चैम्पियंस ऑफ द अर्थ' बने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
संदीप कुमार मिश्र: देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त राष्ट्र संघ के सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान 'चैम्पियंस ऑफ द अर्थ' से सम्मानित किया गया है।मोदी जी यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय पीएम हैं।इस अवार्ड की खास बात यह है कि पीएम को इस अवॉर्ड से सम्मानित करने के लिए यूएन महासचिव एंतोनियो गुतारेस स्वयं भारत आए।
पीएम मोदी ने इस अवॉर्ड के लिए यूएन और सवा सौ करोड़ भारतीय जनता के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह सम्मान भारत की सवा सौ करोड़ जनता का है जो पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्ध है, जिसने प्रकृति में परमात्मा को देखा है।
जाने नरेंद्र मोदी जी के संबोधन की 5 बड़ी बातें-
क्लाइमेट, कैलेमिटी और कल्चर-पीएम मोदी ने कहा कि जलवायु (क्लाइमेट), आपदा (कैलेमिटी) और हमारी संस्कृति (कल्चर) के बीच सीधा संबंध है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारी संस्कृति में जलवायु को लेकर चिंता, उसे बेहतर बनाए रखने की कोशिश शामिल नहीं होगी तब तक आपदाओं से बच पाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति संवेदना हजारों साल से हमारी जीवनशैली का हिस्सा रहा है। जिसे विश्व ने आज स्वीकार कर लिया है।पीएम ने कहा कि ये संवेदना है जो हमारे जीवन का हिस्सा है. हम पेड़-पौधों की पूजा करते हैं, मौसम-ऋतुओं को वृत और त्योहार के रूप में मनाते हैं, लोरियों-लोककथाओं में प्रकृति से रिश्ते की बात करते हैं।
क्लाइमेट जस्टिस है जरूरी- पीएम मोदी ने कहा कि क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) की चुनौती से निपटने के लिए क्लाइमेट जस्टिस बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि पर्यावरण पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना हम विकास के अवसरों का हाथ थामकर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उनकी सरकार की सबसे बड़ी सफलता यह है कि लोगों के व्यवहार और उनकी सोच में बदलाव आया है।
देश में चल रही है बदलाव की बयार- पीएम ने कहा कि भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां सबसे तेज़ गति से शहरीकरण हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में शहरी जीवन को स्मार्ट और सस्टेनेबल बनाने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नेशनल हाईवे, एक्सप्रेसवे को इको फ्रेंडली बनाया जा रहा है, उनके साथ-साथ ग्रीन कॉरिडोर विकसित किए जा रहे हैं। मेट्रो जैसे नेटवर्क्स को सोलर एनर्जी से जोड़ा जा रहा है और फॉसिल फ्यूल पर रेलवे की निर्भरता को तेजी से कम करने की दिशा में काम किया जा रहा है।पीएम ने कहा कि आज भारत में हर जगह पानी और ऊर्जा बचाने की मुहिम चल रही है। हर स्तर पर तकनीक को प्रमोट किया जा रहा है।
आदिवासी, किसान, मछुआरों का सम्मान- पीएम ने कहा कि यह सम्मान जंगलों में बसे आदिवासियों का सम्मान है जो अपनी जिंदगी से ज्यादा प्यार जंगलों से करते हैं। उन मछुआरों का सम्मान है जो समुद्र से उतना ही लेते हैं जितना उनके लिए जरूरी है। उन किसानों का सम्मान है जो ऋतुचक्र के हिसाब ही अपनी जिंदगी जीते हैं।
रीयूज-रिसाइकल करने वाली महिला का सम्मान- पर्यावरण संरक्षण में एक आम गृहिणी की भूमिका पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह सम्मान हर उस नारी का सम्मान है जो सदियों से रीयूज और रिसाइकल की प्रक्रिया का पालन कर रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय नारी पौधे में परमात्मा का रूप देखती है, तुलसी की पत्तियां भी गिनकर तोड़ती है और चींटी को अन्न देने को पुण्य मानती है।
#Narendra Modi#united nations#Champions of the Earth award#UN Secretary General Antonio Guterres#Champions of the Earth Award for 2018# Leadership#
संदीप कुमार मिश्र: देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त राष्ट्र संघ के सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान 'चैम्पियंस ऑफ द अर्थ' से सम्मानित किया गया है।मोदी जी यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय पीएम हैं।इस अवार्ड की खास बात यह है कि पीएम को इस अवॉर्ड से सम्मानित करने के लिए यूएन महासचिव एंतोनियो गुतारेस स्वयं भारत आए।
पीएम मोदी ने इस अवॉर्ड के लिए यूएन और सवा सौ करोड़ भारतीय जनता के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह सम्मान भारत की सवा सौ करोड़ जनता का है जो पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्ध है, जिसने प्रकृति में परमात्मा को देखा है।
जाने नरेंद्र मोदी जी के संबोधन की 5 बड़ी बातें-
क्लाइमेट, कैलेमिटी और कल्चर-पीएम मोदी ने कहा कि जलवायु (क्लाइमेट), आपदा (कैलेमिटी) और हमारी संस्कृति (कल्चर) के बीच सीधा संबंध है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारी संस्कृति में जलवायु को लेकर चिंता, उसे बेहतर बनाए रखने की कोशिश शामिल नहीं होगी तब तक आपदाओं से बच पाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति संवेदना हजारों साल से हमारी जीवनशैली का हिस्सा रहा है। जिसे विश्व ने आज स्वीकार कर लिया है।पीएम ने कहा कि ये संवेदना है जो हमारे जीवन का हिस्सा है. हम पेड़-पौधों की पूजा करते हैं, मौसम-ऋतुओं को वृत और त्योहार के रूप में मनाते हैं, लोरियों-लोककथाओं में प्रकृति से रिश्ते की बात करते हैं।
क्लाइमेट जस्टिस है जरूरी- पीएम मोदी ने कहा कि क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) की चुनौती से निपटने के लिए क्लाइमेट जस्टिस बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि पर्यावरण पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना हम विकास के अवसरों का हाथ थामकर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उनकी सरकार की सबसे बड़ी सफलता यह है कि लोगों के व्यवहार और उनकी सोच में बदलाव आया है।
देश में चल रही है बदलाव की बयार- पीएम ने कहा कि भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है जहां सबसे तेज़ गति से शहरीकरण हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में शहरी जीवन को स्मार्ट और सस्टेनेबल बनाने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नेशनल हाईवे, एक्सप्रेसवे को इको फ्रेंडली बनाया जा रहा है, उनके साथ-साथ ग्रीन कॉरिडोर विकसित किए जा रहे हैं। मेट्रो जैसे नेटवर्क्स को सोलर एनर्जी से जोड़ा जा रहा है और फॉसिल फ्यूल पर रेलवे की निर्भरता को तेजी से कम करने की दिशा में काम किया जा रहा है।पीएम ने कहा कि आज भारत में हर जगह पानी और ऊर्जा बचाने की मुहिम चल रही है। हर स्तर पर तकनीक को प्रमोट किया जा रहा है।
आदिवासी, किसान, मछुआरों का सम्मान- पीएम ने कहा कि यह सम्मान जंगलों में बसे आदिवासियों का सम्मान है जो अपनी जिंदगी से ज्यादा प्यार जंगलों से करते हैं। उन मछुआरों का सम्मान है जो समुद्र से उतना ही लेते हैं जितना उनके लिए जरूरी है। उन किसानों का सम्मान है जो ऋतुचक्र के हिसाब ही अपनी जिंदगी जीते हैं।
रीयूज-रिसाइकल करने वाली महिला का सम्मान- पर्यावरण संरक्षण में एक आम गृहिणी की भूमिका पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह सम्मान हर उस नारी का सम्मान है जो सदियों से रीयूज और रिसाइकल की प्रक्रिया का पालन कर रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय नारी पौधे में परमात्मा का रूप देखती है, तुलसी की पत्तियां भी गिनकर तोड़ती है और चींटी को अन्न देने को पुण्य मानती है।
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