संदीप कुमार मिश्र: सनातन हिन्दू धर्म
में मनाया जाने वाला विशेष त्योहार है दिवाली।जिसे कार्तिक महीने की अमावस्या के
दिन बड़े ही विधि विधान के साथ मनाया जाता है । इस बार दिवाली 7 नवंबर 2018 को देशभर में मनाई
जाएगी। हमारे हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि भगवान राम चौदह वर्ष के
वनवास के पश्चात अयोध्या लौटे थे। राम जी के आने की खुशी में समस्त अयोध्यावासियों
ने अपने-अपने घर में घी के दिए जलाए थे जिससे अमावस्या की काली रात भी रोशन हो गई
थी। इसलिए दिवाली को प्रकाशोत्सव पर्व भी कहा जाता है।इस खास अवसर पर माता लक्ष्मी
और गणेश जी की पूजा की जाती है।
आईए जानते हैं
लक्ष्मी पूजा का शुभ-मुहूर्त:
लक्ष्मी पूजा का
मुहूर्त: शाम 17:57 से 19:53 तक।
प्रदोष काल: शाम 17:27 बजे से 20:06 बजे तक।
वृषभ काल: 17:57 बजे से 19:53 बजे से तक।
जाने क्या है दिवाली पूजा विधि
हिन्दू धर्म में पूजा का विशेष महत्व है।सभी खास अवसरों पर
विधि विधान से पूजा की जाती है।दिवाली में हमें पूजन के लिए सबसे पहले भगवान श्री
गणेश जी का ध्यान करना चाहिए और फिर गणपति बप्पा को स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाने
चाहिए और फिर फूल अर्पित करना चाहिए।इसके बाद माता लक्ष्मी जी का पूजन हमें
प्रारंभ करना चाहिए।जिसके लिए मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थान पर रखकर मां
लक्ष्मी का आवाहन करना चाहिए और फिर हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी कि वो हमारे घर
कुटूंब में आएं और निवास करें।इन सभी कार्यों को करने के बाद माता लक्ष्मी जी को जल,
पंचामृत और फिर जल से पुन: स्नान करवाएं। वस्त्र
अर्पित करें और फिर आभूषण और माला पहनाएं।इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाकर धूप
दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें। इसके बाद बेलपत्र माता
के पैरों के पास रखें। 11
या 21 चावल अर्पित कर सप्रेम
सपरिवार माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती गाएं, बाद परिक्रमा करें और भोग लगाकरर
पूरे घर में दीपक जलाएं ।।
।।जय मां
लक्ष्मी।।जय श्री गणेश।।शुभ दीपावली।।
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