संदीप कुमार मिश्र: करवा चौथ अखंड सुहाग का व्रत है जिसे हमारे भारतीय समाज में
सुहागिन महिलाएं बड़ी ही निष्ठा के साथ रखती हैं। इस बार करवा चौथ का त्योहार 27 अक्टूबर,दिन
शनिवार को है। करवा चौथ पर महिलाएं अपने अखंड सुहाग के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत
रखकर सौभाग्य की कामना करती हैं।इस विशेष पर्व पर महिलाएं संध्या में सोलह
श्रृंगार कर चंद्रमा की पूजा करती हैं और चांद को छन्नी में देखने के बाद अपने पति
परमेश्वर के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
करवा चौथ में
चंद्र उदय और व्रत खोलने का शुभ मुहूर्त-
दिल्ली-
रात 8 बजकर 1 मिनट,चंडीगढ़- शाम 7 बजकर
57 मिनट, देहरादून- शाम 7 बजकर 52 मिनट, पटियाला, लुधियाना- रात 8 बजे,पटना- शाम 7 बजकर 46 मिनट,लखनऊ, वाराणसी-
शाम 7 बजकर 40 मिनट,कोलकाता- शाम 7 बजकर 22 मिनट, जयपुर- रात 8
बजकर 07 मिनट,जोधपुर- रात 8 बजकर 20 मिनट,मुंबई- रात 8 बजकर
31 मिनट,बेंगलुरु- रात 8 बजकर 22 मिनट,हैदराबाद- रात 8 बजकर 22 मिनट ।
पूजन के समय इन
मंत्रों का करें जाप
पूजन के लिए ऊं शिवायै नमः से पार्वती जी का, ऊं नमः शिवाय से श्री शिव जी
का, ऊं गं गणपतये नमः से गणेश जी का, ऊं हनुमते नमः से कार्तिकेय जी
का, ऊं सोम सोमाया नमः से चंद्र देव का
पूजन-अर्चन करें।
करवाचौथ के व्रत की
सरल पूजन विधि-विधान
जो भी माताएं बहने इस व्रत को रखती हैं उन्हे प्रात: सूर्योदय से पहले स्नान कर व्रत रखने का संकल्प
लेना चाहिए और फिर संपूर्ण आहार जैसे मिठाई, फल, सेवईं, पूरी ग्रहण
करके व्रत का शुभारंभ करना चाहिए।करवा चौथ पर भगवान शिव का परिवार सहित और
श्रीकृष्ण की स्थापना करनी चाहिए साथ ही रिद्धि सिद्धि के दाता भगवान श्रीगणेश जी
को पीले फूलों की माला, लड्डू और केले का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।
भगवान शिव और माता पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं
अर्पित करने के साथ ही श्रीकृष्ण कन्हैया
को माखन-मिश्री और पेड़े का सप्रेम भोग लगाना चाहिए और धूप दीप जलाना चाहिए।
महिलाएं करवाचौथ पर मिटटी के कर्वे पर रोली से स्वस्तिक बनाकर,
कर्वे में दूध, जल और गुलाब जल मिलाकर रखें और रात को छलनी के प्रयोग से
चंद्र दर्शन करने के बाद चन्द्रमा को अर्घ्य दें और करवा चौथ की कथा या फिर कहानी अवश्य
सुने।कथा श्रवण के पश्चात अपने से बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त कर पति को प्रसाद दें
और फिर भोजन कराकर स्वयं भोजन ग्रहण करें।
करवा चौथ का
महत्व
करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी एक ही दिन होता है।संकष्टी
चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने और उपवास रखने का विधान है । करवा चौथ के दिन
मां पार्वती की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है। मां के
साथ-साथ उनके दोनों पुत्र कार्तिक और गणेश जी की भी पूजा की जाती है।
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