संदीप कुमार मिश्र: शिव और सावन का बड़ा
ही गहरा संबंध हैं और सोमवार भगवान शिव का दिन है तो ऐसे में शिव की महिमा और सावन
के सोमवार का महत्व बढ़ जाता है। दोस्तों भगवान यानि परमेश्वर के कई नाम हैं जिसमें
शिव, महेश्वर, रुद्र, पितामह, विष्णु, संसार वैद्य, सर्वज्ञ और परमात्मा प्रमुख आठ नाम है। जबकि तेईस तत्वों से पहले प्रकृति और प्रकृति से उपर शंकर हैं
और शंकर से उपर शिव हैं इसलिए उन्हें महेश्वर
कहा जाता है।कहते हैं कि देवी के रूप में प्रकृति हैं और शंकर रूप में पुरुष
परमेश्वर शिव के वशीभूत हैं। वहीं रूद्र का भाव है कि जिसका जन्म रोदन यानि दुख से
हुआ हो।कहने का भाव है कि दु:ख तथा दु:ख के कारणों को दूर करने के कारण ही भगवान
शिव रुद्र कहलाते हैं। परमेश्वर जगत के मूर्तिमान पितृ होने के कारण पितामह कहलाए
जाते हैं, सर्वव्यापी होने के कारण विष्णु कहलाए जाते हैं, मानव के भव रोग दूर
करने के कारण संसार वैद्य कहलाए जाते हैं,और संसार के समस्त कार्य जानने के कारण
सर्वज्ञ कहलाए जाते हैं।साथ ही स्वयं से पृथक अन्य आत्मा के अभाव के कारण वह
परमात्मा कहलाए जाते हैं।इस प्रकार का विशेष गुढ़ रहस्य गुरुदेव भगवान बतलाते हैं।
मित्रों श्रावण के प्रथम सोमवार पर परमेश्वर के सुंदर सौम्य स्वरुप सोमेश्वर अर्थात सोमनाथ से संबंधित
महात्म्य, उपाय और पूजन विधान के बारे में जानते हैं।दरअसल द्वादश ज्योतिर्लिंगों के
क्रम में सोमनाथ अर्थात सोमेश्वर प्रथम ज्योतिर्लिंग के रुप में जाना जाता है।हमारे
धर्म शास्त्र स्कंद पुराण के प्रभास खंडानुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम प्रत्येक
नई सृष्टि के साथ बदल जाएगा।जैसा कि माता पार्वती के प्रश्नो का उत्तर देते हुए
भगवान शिव कहते हैं कि सोमनाथ के आठ नाम पूर्ण हो चुके हैं तथा जब इस वर्तमान
सृष्टि का अंत हो जाएगा,उसके बाद ब्रह्मा जी द्वारा नई सृष्टि की रचना होगी र फिर
इस ज्योतिर्लिंग का नाम 'प्राणनाथ' हो जाएगा।वहीं इस सृष्टि से पूर्व सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को स्पर्शलिंग के नाम
से जाना जाता था। पुराण में इस बात को भी बताया गया है कि पूर्व सृष्टि में मनुष्य
शिव से अनभिज्ञ थे।
सोमनाथ भगवान की विशेष कृपा पाने के लिए
विशेष उपाय और पूजन करना चाहिए।प्रातः उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर यथासंभव सफेद
वस्त्र धारण करने चाहिए।सात ही पूजा के लिए सफेद आसन का प्रयोग करना चाहिए और सबसे
पहले घर में विराजित पारद शिवलिंग अथवा शिवालय में जहां सफेद शिवलिंग प्रतिष्ठित
हो वहां शिवलिंग को शुद्ध स्वच्छ जल से अभिषेक कराना चाहिए व गौ घृत में चंदन मिश्रीत
कर दीपक दिखाना चाहिए। चंदन की सुगंध की दो अगरबत्ती भी जलानी चाहिए। मंदाकिनी यानि
सफेद कनेर के फूल शिव जी को चढ़ाएं। ॐ नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए
शिव जी पर बिल्वपत्र (बेलपत्र) पर चंदन
लगाकर चढ़ाने चाहिए। और फिर दूध में शर्करा (शक्कर) मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करना
चाहिए।सफेद चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुंड साधक को बनाना चाहिए और गाय के दूध से बने
पकवान का शिव जी को भोग लगाना चाहिए।साधक को बाएं हाथ में शतावरी का टुकड़ा लेकर दाएं
हाथ से दो मुखी रुद्राक्ष या फिर सफ़ेद चंदन की माला से इस निचे लिखे मंत्र का जाप
करना चाहिए।
मंत्र: ॐ श्रीं सोमेश्वराय शशि मौळये नमः शिवाय।।
जब जाप पूरा हो जाए फिर बाएं हाथ में ली
हुई शतावरी का टुकड़ा सफेद कपड़े में बांधकर घर के ईशान कोण में वर्ष भर तक छुपाकर
रख देना चाहिए। इस प्रकार के विशेष पूजन और उपाय से मनुष्य के जीवन में आने वाले
हर प्रकार केरोग,शोक, कष्ट, व्याधि, पीड़ा, जैसी समस्त परेशानियां दूर होती हैं और जीवन में कुटुंब में सुख समृद्धि का वास होता है ।बम
बम भोले।ऊं नम: शिवाय।
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