Sunday, 24 July 2016

सावन(श्रावण) सोमवार व्रत रखनें से पहले कुछ आवश्यक बातें


संदीप कुमार मिश्र: हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में आसी कहा गया है कि सावन(श्रावण) सोमवार का व्रत करने वाले साधक के हर प्रकार के रोग,शोक,दु:ख,दारिद्रता और समस्त परेशानियों का नाश हो जाता है और साधक के जीवन उन्नती,तरक्की,खुशहाली आती है साथ ही व्रती सुखी, निरोगी होता है।
श्रद्धेय पंडित कपूर चन्द शास्त्री जी 

श्रद्धेय पंडित कपूर चन्द शास्त्री जी महाराज कहते हैं कि श्रावण मास में नियम संयम और विधि विधान से  सोमवार को आदि देव महादेव शिव जी की पूजा करने से भोलेभंडारी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।शास्त्री जी कहते हैं कि सोमवार व्रत करने से शिशुओं के रोग दूर होते है,साथ ही किसी भी प्रकार की दुर्घटना व अकाल मृत्यु से भी मुक्ति मिलती है।इतना ही नहीं  मनवांछित जीवनसाथी भी प्राप्त होता हैऔर वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत होता है व भक्त का भगवान के प्रति आस्था बढ़ती है वो सत्संगी होता है जिससे जीवन में नकारात्मकता का नास होता है और सकारात्मकता का लास होता है।

शिव का महिना है सावन,ऐसे में सिव को प्रसन्न करने के लिए श्रावण सोमवार का व्रत नियम संयम से करना चाहिए,विधि विदान से करना चाहिए तभी मनवांछित फल प्राप्त होता है।ऐसे में क्या है सोमवार व्रत रखने में सावधानी...कैसे रखें व्रत...? परम पूज्य शास्त्री जी के अनुसार सोमवार का व्रत रखने वाले भक्तों को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जो इस प्रकार हैं-

सोमवार व्रत के नियम विधान
v  व्रत करने वाले साधक को प्रात: ब्रह्म मुर्हत में उठना चाहिए व नित्य कर्म के बाद स्नान करने के लिए जल में कुछ काले तिल डालकर स्नान करना चाहिए।

v  ऐसे तो हम सब जानते हैं कि भगवान शिव का जलाभिषेक होता है,शिव जी को गंगा जल से स्नान करवाया जाता है लेकिन विशेष मनोकामना सिद्धि के लिए गाय का दूध, दही, घी, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, शहद, कुश का जल आदि व कई अन्य सामग्रियों से भी अभिषेक किया जाता है।

v  इसके बाद ऊँ नमःशिवाय मंत्र के द्वारा सफेद यानि श्वेत फूल, पंचामृत, सुपारी, सफेद चंदन, चावल, ऋतु फल व गंगाजल से आदिदेव महादेव और माता पार्वती का साधक को पूजन करना चाहिए।

v  हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसी मान्यता भी है कि अभिषेक के समय पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है,ऐसे में अपनी सरलता या सुलभता के अनुसार हम पुजा के समय महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र,या फिर भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जाप कर सकते हैं। मंत्र जाप में एक सावधानी अवश्य बरतनी चाहिए कि कहीं मंत्रों का उच्चारण गलत ना हो।

v  भगवान शिव व माता पार्वति की पूजा अर्चना के बाद श्रावण सोमवार व्रत कता का पाठ करना चाहिए और अपने परिवार के समस्त सदस्यों को कता महात्म्य बताना चाहिए।

v  इसके बाद प्रेम सहित सपरिवार भगवान शिव की आरती हानी चाहिए व सभी को प्रसाद वितरण करना चाहिए।

v  व्रत धारण करने वाले को बीना नमक के फलाहार ग्रहण करने चाहिए।

v  शिव भोले हैं,सत्य हैं सुंदर हैं और भक्तों की पुकार जल्द सुनते हैं अत:  श्रद्धापूर्वक व्रत करें।यदि पूरे दिन व्रत रखना किसी कारण वश सम्भव न हो तो सूर्यास्त होने तक व्रत रकें और फिर पारण कर लें।

v  हमारे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दूध को चंद्रमा से संबंधित ग्रह कहा जाता है, क्योंकि दूध और चंद्रमा दोनों की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती है।इसीलिए जो साधक चंद्र ग्रह से पीड़ित हो उसे अपने समस्त दोषों के निवारण हेतू सोमवार को शिवलिंग पर दूध अवश्य अर्पित करना चाहिए।

v  अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए साधक को शिवलिंग पर नित्य प्रति गौ माता का कच्चा दूध ही अर्पित करने चाहिए।


इस प्रकार से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हम नियमों का पालन करें और पूरे विधि विधान से साधना करें तो अवश्य ही भोलेभंडारी की कृपा हम पर बरसेगी और सभी मनोकामनाओं की पूर्ती होगी।हम तो यही कामना करते हैं कि आदिदेव महादेव माता पार्वती आपकी सभी मनोकामनाओं को पुरा करें।ऊं नम:  शिवाय।

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