संदीप कुमार मिश्र: जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी की सरकार ने पूर्ण बहुमत
हासिल कर इतिहास रचा है।तभी से तमाम सियासी पार्टियां केंद्र सरकार की कमियां
ढ़ुंढ़ने में लग गयी है।चुनाव दर चुनाव राज्यों में बीजेपी की साख कहीं बढ़ रही है
जिससे कई पार्टियों को अपने अस्तित्व पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है।ऐसा इसलिए भी
कि आम चुनाव 2014 में हर एक जात धर्म संप्रदाय के लोगों ने लोकतंत्र के इस
महाउत्सव में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और बेरोजगारी के खिलाफ,भ्रस्टाचार के खिलाफ,
घपलों-घोटालों के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया और और विकास के नाम पर वोट दिया।
लेकिन फिर भी हमारे देश में जातिवाद की
जड़े इतनी गहरी हैं कि जिसे उखाड़ कर फेंकना शायद बहुत मुश्किल होगा...कहना गलत
नहीं होगा कि जातिवाद की सियासत खत्म हो जाए तो कुकुरमुत्ते की तरह अनगिनत पार्टियों
की सदस्यता रद्द हो जाए।
दरअसल सवाल इसलिए उठता है कि एक तरफ तो
हम विकाश और तरक्की की बात करते हैं और दूसरी तरफ जातिगत समीकरण को साधने की कोशिश
करते हैं...ऐसे में मुश्किल खड़ी हो जाती है कि सही और गलत का मुल्यांकन कैसे हो।
अब उत्तर प्रदेश को ही ले लिजिए..देश का सबसे बड़ा सूबा है सो सियासत भी बड़ी-बड़ी
ही होगी...खासकर चुनाव हो तो जातिगत,वंशवाद के लिहाज से समीकरण बैठाने का दौर शुरु
हो गया है...चार बड़ी मुख्य पार्टियों को ही आप यूपी में देख लें तो सत्ता लोभ का
सारा समीकरण नजर आ जाएगा..
स्वत: लिखी हुई कविता के कुछ अंश...
कोई कहे राम हैं मेरे, तो कोई टोपी पहन पढ़े नमाज..
21वीं सदी के नव भारत में,नहीं बदल रहा है आज !
जातिवाद के चक्कर में पड़कर,हो रहा युवा बरबाद...
कैसे आगे बढ़ेगा देश, जड़ जमा चुका है वंशवाद..
कोई कहे देवी हूं मैं,मेरा सदा करो सत्कार
सत्ता के लोभियों ने मिलकर,कर दिया देश का बंट्टाधार...
अरे! अब तो उठो जागो...
यूवा भारत चाह रहा है,देश का नित निरंतर हो सम्मान..
कैसे होगा संभव ये जब..
जाति,धर्म और संप्रदाय के बंधन में बंधा रहेगा हिन्दुस्तान..
देख रहा है विश्व हमें अब,उत्सुकता भरी निगाहों से..
देखो दूर नहीं दिन वो जब..संसार कहेगा भारत महान...भारत महान
लेकिन शर्त बस एक हैं-
हम बदलेंगे यूग बदलेगा..अब नहीं होगा किसी का अपमान..
क्रमश:………………………।
बड़ा दिलचस्प होगा देखना कि देश के सबसे
बडे सूबे में कांग्रेस,सपा,बसपा और भाजपा की लड़ाई में जीत किसकी होती है,और यूपी
का सिंहासन कौन जीतता है लेकिन जिस प्रकार से कुर्सी की इस लड़ाई में जाति-धर्म के
नाम पर सियासी रंग चढ़ने लगा है उससे कहीं ना कहीं राजनीति का स्तर लगातार गिरता
जा रहा है।
sandeep kumar mishra |
सियासत और जातिवाद का गहरा नाता है...और
खासकर यूपी,बिहार से..ऐसा इसलिए भी कि मेरी जन्मभूमि है यूपी..इसलिए जो देखा,जो
पढ़ा और जो जाना उससे निष्कर्ष यही निकलता है कि ना तो जातिवाद यूपी से खत्म हुआ
ना होगा...क्योंकि जब तक खुद को देवी,देवता कहने वाले लोग राजनीति में रहेंगे तब
तक कभी भी उत्तर प्रदेश का भला नहीं होगा...सर्व धर्म समभाव की भावना से ही प्रदेश
और देश का भला हो सकता है..ये बात सियासी दलों को जितनी समझने की आवश्यकता है...उतनी
ही आम जनमानस और अंध भक्तों को भी...जो भेंड़ की तरह चलने में सिर्फ यकीन रखते हैं...।
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