Monday, 18 July 2016

सावन (श्रावण) के पवित्र माह में क्या करें,क्या ना करें

संदीप कुमार मिश्र: जो सुंदर हैं,सत्य हैं,सरल और सुलभ हैं वो भगवान शिव हैं।जिनकी महिमा अपरंपार है अनंत है।ऐसी ही भोलेबाबा की महिमा के गुणगान पावन माह है सावन।कहते हैं शिव की आराधना से साधक को मुक्ति और भक्ति दोनो प्राप्त हो जाती है।
मित्रों सावन में कुछ कार्यों को हमारे धर्म शास्त्रों में वर्जित बताया गया है,क्योंकि हमारी जीवन शैली का हमारी साधना और सत्संग पर विशेष प्रभाव पड़ता है।इस लिहाज से जो भी भक्त भगवान शिव की आराधना करते हैं, उन्हें सावन माह में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए,जो इस प्रकार से हैं- 

दरअसल हमारे सनातन धर्म में या यूं कहें कि हिन्दू धर्म,अनेकानेक विविधताओं का संकलन है।हम सभी  हिन्दू धर्म को मानने वाले इस बात से अच्छी तरह वाकिफ़ हैं कि हमारे धर्म और हमारी जीवन शैली में किसे उचित या फिर किसे अनुचित बताया गया है।इसीलिए ज्यादातर हमारे हिंदू परिवारों में नियम संयम से रहने की परंपरा का निर्वहन किया जाता है।आज की भागदौड़ भरी जींदगी में हम पर पाश्चात्य संस्कृति जरुर अपनी छाप ड़ाल रही है लेकिन फिर भी हमारे संस्कार,हमारी संस्कृति हमें हमारे नैतिक व सामाजिक मुल्यों का एहसास सदैव करवाती रही है।
पवित्रता का माह सावन
मनसा,वाचा,कर्मणा हम जिस प्रकार जगत जननी मां जगदम्बा के पावन नवरात्रे में नियम संयम से रहते हैं और उन दिनों में मांस, मदिरा का सेवन नहीं करते हैं,पूजा पाठ हवन,किर्तन का पाठ करते हैं ठीक उसी प्रकार से सावन के पवित्र महिने में हमें प्रत्येक कार्य बड़े ही नियम संयम से करने चाहिए। ऐसे तो हमारे धर्म शास्त्रों में मांसाहार सदैव के लिए वर्जित बताया गया है लेकिन खासकर सावन में मांसाहार पूरी तरह वर्जित बताया गया है।आप के मन में एक शंका जरुर होकि कि आखिर सावन माह में ऐसी क्या विशेषता है जो इसे अन्य महिनों से खास बनाती है।
सावन में प्रत्येक दिन महोत्सव
मित्रों जैसा कि हम सब जानते हैं कि चैत्र माह के पंचम महीने को सावन का महीना कहा जाता है।सावन का महिना धार्मिक,आध्यात्मिक हर प्रकार से महत्वपूर्ण है।ये महिना शिव भक्तों व सनादन प्रेमियों के लिए कियी महोत्सव से कम नहीं है। हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है 33 कोटि देवी देवताओं की आराधना करने के लि ए सबसे बेहतर और सुंदर माह है सावन।खासकर भगवान आशुतोष शिव,और माता पार्वती जी के साथ ही श्रीकृष्ण कन्हैया की आराधना सावन में की जाती है।हम सब जानते हैं कि सावन के महिने में कीट-पतंगे को सक्रियता बढ़ जाती है,ऐसे में मनुष्य को भी अपनी साधना और पाठ-पूजा को इस महिने में बढ़ा देना चाहिए,सत्संगी बन भजन किर्तन करना चाहिए।
झमाझम बरसात का माह सावन
सावन बारिशों का महिना है,इस माह में मूसलाधार बारिश होती है,जिससे जन धन का नुकसान भी होता है, इसलिए भी आदिदेव महादेव पर जलाभिषेक कर उन्हें शांत किया जाता है। आपको बता दें कि हमारे देस के महाराष्ट्र राज्य में जल स्तर को सामान्य रखने की एक अनोखी प्रथा विद्यमान है। वहां के लोग सावन माह में समुद्र में नारियल अर्पण करते हैं,जिससे कि किसी प्रकार की जन हानी ना हो।
विष पान के तपन को शांत करते हैं इंद्र देव
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान निकले विष पीने से महादेव के शरीर की तपन बढ़ गयी थी।जिसे शांत और शीतल रखने के लिए भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने सिर पर धारण किया और मेघराज इंद्र नें भोलेबाबा के शरीर के तपन को शांत करने के लिए तेज मूसलाधार बारिश की।यही कारण है कि सावन माह में अत्याधिक वर्षा होती है।
बम बम भोले की गुंज,तप और व्रत
दोस्तों सावन में आप सड़कों पर केसरीये रंग से रंगे लोगों को हाथ में कांवड़ लिए जरुर देखते होंगे। भगवान शिव के भक्त कावड़ ले जाकर पतित पावनी गंगा का पानी भगवान शिव की प्रतिमा पर अर्पित कर अपनी भक्ति और भोले को प्रसन्न व शांत करने का प्रयत्न करते हैं,साथ ही सावन के सोमवार का व्रत रखते हैं। क्योंकि सावन में व्रत रखने का विशेष महत्व है।कहते हैं कि जो कुंवारी लड़की सावन माह का संपूर्ण व्रत रखती है उसे मनोवांछित वर प्राप्त होता है। जैसा कि एक कथा के अनुसार माता पार्वती को शिव जी मिले थे।


सावन में माता पार्वती को मिले भगवान शिव
पुराणों में ऐसा वर्णित है कि जब अपने पिता दक्ष द्वारा अपने पति का अपमान होता सती जी ने देखा तो उन्होने आत्मदाह कर लिया था।और अगले जन्म में पार्वती के रूप में सती जी ने महादेव को पाने के लिए सावन के सभी सोमवार का व्रत किया था।जिसके फलस्वरूप भगवान शिव माता पार्वती को पति रूप में मिले थे।

वैज्ञानिक नजरीये से भी मांसाहार का सेवन सावन में ना करें
पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के बारे में हम जान गए लेकिन सावन के महीने में मांसाहार परहेज करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि सावन मास में भरपूर बारिश होती है, जिससे कि कीड़े-फतिंगे सक्रिय हो जाते हैं।जो हमारी सेहत के लिए ठीक नहीं होता है,वहीं जीव जन्तु,पशु-पक्षी, जिस स्तान पर रहते हैं, वहां साफ-सफाई विशेष रुप से नहीं होती है, जिससे कि संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए मांसाहार को वर्जित कहा गया है। आपको बता दें कि आयुर्वेद में भी सावन माह में मांस के संक्रमित होने की संभावना ज्यादा बताई गई है

अंतत: मित्रों सावन तो प्रेम का महिना है,मिलन का महिना है,सत्संग का महिना है,गीत गायन का महिना है।सावन के पवित्र माह में मछलियां और पशु, पक्षी सभी में गर्भाधान की संभावना बढ़ जाती है।और किसी भी गर्भवती मादा की हत्या कम से कम हमारे हिन्दू धर्म में महापाप माना गया है, इसलिए भी सावन के महीने में जीव हत्या वर्जित है।

भोलेभंडारी भगवान शिव तो प्रेम के भूखे हैं,भाव के भूखे हैं।जैसे वो त्रिलोकीनाथ जगत की सुनते है,वैसे ही हम सब के कष्टों को दूर करेंगे ऐसी ही कामना है।प्रेम से बोलिये...बम बम भोले...हर हर महादेव।

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