संदीप
कुमार मिश्र: मां दुर्गा के नौ रुपों में नवरात्र के पहले दिन माता दुर्गा के पहले
स्वरूप में 'शैलपुत्री' माता की
पूजा की जाती
हैं। शैलपुत्री नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं।जिनका नाम पर्वतराज हिमालय के घर
पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण 'शैलपुत्री' पड़ा।श्रद्धा भाव के साथ नवरात्र पूजन में पहले दिन माता शैलपुत्री की
पूजा उपासना की जाती है।
माता
शैलपुत्री की पूजा विधि और सरल विधान
माता
दुर्गा की आराधना और भक्ति के नवरात्र का विशेष महत्व है। ऐसे में नवरात्र के पहले
दिन पूजा शुरु करने से पहले लकडी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां शैलपुत्री की
तस्वीर को स्थापित करें।चौकी पर केशर से शं लिखें ।उसके बाद हाथ में लाल
पुष्प लेकर माता शैलपुत्री का ध्यान करें।
ध्यान मंत्र -
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे
ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:।
मंत्र
पढ़ने बाद हाथ के पुष्प को मां की तस्वीर के ऊपर छोड दें। इसके बाद यथा शक्ति भोग
प्रसाद मां को अर्पित करें और मां शैलपुत्री के मंत्र का ध्यान से जाप करें। मंत्र
का जाप कम से कम एक माला होनी चाहिए।
विशेष
मंत्र - ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:
साथ
ही स्त्रोत पाठ भी करें जो इस प्रकार से है-
स्रोत पाठ
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री
प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री
प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री
प्रमनाम्यहम्॥
इसके
बाद माता का सपरिवार श्रद्धा भाव के साथ
आरती कीर्तन करें।
।।जय माता दी।।
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