संदीप
कुमार मिश्र: शिव और शक्ति के मिलन का पवित्र माह है सावन। सावन प्रकृति से प्रेम का भी माह है। आस्था-विश्वास,उत्साह- उमंग,प्रेम और सौंदर्य का उत्सव हरियाली तीज सर्वप्रिय
पौराणिक युगल शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।हमारे देश
में सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज बड़े ही धूमधाम से मनाया
जाता है।
दरअसल
हरियाली तीज को दो प्रमुख वजहों से विशेष महत्ता प्रदान की जाती है।एक तो शिव
शक्ति का मिलन और दूसरा तपती गर्मी से रिमझिम फुहारों का राहत देना।जिससे प्रकृति
हर तरफ हरियाली की चादर ओढ़ लेती है। कहते हैं कि यदि तीज के दिन झमाझम बारिश हो
रही हो तो ये यह दिन और भी खास और विशेष हो जाता है।
भारत
में सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत बेहद अहमियत रखता है।महिलाएं इस दिन झूला
झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और खुशियां मनाती हैं।
हरियाली तीज को देश के कुछ हिस्सों में कज्जली तीज के नाम से भी जाना जाता है।भारत
में तीज से एक दिन पहले नवविवाहित कन्याओं के लिए उनके ससुराल से सुहाग का सामान व
फल मिष्ठान की सामग्री आती है। भारतिय महिलाएं ससुराल से भेजे गए इन्हीं सुहाग के
सामान से पहले माता पार्वती और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करती हैं।
हिन्दू
धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर को पाने के
लिए 107 जन्म लिए थे और अंत में घनघोर तप
साधना के बाद 108वें जन्म में माता पार्वती को भगवान शिव पती के रुप में मिले और देवी
पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। कहा जाता है कि तभी से हरियाली
तीज व्रत की शुरुआत हुई।तीज के दिन जो भी सुहागन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करके
भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं उनका सुहाग की रक्षा स्वयं शिव
और शक्ति स्वरुपा मां देवी पार्वती करती हैं।
हरियाली
तीज पूजा विधान : हरियाली तीज का त्योहार तीन दिनों का होता था लेकिन आज की
भागदौड़ में अब ये त्योहार एक दिन का ही मनाया जाता है।व्रत के दिन पत्नियां
निर्जला व्रत रखती हैं और हाथों में मेंहदी रचाती हैं,नई चूड़ियां और पैरों में आलता
लगाती हैं फिर नए वस्त्र पहन कर मां पार्वती की विशेष पूजा करती हैं।
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