संदीप
कुमार मिश्र:
शनिदेव की महिमा निराली है।जिनपर खुश हो जाएं उसकी झोली भर दें और जिस पर नाराज हो
जाएं उसे राजा से रंक बना दें।तभी तो देस के हर हिस्से में शनिदेव की पूजा बड़े ही
श्रद्धा भाव से होती है।ऐसे तो हमारे देश में भगवान सूर्य देव के पुत्र शनिदेव के अनेकों
मंदिर हैं। लेकिन सबसे प्रिय और लौकमान्य मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित
शिंगणापुर का शनि मंदिर ही है।
जिसकी
विश्व प्रसिद्ध मान्यता है,दरअसल शिंगणापुर में शनिदेव खुले आसमान को नीचे विराजते
हैं,यहां पर किसी भी प्रकार का छत्र या गुंबद नहीं है,हां संगमरमर का चबूतरा अवश्य
बनाया गया है जिसपर विराजते हैं शनिदेव महाराज।
श्री
शिंगणापुर की प्रसिद्धी का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 13 हजार से ज्यादा
शनिभक्तों का यहां प्रतिदिन दर्शन करने आते है,और खासकर शनि अमावस, शनि जयंती को बड़े मेले का आयोजन होता
हैजिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
शनिदेव
की साधना का मूल मंत्र
जीवन
के अच्छे क्षणों में शनि की प्रशंसा करनी चाहिए।मुश्किल घड़ी में भी शनिदेव का
दर्शन अवश्य करना चाहिए, पूजा करनी चाहिए। जीवन के हर पल शनिदेव के प्रति कृतज्ञता
प्रकट करना चाहिए।इन सूत्रों का जो निरंजर अपने जीवन में पालन करता है,उस साधक पर
शनि की कृपा सदैव बनी रहती है।
जानिए
शनि देव की क्या है महत्ता?
भगवान
भास्कर यानी प्रत्यक्ष देव सूर्य के पुत्र शनि देव अति शक्तिशाली माने जाते हैं,जिनके
हमारे जीवन में अद्भुत और विशेष महत्व बताया गया है। शनि देव ही मृत्युलोक के ऐसे
स्वामी हैं, जो मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों के
आधार पर सजा देकर उन्हें सुधरने के लिए प्रेरित करते हैं। लोकधारणा है कि शनि देव
मनुष्यों के शत्रु हैं,इन्ही की वजह से परिवार में क्लेश, दुःख, पीड़ा, व्यथा, व्यसन, पराभव होता है।लेकिन, सच्चाई औरहकीकत ये है कि शनि देव उन्हीं
को दंडित करते हैं जो बुरे कर्म करते हैं।कहने का मतलब है कि जो जैसा करेगा वो वैसा ही उसे भरना
पड़ेगा। विद्वजनों का कहना है कि शनि मोक्ष प्रदाता ग्रह है और शनि हमें शुभ
ग्रहों से कहीं ज्यादा अच्छे फल प्रदान करने वाले हैं।
शनि
महामंत्र के जाप से दूर होगी साढ़ेसाती
कहते
हैं कि जिस राशि में साढ़ेसाती लगती है उस राशि के जातक को शनि महामंत्र के 23 हजार मंत्रों को साढ़ेसात वर्षों के
भीतर करना अनिवार्य है।जिसे भी शनि की सलाढ़ेसाती चल रही हो उसे शनि महामंत्र का
जाप 23 दिनों के अंदर ही पूरा करना चाहिए। जिसके
लिए जरुरी है कि साधक एक ही स्थान पर एक ही बैठकी में शनि महामंत्र का जाप करे।
ये है शनिदेव का प्रभावशाली महामंत्र:
ऊं निलांजन समाभासम्। रविपुत्रम
यमाग्रजम्।।
छाया मार्तंड सम्भूतम। तम् नमामि
शनैश्चरम्।।
भगवान शनिदेव शत्रु
नहीं मित्र है।जो भी सच्चे मन से शनिदेव की पूजा अर्चना करता है,शनि देव उसकी सभी
मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।।जय शनिदेव।।
Jai shanidev pita ji ki
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