Wednesday, 12 July 2017

सावन के हर सोमवार को करें शिव जी की विशेष पूजा : 50 साल बाद बन रहा विशेष योग

संदीप कुमार मिश्र: भगवान भोलेनाथ की महिमा निराली है। सावन में शिव भक्तों का शिवालयों में श्रद्धा भाव से शिवलिंग पर जलाभिषेक करते देखते ही बनता है।सावन भगवान शिव के प्रेम के साथ ही प्रकृति से प्रेम का भी माह है इस बार भगवान शिव का प्रिय मास सावन में 50 साल बाद विशेष संयोग लेकर आया है। सबसे अच्छी बात है कि सावन की शुरुआत और समापन दोनो शिव के प्रिय दिन सोमवार से हो रहा है।
इस बार सावन की सबसे अच्छी बात है कि वैधृति योग के साथ सावन की शुरुआत और आयुष्मान योग के साथ सावन मास की समाप्ति हो रही है। सोमवार, सावन मास, वैधृति योग व आयुष्मान योग सभी के मालिक स्वत: शिव ही हैं। इस लिए इस बार का सावन खास है। पुराणों के अनुसार सावन में भोले शंकर की पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति, मंत्र जाप का खास महत्व है। खासकर सोमवारी के दिन महादेव की आराधना से शिव और शक्ति दोनों प्रसन्न होते हैं।इनकी कृपा से दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। निर्धन को धन और नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है। बाबा भोले की पूजा से भाग्य पलट सकता है। सावन में प्रत्येक सोमवार को शिव जी की कैसे करें पूजा...आईए जानते हैं-
प्रथम सोमवार : महामायाधारी की पूजा
10 जुलाई
सावन के पहले सोमवार को महामायाधारी भगवान शिव की आराधना की जाती है।पूजा क्रिया के बाद शिव भक्तों को ऊं लक्ष्मी प्रदाय ह्री ऋण मोचने श्री देहि-देहि शिवाय नम: मंत्र का 11 माला जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से लक्ष्मी की प्राप्ति, व्यापार में वृद्धि और ऋण से मुक्ति मिलती है।


द्वितीय सोमवार: महाकालेश्वर की पूजा
(17 जुलाई)
सावन के दूसरे सोमवार को महाकालेश्वर शिव की विशेष पूजा करने का विधान हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है। शिव के साधकों को ऊं महाशिवाय वरदाय हीं ऐं काम्य सिद्धि रुद्राय नम: मंत्र का रुद्राक्ष की माला से कम से कम 11 माला जाप करना चाहिए। महाकालेश्वर महादेव की पूजा से गृहस्थ जीवन सुखमय होता है, पारिवारिक कलह से मुक्ति, पितृ दोष व हर प्रकार के दोष से मुक्ति मिलती है।


 तृतीय सोमवार:अर्द्धनारीश्वर महादेव की पूजा
(24 जुलाई)
शिव के पवित्र माह सावन के तृतीय सोमवार को महादेव के अर्द्धनारीश्वर स्वरुप का पूजन किया जाता है।महादेव के अर्द्धनारीश्वर स्वरुप की आराधना करने के लिए ऊं  महादेवाय सर्व कार्य सिद्धि देहि-देहि कामेश्वराय नम: मंत्र का 11 माला जाप करना श्रेष्ठ बताया गया है। अर्द्धनारीश्वर शिव की विशेष पूजन से अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।ऐसा हमारे धर्म शास्त्रों में कहा गया है।


चतुर्थ(चौथा)सोमवार: तंत्रेश्वर शिव की पूजा
(31 जुलाई)
सावन के चौथे सोमवार को तंत्रेश्वर शिव की आराधना की जाती है।चौथे सोमवार के दिन कुश के आसन पर साधक को बैठकर ऊं रुद्राय शत्रु संहाराय क्लीं कार्य सिद्धये महादेवाय फट् मंत्र का जाप 11 माला करनी चाहिए। तंत्रेश्वर शिव की कृपा से शिवभक्तों की समस्त बाधाओं का नाश होने के साथ ही अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति सहज ही हो जाती है।

पंचम सोमवार : शिव स्वरूप भोले की पूजा
(07 अगस्त)
शिव के सावन का पांचवां सोमवार जो अति विशेष है।इसदिन श्री त्रयम्बकेश्वर शिव की पूजा की जाती है। विशेषतौर पर जो शिवभक्त सावन में किसी कारणवश अन्य चार सोमवार को शिव जी की पूजा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें पांचवें सोमवार को शिव की आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसमें रुद्राभिषेक, लघु रुद्री, मृत्युंजय या लघु मृत्युंजय का जाप करना चाहिए।

शिव पूजन विधि
भगवान शिव बड़े सरल और सुलभ है,शिव की पूजा भी बड़ी ही सरलता से की जाती है। शि पूजा में गंजा जल, दूध, शहद, घी, शर्करा व पंचामृत से शिव जी का अभिषेक करके भोलेभंडारी को वस्त्र, यज्ञो पवित्र, श्वेत और रक्त चंदन भस्म, श्वेत मदार, कनेर, बेला, गुलाब पुष्प, बिल्वपत्र, धतुरा, बेल फल, भांग आदि चढ़ायें।ततपश्चात घी का दीप उत्तर दिशा में जलाएं और अंत में पूजा करने के बाद आरती कर क्षमा याचना करनी चाहिए।

भगनान शिव की पूजा,आराधना से शिव भक्तों को रोगों से मुक्ति, शरीर में अद्भूत ऊर्जा की अनुभूति, शक्ति में बढ़ोतरी, मनोवांछित फल की प्राप्ति, अकाल मृत्यु और भय से मुक्ति, कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर की प्राप्ति, नवीन कार्य की पूर्ति, ग्रहों से शांति, संतान सुख की प्राप्ति, आरोग्यता, नौकरी की प्राप्ति, समस्ता बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

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