संदीप कुमार मिश्र: शक्ति की उपासना और
साधना का महापर्व है नवरात्र। संपूर्ण चराचर जगत में जगत जननी मां जगदम्बा की
महिमा अपरंपार है,शक्ति की
उपासना,साधना और स्मरण से बन जाते हैं सभी बिगड़े काम।सनातन संस्कृति और वेद
पुराणों में सदियों से माता शेरावाली की पूजा अर्चना का विधान। हमारे हिन्दू धर्म में शक्ति की पूजा अपने साधको को अनंत सुख देने वाली है,और
जीवन में उन्नती और तरक्की का रास्ता प्रशस्त करने वाली है।
एक अद्भुत शक्ति,जिसे संसार आदिशक्ति मां
दुर्गा के नाम से जानता है।माता की विशेष आराधना, त्याग और समर्पण का पर्व है
नवरात्र।जिसमें माता के भक्त,साधक,प्रेमीजन माता शेरावाली के नव रुपों का गुणगान
नव दिवस तक करते हैं और योगी मनीषि सिद्धियां प्राप्त करते हैं।
हमारे धर्म पुराणों में ऐसा वर्णित है
कि सर्वप्रथम मर्यादापुरुषोत्तम प्रभू भगवान श्रीराम चंद्र जी महाराज ने लंका विजय प्राप्त करने से ठीक 10 दिन पूर्व
इसी शारदीय नवरात्र में शक्ति की आराधना कर माता भगवती की कठोर साधना और पूजा-अर्चना
की थी।तभी से नवरात्र का चलन प्रारंभ हुआ और सनातन धर्म में नवरात्री का पावन पर्व
विशेष रुप से देश भर में मनाया जाने लगा।
ऐसा हमारे धर्म शास्त्रों में वर्णित है
कि नवरात्र के विशेष अवसर पर मां भगवती आदि शक्ति जगदम्बा को पूर्णरुपेण समर्पित
होकर,सच्चे मन और समर्पण भाव से जो भी साधक साधना करते हैं,उन्हें दसों
महाविद्याओं की प्राप्ति हो जाती है।साथ ही इस विशेष पर्व पर दुर्गा सप्तशती का
संपूर्ण पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ती होती है। माता जगदम्बा अपने साधकों का सदैव कल्याण करती हैं।मां भगवती ज्ञान और विवेक
देने वाली है,मनोकामना पूर्ण करने वाली है,मनवांछित फल देने वाली है।।जय माता दी।।
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