आखिर कब तक शहीद
होते रहेंगे जवान
कब तक निंदा और
भर्त्सना की परम्परा रहेगी कायम,
एक बार मिल जाए गम,रख
लेंगे हम संयम,
हो जाए अब आर-पार,आतंकि
हमलो को अब नहीं सहेंगे हरदम,
पीठ पर बार करने
वालों की,निंदा से नहीं चलेगा अब काम
बंद करो शहीदों की
चिताओं पर सियासत, पाक का कर दो काम तमाम।
ऐ मेरे सियासतदां,करो
कुछ ऐसा इंतजाम
अब ना हो कोई शहीद,ना
टूटे कोई घर मकां...
जो कह गए अलविदा,वो
लाल मेरे थे,
वो मातृभूमि मेरी
थी,वो प्राण मेरे थे..
मेरे अपनों-
चल सको तो चंद कदम
वहां तक चल कर देखो..
जहां मेरी सीमा के
प्रहरी सोये हैं शमशान में
करुण विलाप करती है
माता अपने हिन्दूस्तान में
बेटा गया,सुहाग
गया,बहन से दूर हो गया भाई,
बच्चों के सिर से उठ
गया साया,आतंकियों को जरा भी दया ना आई
भीख मांग कर जीता है
जो,नाम मुल्क का पाकिस्तान है।
आतंक का पोषक करता
है जो,भूला अपनी औकात है..
बार बार है मूंह की
खाता,फिर भी हमें है आंख दिखाता,
गीदड़ भभकी का करो
इंतजाम,
आखिर कब तक शहीद
होंगे जवान।
सवा सौ करोड़
देशवासी,चाह रहे एक ही परिणाम
पाक नहीं सुधरने
वाला,आतंकियों का करो इंतजाम
अब तो हो जाय आर-पार,चाहे
जो भी हो अंजाम ।
आखिर कब तक शहीद
होंगे जवान।
कौन कहे नापाक
को,मिनटों में मिट जाएगा,
संतति संग विश्व के
नक्शे से,नेस्तनाबूत हो जाएगा..
ओ पाक...मत ले
परीक्षा अब हमारी...
वरना नाम तेरा
पाकिस्तान से कब्रिस्तान हो जाएगा।
चल गया
ब्रम्होस,अग्नि,आकाश के आगे टिक ना तू पाएगा...
जब तक नींद से
जागेगा, कब्र में सो तू जाएगा...
तेरे नाजायज कपूत
आतंकियों की,
धनुष,शौर्य, की
गर्जना से,पतलून गीली हो जाएगी,
चल गया निर्भय और
मोक्षित,सोच हालत तेरी क्या हो जाएगी...
सूर्या, प्रहार की
मार से कभी ना बच पाएगा तू...
सुधर जा अब पाक,नहीं
तो मिट्टी में मिल जाएगा तू।
शांति और सद्भाव का
संदेश देते हम हैं सदा,
लेकिन,
नहीं अब समझौता होगा,वीर
जवानो की लाशों पर,
ईंट का जवाब हम
पत्थर से देंगे,मत कर शक हमारे इरादों पर
हिम्मत है तो छद्दम
छोड़,सिने पर वार करके अब दिखला,
बाप हैं,बाप ही
रहेंगे हम तेरे,
अब समझौता शहीदों की
चिताओं पर नहीं होगा।
खून खौलता है अब हरदम,पढ़ खबर अखबारों में,
शेरों और सिंहो की पेशी,क्यूं हो रही गीदड़ के दरबारों में,
लश्कर,हिजबुल देश नहीं,पाक की नाजायज औलादें है,
इमान नहीं इनका कोई,ये हराम के ज़ादे हैं
अब करना है काम तमाम इनका,
क्योंकि,शांति और सद्भाव...
गोली,गोलों का जवाब नहीं होता,
आतंकी, हत्यारों के सम्मुख, अहिंसा का प्रस्ताव नहीं होता।
पाक की नापाक हरकत,संपूर्ण विश्व है जानता,
कौन कहता है कि पाक आतंकी नहीं है पालता।
पाक परस्त आतंकियों को अब तो,खुदा भी माफ़ नहीं कर सकते हैं....
निर्मम नृसंश हत्यारों को मारो,गोली के बदले गोला दागो,तभी न्याय हो सकते हैं।
शांतिवार्ता छोड़ अब,आक्रमण करने होंगे,
निर्दयी आतंकियों से लड़ने के संकल्प करने होगें..
वीर सपूतों की हत्याओं के बदले,अब समझौते नहीं होंगे..।
बार-बार कश्मीर मांगता,देखो मूर्ख पाकिस्तान,
लाहौर, कराची, रावलपिंडी,अब लेकर रहेगा हिन्दूस्तान।
अंत में सवाल वही है कि-
आखिर कब तक शहीद
होते रहेंगे जवान.....?
आखिर कब तक शहीद
होते रहेंगे जवान.....?
मेरी कलम से,
(संदीप कुमार मिश्र)
मेरे शहीद वीर सपूतों सादर नमन
श्रद्दांजलि
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