Monday, 26 September 2016

साल में कितने नवरात्र ? कैसे हुई नवरात्र की शुरुआत ?

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
संदीप कुमार मिश्र: देश भर में शक्ति की आराधना,जगत जननी मां जगदम्बा की पूजा नवरात्रि के पावन अवसर पर बड़े ही विधि-विधान सो की जाती है।छोटे बड़े सभी बड़े ही भोक्ति भाव से माता की पूजा आराधना में लग जाते है और 9 रात,10 दिन भक्ति और आनंद में गोते लगाते हैं।मां बड़ी दयालू हैं,अपने भक्तों पर माता बरबस ही प्रेम न्योछावर करती हैं,अपने साधको का कष्ट तकलीफ माता नहीं देख सकती और उन्हें मनोवांछित फल देती हैं।ऐसे में एक ये जानना जरुरी है कि नवरात्रि की प्रथा प्रारंभ कब से हुई।
कैसे हुई नवरात्र की शुरुआत?
दरअसल आद्य शक्ति मां भगवती की नवरात्र के पावन अवसर पर पूजा आराधना सनातन काल से ही हारे देश में चली आ रही है। ऐसा हमारे धर्म पूराणों में वर्णित है कि सबसे पहले भगवान मर्यापुरुषोत्तम प्रभु श्रीरामचंद्रजी महाराज ने शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ लंका पर चढ़ाई करने से पहले समुद्र तट पर किया था,जिसके बाद दसवें दिन लंका विजय कर लंकापति रावण का वध किया।तभी से ही हमारी सनातन संस्कृति में शक्ति की आराधना 9 दिन तक की जाती है और असत्य पर सत्य की विजय के उपलक्ष्य में दशहरा का उत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ देशभर में मनाया जाता है।
शक्ति की आराधना का पर्व है नवरात्र।यानि मां दुर्गा के 9 रुपों की साधना,आराधना।इस दौरान माता के भक्त मंदिरों में जाते हैं, घरों में घट स्थापना करते,और व्रत रहते हैं साथ ही माता के जगराता करते हैं।
साल में कितने नवरात्र ?
 नवरात्रि के पावन अवसर पबर माता की कृपा अपने साधकों पर अपरंपार बरसती है। नवरात्र के पर्व का प्रारंभ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक की अवधि तक होते है | प्रतिपदा तिथि को ही जनसामान्य मां दुर्गा के घट या कलश की स्थापना अपने घर में करता है।
देवी पुराण में ऐसा कहा गया है कि साल भर में मुख्य रुप से नवरात्र का त्योहार 2 बार आता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार चैत्र यानि मार्च/अप्रैल में मां दुर्गा के पहले नवरात्र पर 9 दिन आराधना,साधना की जाती है, जिन्हें वासंती नवरात्र भी कहा जाता है। इसके अलावा आश्विन मास यानि सितम्बर/अक्टूबर में आने वाले नवरात्र को मुख्य नवरात्र कहा जाता है,जिसे जनमानस शारदीय नवरात्र के नाम से जानता है। शारदीय नवरात्र के बाद से ही देश भर में त्योहारों की धुम मच जाती है।शारदीय नवरात्र के समापन पर ही दशहरे का त्योहार मनाया जाता है जो कि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है।इसके अलावा 2 गुप्त नवरात्र भी मनाई जाती है जो गृहस्थों के लिए नही होती है।जो कि एक आषाढ़ यानि जून/जुलाई और दूसरा माघ यानि जनवरी/फरवरी में आते है।जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
इस प्रकार से साल में चार नवरात्रि आती हैं।जिसमें जनसामान्य के लिए बासंतिक और शारदीय नवरात्रि ही प्रमुख है।दो गुप्त नवरात्रों में ऋषि मनीषि साधना और आराधना करते हैं।जगत जननी मां जगदम्बा की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।।शुभ नवरात्रि।।

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