Monday 26 September 2016

पाक की आतंकी नीति पर मोदी की लाजवाब महानीति

संदीप कुमार मिश्र: लगातार अपनी नापाक हरकतों से हमारा पड़ोसी मुल्क पाक आतंकियों को भेज अमन चैन पसंद हमारे देश भारत में शांति भंग कर रहा है।जिसकी ताजा मिसाल कश्मीर के उड़ी में हुए सैन्य ठिकानो पर हमला है।इस हमले ने मानवता को तो शर्मसार किया ही साथ ही इस आतंकवादी हमले से पूरे देश में गुस्सा और उबाल भर गया।देश का हर नागरीक एक सुर में कहने लगा कि अब तो हद हो गयी,अब तो पाक को करारा जवाब देना ही चाहिए।अब तो आर-पार की लड़ाई के बगैर काम नहीं चलेगा।आखिर कब तक हमारे जवान ऐसे ही शहीद होते रहेंगे और कब तक भारत माता इन नापाक हरकतों को बर्दास्त करती रहेगी।
लेकिन इन सवालों के बीच एक यक्ष प्रश्न जिसपर सोचना सबसे जरुरी था वो ये कि क्या युद्ध ही एकमात्र विकल्प बचा है?क्या अब कोई नीति या कुटनीति नहीं बची है,जिससे युद्ध टाला जा सके या फिर पाकिस्तान पर दबाव बनाया जा सके..?ऐसे और भी ना जाने कितने प्रश्न....क्योंकि सवाल ये था कि युद्ध की विभिषीका से हम क्या खोएंगे और क्या पाएंगे...?जन,मन,धन की हानी का क्या होगा...? क्योंकि भूखे नंगे पाक के पास है ही क्या खोने के लिए...।
तमाम उठा पटक,और बैठकों के दौर के बाद आखिरकार देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बेहतरीन प्रतिक्रिया दी,जैसे कि एक सुलझे और विश्वस्तर के नेता को देना चाहिए।केरल में पार्टी की बैठक में देश को संबोधित करते हुए और पाकिस्तान की आवाम को बताते,समझाते और चेताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पष्ट कहा कि भारत का दिल बड़ा है और वह युद्ध के पक्ष में नहीं है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए, अपने गुस्से को काबू करते हुए पीएम मोदी ने पाकिस्तानी अवाम से अपील भी की कि वो अपने हुक्मरान से पूछें कि वे इस तरह आतंकवाद को बढ़ावा देकर क्या हासिल करना चाहते हैं। पाकिस्तान के आम लोगों की जरूरतों, उनकी तकलीफों की तरफ ध्यान देने के बजाय अस्थिरता का माहौल बनाए रखकर वहां की हुकूमत को कुछ नहीं मिलने वाला।
दरअसल अक्सर देखा गया है कि जब भी पाकिस्तान की तरफ से कोई आतंकी हमला होता है, तब भारत सरकार पाकिस्तान के हुक्मरान और वहां की सेना को ही निशाने पर लेती रही है। लेकिन ये पहली बार है कि जब पीएम मोदी ने पाक की अवाम से आह्वान किया।ये जरुरी इसलिए भी था कि पाक के हुक्मरान अपनी सेना के हाथ की कठपुतली भर हैं,जैसा कि पाक का इतिहास बताता है।ऐसे में वहां कि अवाम को ये जानना बेहद जरुरी है कि उनके हुक्मरान की नीति और नियत दोनो ही कितनी गंदी और गिरी हुई है।
मित्रों उड़ी हमले के बाद देशभर में हर किसी की नजर प्रधानमंत्री मोदी पर थी कि उनकी क्या प्रतिक्रिया हैं इस पूरे मामले पर।क्योंकि लगातार रक्षा मंत्रालय, सुरक्षा सलाहकार और सेना प्रमुखों के बीच विचार-विमर्श चलते रहे।नापाक पड़ोसी पाकिस्तान को हर स्तर पर घेरने की तैयारीयां होने लगी,कई राजनेताओं और बुद्धिजीवियों के भी बयान आने लगे।ऐसे मे जरुरी था कि पीएम मोदी बोले और खुल कर बोलें।जैसा कि उन्होने केरल में भाजपा कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए किया।देश के पीएम ने पाकिस्तान के प्रति जिस प्रकार से अपनी प्रतिक्रिया दी, उससे भारत की उदारवादी नीति और सोच को पीएम ने विश्व समुदाय तक पहुंचाया और विश्व के प्रत्येक राष्ट्र तक यही संदेश गया है कि भारत युद्ध नहीं बल्कि शांति का पक्षधर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान से संभव है कि देश में जो लोग पाकिस्तान से युद्ध चाहते थे उन्हें निराशा हुई होगी। लेकिन पीएम मोदी के इस संदेश से विश्व स्तर पर पाकिस्तान खंड-खंड हो जाएगा।क्योंकि पीएम मोदी ने अपने शानदार भाषण में पाकिस्तान पर करारा प्रहार करते हुए एक बार फिर पाक अधिकृत कश्मीर,बलूचिस्तान, गिलगित और सिंध की चर्चा की।आपको याद होगा कि अभी पिछले महिने ही लाला किले की प्राचीर से पंद्रह अगस्त के अपने भाषण में पीएम ने बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार के हनन का जिक्र किया तो असर के रुप में गंभीर परिणाम सामने आया और बलुचिस्तान के बागी बलूच नेताओं ने दिल खोलकर भारत की प्रशंसा करने के साथ ही पाक के हुक्मरानों पर करारा कटाक्ष और हमले किए। जिससे की पाकिस्तान की स्थिति असहज हो गयी।ये बात जगजाहिर है कि पाकिस्तान की जनता अपने लचर नेताओं, कट्टरपंथी ताकतों और पाक सेना के जुल्मोसितम की शिकार है।
अजीब विडंबना है कि पाकिस्तान के सियासदान हमारे देश भारत के साथ माहौल को तनावपूर्ण बनाकर अपनी अवाम का ध्यान बुनियादी जरुरतों जैसे-अशिक्षा,स्वास्थ्य, गरीबी,बेरोजगारी जैसे जरुरी मुद्दों से हटाए रखना चाहते हैं।भारत के युवा जहां उन्नती और तरक्की की नई नई मिसाल पेश कर रहे हैं, वही पाक के दहशतगर्द अपने युवाओं को भटकाकर उनके हाथ में बंदूक थमा रहे हैं।इस प्रकार जब भी पाकिस्तानी अवाम अपनी सरकार के खिलाफ बगावत करती है तो वहां के आकाओं की नींद हराम हो जाती है फिर वो अपना दमन चक्र चलाकर उनकी आवाज को बंद कर देते हैं।
भारत शांति का संवाहक देश है।पाकिस्तान की तरफ भारत ने जब भी हाथ बढ़ाया तो पाक के विकास,उन्नती और शांति के लिए ही बढ़ाया। लेकिन पाकिस्तान ने हर बार अपनी दोगली नीति का ही परिचय दिया।हमने बार-बार तनाव के माहौल को कम करने की कोशिश की,लेकिन पाक के हुक्मरानो और वहां की सेना ने अपने पालतू आतंकियों को भेज हमारी शांति और अमन परस्ती को चुनौती ही दी।परिणाम ये निकला कि दोनो देशों के बीच लगातार तनाव बने रहे और विश्व समुदाय में पाकिस्तान की पोल खोल लगातार जारी रही कि किस प्रकार पाकिस्तान आतंकियों को भेज दहशत फैलाता है।पीएम मोदी ने क्या खूब कहा कि आखिर क्यों विश्व में कहीं भी आतंकी हमला होता है तो उस आतंकी का संबंध या तो पाकिस्तान से होता है या फिर वो पाकिस्तान में आकर छुप जाता है।
अंतत: खैर अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को उसी के घर मे घेरा जाए,और उसी की भाषा में जवाब दिया जाए और प्रधानमंत्री का पूरा भाषण भी इसी रणनीति और कुटनीति के तहत लगता है।रहा सवाल भारतीय सेना का तो उसे कहने की जरुरत नहीं है कि आतंकियों पर कार्यवाही कैसे करनी है।विश्व की सर्वश्रेष्ठ हमारी भारतीय सेना के वीर जवान हर तरह से पाक की सेना और उनके पालतू आतंकियों को मूंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं।जय हिन्द।

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