अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं,दनुजवनकृशानुं
ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं
वानराणामधीशं,रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ 3॥
अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत
(सुमेरु) के समान कांतियुक्त शरीरवाले, दैत्यरूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में
अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के
निधान, वानरों के स्वामी, रघुनाथ के प्रिय
भक्त पवनपुत्र हनुमान को मैं प्रणाम करता हूँ॥ 3॥
संदीप कुमार मिश्र: हमारे सनातन धर्म
में श्रीराम भक्त हनुमान जी की आराधना साधना का विशेष महत्व है।कहते हैं कि भगवान
भी तभी प्रसन्न होते होते हैं जब उनके भक्तों की जय जयकार होती है।तभी हनुमंतलाल
जी महाराज जन्मदिन को बड़े ही धुमधाम से देशभर में मनाया जाता है।हिन्दू पंचांग
के अनुसार चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाने का विधान है।कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिव के 11वें अवतार के रुप में महाबलशाली,ज्ञानियों में अग्रगण्य
श्री हनुमान जी महाराज ने माता अंजना की कोख से जन्म लिया था।
‘नासै रोग कटै सब
पीरा जो सुमिरै हनुमत बलवीरा’ कहते हैं कि
हनुमान लाल जी महाराज के स्मरण मात्र से ही मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं
और साधको को किसी बात का भय भी नहीं रहता। इस बार समस्त सनातनी हनुमान जयंती का
पावन पर्व 31 मार्च को बड़े
ही धुमधाम से मनाएंगे।
जानिए हनुमान
जयंती का शुभ मुहूर्त
30 मार्च 2018 को शाम 7 बजकर 36 मिनट 38 सेकेंड से
पूर्णिमा आरंभ.
31 मार्च 2018 को शाम 6 बजकर 8 मिनट 29 सेकेंड पर
पूर्णिमा समाप्त.
जानिए हनुमान
जयंती का क्या है विशेष महत्व
अंजनी के लाल हनुमान जी महाराज अपने भक्तों के अतिप्रिय है।
तभी तो संकटमोचन हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए साधक व्रत रखते हैं और हनुमान
चालीसा का पाठ करते हैं।कहते हैं कि हनुमान जयंती के दिन पांच या 11 बार हनुमान
चालीसा का पाठ करने से पवन पुत्र हनुमान जी की विशेष कृपा साधक पर होती है। इस खास
अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ का आयोजन होता है। घरों और मंदिरों में भी
भजन-कीर्तन,सुंदरकांड का पाठ होता हैं। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सिंदूर
चढ़ाया जाता है। शाम की आरती के बाद भक्तों में प्रसाद वितरित करते हुए सभी के
लिए मंगल कामना की जाती है।
जानिए कैसे करें हनुमंत लाल की पूजा अर्चना
हनुमान जयंती के दिन प्रात: नित्यक्रम से
निवृत होकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संपल्प लेते हुए श्रीसीता-राम और हनुमान
जी के स्मरण से दिन का प्रारंभ करना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा
में हनुमान जी की प्रतिमा को स्थापित करें. मान्यता है कि हनुमान जी मूर्ति खड़ी
अवस्था में होनी चाहिए।-
पूजा करते समय इस
मंत्र का जाप करें: 'ॐ श्री हनुमंते
नम:' इस दिन खासतौर पर
हनुमान जी को सिंदूर अवश्य चढ़ाएं और हनुमान जी को पान का बीड़ा भी चढ़ाना शुभ होता होता है।मंगल
कामना करते हुए इमरती का भोग भी लगाना चाहिए।हनुमान जयंती के दिन रामचरितमानस के
सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए और फिर प्रेम सहित आरती करते हुए
गुड़-चने का प्रसाद वितरित करना चाहिए।
।।प्रेम से बोलिए हनुमंत
लाल जी महाराज की जय।।
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