संदीप कुमार मिश्र : मित्रों ये शरीर मिला है मिलता रहेगा,लेकिन इसकी सार्थकता
तभी है जब इसे सांसारिक मोह से दूर होते
हुए सत्संग और भगवान के गुण चरित्र की चर्चा करें,हरि कथा का निरंत श्रवण
करें।क्योंकि एक बात अच्छी तरह से जान लें आप रघुनाथ जी की कथा श्रवण ही ऐसी राम
रसायन, संजीवनी है जो जीवन की समस्त व्यथा को दूर कर देती है।
हम सब जानते हैं कि हमारे राघवेंद्र सरकार के चरित्र श्रवण करने के परम रसिया
है श्री हनुमंत लाल जी महाराज...तभी तो सर्वगुण निधान होते हुए भी हनुमान जी कथा
सुनने को सदैव आतुर बने रहते है और...
यत्र-यत्र रघुनाथ
कीर्तन तत्र कृत मस्तकान्जलि।
वाष्प वारि
परिपूर्ण लोचनं मारूतिं नमत राक्षसान्तक॥
कलियुग में
जहाँ-जहाँ भगवान श्रीराम की कथा, कीर्तन इत्यादि होते हैं,वहाँ हनुमान जी
गुप्त रूप
में विराजमान
रहते हैं।
ॐ हनुमते नमः
प्रेमीजनों...जहां कहीं भी मर्यापुरुषोत्तम प्रभु श्रीरामचंद्र जी के गुणों की
चर्चा होती है,गायन,वंदन होता है,सत्संग होता है वहां हनुमंत लाल जी महाराज
सर्वप्रथम आकर के आसन जमाते हैं और कथा श्रवण करते हैं । जबकि हनुमंत लाल जी स्वयं
श्रेष्ण वक्ता हैं,राम कथा के सर्वश्रेष्ठ गायक हैं,फिर भी प्रभु भक्ति तो देखिए
युगो युगों से निरंतर जहां कहीं भी हरि चर्चा होती है, कथा श्रवण के लिए हनुमंत
लाल जी सबसे पहले पहुंचते हैं।।
क्योंकि भैया कथा ही वह सरल और सुलभ माध्यम है जिससे जीवन की समस्त
व्यथा,विपदा समाप्त हो जाती है।
अब श्रीराम कथा का प्रभाव देखिए...माता जानकी अशोक वाटिका में रहते हुए बी
सशोक बैठीं थी...जबकि अशोक:..नशोक:....लेकिन जैसे ही माता
जानकी जी ने हनुमंत लाल जी के मुख से श्रीराम कथा का श्रवण किया वैसे सभी शोक नष्ट
हो गए...दूर भाग गए...।
।।सुनतहिं सीता कर दूख भागा।राम
चंद्र गुन बरनै लागा।।
अत: निरंतर हरि कथा का
श्रवण करते रहें।इस कलिकाल में कथा ही एक ऐसा सशक्त माद्यम है जो समस्त जीव की
व्यथा को मिटा सकता है....।
।।प्रेम से बोलिए जय श्री
सीताराम।।
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