Tuesday 13 March 2018

चैत्र नवरात्र 2018 : जानिए घट, कलश स्थापना,पूजा-विधि,मुहूर्त



संदीप कुमार  मिश्र: शक्ति की आराधना का पावन पर्व नवरात्रि।हमारे सनातन धर्म में माता दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।खासकर नवरात्र के पावन पर्व पर हर घर में देवी की बड़े ही विधि विदान से पूजा की जाती है।

आईए जानते हैं कि कैसे करना चाहिए हमें घट स्थापना और क्या है पूजा विधि और मुहूर्त-

।।घटस्थापना मुहूर्त : 06:28:12 से 07:46:57 तक अवधि : 1 घंटे 18 मिनट।।

जाने घटस्थापना की पूजा-विधि
हम सब जानते हैं कि नवरात्रि की शुरूआत कलश स्थापना या घटस्थापना के साथ की जाती है। कलश स्थापना प्रतिपदा के दिन यानी पहले नवरात्रि के दिन हम देवी शक्ति की पूजा के साथ करते हैं। हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि यदि यह पूजा शुभ मुहूर्त में संपन्न न हो, तो देवी अप्रसन्न हो जाती हैं, इसलिए जानना जरुरी है कि क्या है घटस्थापना या कलश स्थापना और क्या है शुभ मुहूर्त और विधि-विधान।

घटस्थापना के नियम
आईए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के पहले दिन का शुभ मुहूर्त विधि :
भगवान भास्कर यानि सूर्य उदय के बाद यदि कोई भी मुहूर्त प्रतिपदा में पड़ रहा हो तो उसी दिन की प्रात: बेला से ही नवरात्रि का प्रारंभ माना जाता है और हमें उसी दिन कलश स्थापना या घटस्थापना करना चाहिए।
यहां एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सूर्योदय होने से 16 घटी के बाद घटस्थापना का कार्य वर्जित है। दूसरे शब्दों में कहें तो घटस्थापना हिन्दू समय के अनुसार प्रतिपदा के दिन के मध्य से पहले ही होनी चाहिए।

घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री
चौड़े मुँह वाला मिट्टी का एक बर्तन / पवित्र स्थान की मिट्टी/ सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)/कलश/ जल (संभव हो तो गंगाजल)/ कलावा/मौली/सुपारी/ आम या अशोक के पत्ते (पल्लव)/अक्षत (कच्चा साबुत चावल)/छिलके/जटा वाला नारियल/ लाल कपड़ा/ पुष्प और पुष्पमाला/ ज़रूरत के अनुसार सामग्री बढ़ा भी सकते हैं, जैसे - मिठाई, दूर्वा, सिंदूर इत्यादि।

घटस्थापना की सरल विधि
सबसे  पहले मिट्टी को चौड़े मुँह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएँ।फिर उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बाँधें।उसके बाद आम या अशोक के पल्लव को कलश के ऊपर रखकर नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रख दें।ध्यान रखें कि नारियल में कलावा भी लपेटा होना चाहिए।अब घटस्थापना पूर्ण होने के बाद देवी का आह्वान करें।

घट स्थापना के समय का पूजा संकल्प मंत्र
जो साधक 9 दिनों तक व्रत रखते हैं वो निम्न मंत्र के साथ पूजा का संकल्प करें :
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे चैत्रशुक्लप्रतिपदि अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।

ध्यान दें : मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए। इस मंत्र में कई जगह अमुक शब्द आया है। जैसे- अमुकनामसम्वत्सरे”, यहाँ पर आप अमुक की जगह संवत्सर का नाम उच्चारित करें। यदि संवत्सर का नाम सौम्या है तो इसका उच्चारण सौम्यनामसम्वत्सरे होगा। ठीक ऐसे ही अमुकवासरे में उस दिन का नाम, अमुकगोत्रः में अपने गोत्र का नाम और अमुकनामाहं में अपना नाम उच्चारित करें।जैसा कि हमारे वैदिक शास्त्रों में कहा गया है।

वहीं यदि पहले, दूसरे, तीसरे दिनों के लिए उपवास रखने वाले भक्त एतासु नवतिथिषु की जगह उस तिथि के नाम के साथ संकल्प किया जाएगा जिस तिथि को उपवास रखा जा रहा है। जैसे - यदि सातवें दिन का संकल्प करना है, तो मंत्र इस प्रकार होगा:
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे चैत्रशुक्लप्रतिपदि अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि सप्तम्यां तिथौ अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।
ऐसे ही अष्टमी तिथि के लिए सप्तम्यांकी जगह अष्टम्यांका उच्चारण होगा।

षोडशोपचार पूजा के लिए संकल्प
यदि नवरात्रि के दौरान षोडशोपचार पूजा करनी हो तो नीचे दिए गए मंत्र से प्रतिदिन पूजा साधक को करनी चाहिए :
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे चैत्रशुक्लप्रतिपदि अमुकवासरे नवरात्रपर्वणि अखिलपापक्षयपूर्वकश्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये अमुकगोत्रः अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः षोडशोपचार-पूजनं विधास्ये।

इस प्रकार से नित्य देवी का साधना और आराधना से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और घर परिवार में सुख शांति और संबृद्दि आएगी।
।।जय माता दी।।

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