संदीप कुमार मिश्र:आखिर कब तक आरक्षण-आरक्षण का खेल देश में चलता
रहेगा।संविधान को मोहरा बनाकर आखिर कब तक सियासत इस देश में खेली जाएगी। आज़ादी के
70 सालों बाद भी इस आरक्षण से क्या हासिल हुआ।यदि हासिल हो गया तो फिर आरक्षण
क्यों?....हां आरक्षण के नाम पर सियासी दल कूकुरमुत्ते की तरह जरुर पैदा हो गए और देश
जातिवाद में बंट गया।
70 सालों में आरक्षण ने सिर्फ कोंढ़ का काम किया है।जिस कोढ़ को इतने वर्षों
में ठीक हो जाना चाहिए था,उसका असर ये हुआ कि शरीर रुपी समाज के और हिस्सों को
प्रभावित करता गया परिणामस्वरुप आप देखेंगे कि हमारे समाज में ऊंच-नीच का भेद
लगातार बढ़ता जा रहा है।हालत ऐसी हो गई है कि आरक्षण के इस जिन्न ने अब तो आरक्षणी
नेता पैदा करने शुरु कर दिए हैं।और इन आरक्षणी नेताओं की दाल-रोटी और सियासत ही इस
आरक्षण से चलती है।आरक्षण खत्म तो इन नेताओं की असमय मृत्यु निश्चित जानिए।
दरअसल ऐसा क्यों नहीं होता कि आरक्षण रुपी दानव को मिलकर हम सब जलाकर भस्म कर
दें और जिस प्रकार रावण को जला कर हम असत्य पर सत्य की विजय की पताका फहराते हैं
उसी प्रकार निरर्थकता से सार्थकता की ओर,असमानता से समानता के लिए,अयोग्य से योग्य
बनने के लिए आरक्षण रुपी राक्षस को मिलकर जलाएं और सर्वधर्म समभाव की कल्पना को
साकार करें।
क्योंकि गरीब (चाहे वो बौद्धिक हो,सामाजिक हो या फिर आर्थिक हो)पैदा होना आपके
वश में नहीं है लेकिन अमीर (बौद्धिक तौर पर,सामाजिक तौर पर औऱ आर्थिक तौर पर) होकर
मरना आपके वश में है।जिसके लिए आपको मेहनत करने की आवश्यकता है,कर्म करने की
आवश्यकता है।
जहां तक रहा सवाल अमीरी और गरीबी का.....तो वो समाज के हर वर्ग विशेष में हैं।आरक्षण
बहुत आवश्यक है तो सरकार को चाहिए कि चाहे वो किसी भी वर्ग का हो उसकी आवश्यकता के
अनुरुप उसकी सरकारी मदद अवश्य होनी चाहिए।लेकिन हां आरक्षण नाम से नहीं।आरक्षण नाम
ही समाज में भेद पैदा करने के लिए काफी है,तो सबसे पहले इस नाम पर पाबंदी लगानी
चाहिए।
एक बात और जिन्हें ये लगता हो डा. भीमराव रामजी अंबेडकर साब पर उनका कापीराइट
है तो उन्हें इस गफलत में नहीं रहना चाहिए।क्योंकि संविधान भारत का है,भारत के लिए
है,भारत के लोगों से है तभी तो बाबा साहब ने “हम भारत के लोग…” संविधान में लिखा।
तो हम भारत के लोग संविधान सम्मत आप सभी से अपील करते हैं कि देश जोड़ने के
लिए,देश में समानता लाने के लिए इस आरक्षण रुपी जोंक को काट-काट के जला डालिए नहीं
तो आने वाली नस्लें आपको इतना कोसेंगी कि आपको मृत्युलोक में भी चैन नहीं मिलेगा।
नोट-(किसी भी जाति धर्म सूचक शब्द का प्रयोग नहीं किया हूं क्योंकि भारतीय
होने के नाते सभी मेरे भाई हैं,लेकिन आंख से पर्दा उठाने के लिए इस प्रकार से लिखना
जरुरी था क्योंकि आज मैं चार घंटे जाम में फंसा रहा हूं सिर्फ इस आरक्षण के
कारण,जरा सोचिए एक जाम में फंसे होनो के कारण देश में कितने आम लोगों को मुश्किलों
का सामना करना पड़ा होगा चाहे वो आर्थिक तौर पर हो सामाजिक तौर पर...मेरे इस लेख
से किसी महानुभाव को व्यक्तिगत तौर पर कष्ट हो तो मुझे खेद है लेकिन देश के हित
में आरक्षण खत्म हो,हम हमेशा यही चाहेंगे)
जय हिन्द जय भारत,एक भारत श्रेष्ठ भारत
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