संदीप
कुमार मिश्र: अटल सौभाग्य का पवित्र पावन त्योहार है अक्षय
तृतीया।इसीलिए वैवाहिक जीवन के शुभारंभ के लिए सबसे पवित्र दिन माना जाता है अक्षय
तृतीया।कहते हैं कि दान-पुण्य करने से अक्षय फल की मिलता है। अक्षय तृतीया के दिन गुड़, चांदी, नमक, शहद, गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, और कन्या दान
करने का महत्व बताया गया है।कहा जाता है कि इस दिन आप जो कुछ भी जान करते हैं उसका
चार गुना फल आपको मिलता है।
मित्रों वैसे तो प्रत्येक माह में पड़ने वाली शुक्ल पक्ष की
तृतीया शुभ होती है लेकिन धर्म ग्रंथों में वैशाख माह की तृतीया स्वयंसिद्ध
मुहूर्त मानी गई है। इसलिए इस दिन बिना पंचांग देखे शुभ व मांगलिक कार्य किए जाते
हैं।इसलिए ही ज्यादातर शुभ कार्यों का आरंभ भी इसी दिन होता है।
अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया
तिथि है। अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं हो। माना जाता है कि इस दिन जो भी
पुण्य अर्जित किए जाते हैं उनका कभी क्षय नहीं होता है। इस दिन आरंभ किए गए कार्य
भी शुभ फल प्रदान करते हैं। अक्षय तृतीया के दिन हिन्दू धर्म के मानने वाले श्रद्धा भाव
के साथ गंगा स्नान भी करते हैं और पूजन अर्चन भी करते हैं।
आभूषण खरीदने के लिए अक्षय तृतीया का दिन शुभ माना जाता है।कहते
हैं कि इस दिन खरीदा गया सोना अखंड सौभाग्य प्रदान करता है।इतना ही नहीं यदि आप
किसी काम को आज के दिन शुरु करना चाहते हैं तो आपका कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी
बढ़ता है और फलता-फूलता है।
अक्षय
तृतीया पर क्यों किया जाता है दान : 14 प्रकार के दान का अत्यधिक महत्व
अक्षय तृतीया के दिन 14 प्रकार के दानों को सर्वश्रेष्ठ
बताया गया है। 1. गौ, 2. भूमि, 3 . तिल, 4. स्वर्ण, 5 . घी, 6. वस्त्र, 7. धान्य, 8. गुड़, 9. चांदी, 10. नमक, 11. शहद, 12. मटकी, 13 खरबूजा और 14. कन्या।
अक्षय तृतीया पर सुख समृद्धि और सौभाग्य की कामना करने वाले
भगवान शिव-पार्वती और नर नारायण की पूजा करते हैं।जैसा कि हम जानते हैं तृतीया मां
गौरी की तिथि है। इस दिन गृहस्थ जीवन में सुख-शांति की कामना से की गई पूजा-अर्चना
और प्रार्थना तुरंत स्वीकार की जाती है।
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