कब मिलेगा इंसाफ ?क्या ऐसे ही बेटी बचावो बेटी पढ़ाओ का सपना
होगा साकार ???
संदीप कुमार
मिश्र : शर्म आती है ऐसी
व्यवस्था और राज पर..जहां मानवता शून्य हो जाती है और अनाचार ,दुराचार का बोलबाला बढ़ जाता है...क्या फर्क है
पूर्व की सरकारों और वर्तमान की सरकार में।व्यवस्थाएं तो जस की तस है...क्या ऐसे
आएगा रामराज्य? अरे फैसला जब
होगा तब होगा लेकिन अन्याय होता देख आंख पर पट्टी बांधे कैसे रह सकता है
कोई...बीजेपी के वर्तमान नेताजी लोगों को एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि ये
पार्टी आपके द्वारा सींची गई होती तो कब की नेस्तनाबूत हो गई होती लेकिन ये पार्टी
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के अथक परिश्रम और
संघर्षों से तैयार हुई पार्टी है जिन्होंने एक मत कम पड़ जाने पर सत्ता छोड़ना
स्विकार किया लेकिन सिद्धांतों से समझौता नहीं किया...और आज ?....सत्ता के लिए कुछ भी...? ये स्वस्थ लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं...
अरे सत्ता आती
रहेगी जाती रहेगी....जनमन के विश्वास की सत्ता होती है....विश्वास खतम तो रावण के
सोने की लंका की तरह सब कुछ जल कर राख और खाक हो जाएगा...जैसा कांग्रेस के साथ
पूर्व में हुआ। इसलिए अभिमान को त्यागकर स्वाभिमान के साथ न्याय को सर्पोपरि रखते
हुए कार्य को आगे बढ़ाना चाहिए।एक नहीं एक दर्जन विधायकों,मंत्रियों की कुर्बानी देनी पड़े तो दे दिजिए साब लेकिन
जनमन के विश्वास को कम मत होने दिजिए...
और खासकर केसरिया
रंग की चमक मत फिकी पड़ने दिजिए।क्योंकि यही वो रंग है जो आंखों और मन को चुभता
नही सूकुन देता है।“बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” के पावन संकल्प को जुमला मत बनने दें।विरोधी तो तैयार ही
बैठे हैं,आखिर क्यों एक के बाद एक
अवसर प्रदान करते जा रहे हैं।प्रयास जहां जातिवाद,संप्रदायवाद को खत्म कर गरीबी,भुखमरी,बेरोजगारी से देश
की जनता को निजात दिलाकर शिक्षा और स्वास्थ्य पर बल देने की है वहां एक बेटी को
न्याय नहीं मिल पा रहा है,एक पिता की ऐसी हत्या ???????
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