Friday, 6 April 2018

2 से 282 तक का सफर: अंधेरा छंटा, सूरज निकला और फिर प्रचंड कमल खिला: बीजेपी के स्थापना दिवस पर विशेष



संदीप कुमार मिश्र: 6 अप्रैल 1980 को जब भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ था तब देश में कांग्रेस के प्रचंड उदय का काल था।तब शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि जहां देश की आजादी के बाद से लगातार देश पर एक ही सियासी पार्टी का वर्चस्व रहा हो वहां किसी अन्य पार्टी का उदय इस रुप में होगा।क्योंकि कांग्रेस के साथ ही अनेकों पार्टीयां देश में थी लेकिन जो करिश्मा बीजेपी ने कर दिखाया वो कोई अन्य पार्टी कर नहीं पाई। बीजेपी ने 2 सीट से 282 तक का जो सफर तय किया उसका भरोसा बीजेपी के लोकप्रिय जननायक कविह्रदय राजनेता पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को था।तभी तो भाजपा की स्थापना के बाद हुए पहले पार्टी अधिवेशन में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था- भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खड़े होकर मैं यह भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा। 


आज 38 वर्ष बाद भारतीय जनता पार्टी बड़े गर्व से अपना स्थापना दिवस मना रही है।यकिनन बीजेपी की ये सफलता कड़े संघर्षों और मुश्किलों का ही परिणाम है, सफलता का आनंद परिश्रम के दुर्गम रास्ते से होकर ही जाता है।तकरीबन चार दशकों के इस यात्रा में कहना गलत नहीं होगा कि बीजेपी ने देश को न सिर्फ वंशवाद से निजात दिलाई बल्कि लोकतंत्र को भी संबृद्ध किया,साथ ही जहां आम जन का विश्वास राजनीति से खत्म हो रहा था, उस भरोसे को भी कायम किया।जिसका परिणाम है कि देश में राष्ट्रवाद पर चर्चा शुरु हुई और देश की संबृद्ध संस्कृति को बल मिला।कहते हैं कि जिस देश की संस्कृति जितनी संबृद्ध होती है उसकी पहचान उतनी सबल होती है और बीजेपी ने उसी सबलता को बढ़ाने का काम किया।

आपको याद होगा 1984 का वो दौर जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी उसके बाद देश के 8वें लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने तकरीबन 409 सीटें जीती थी।एक ऐसा जनाधार कांग्रेस को मिला था जिसके आगे सभी पार्टियां चारों खाने चित हो गई थी।उस दौर में बीजेपी को महज 2 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था।ऐसे में जनसंघ जैसे मजबूत संगठन से निकली पार्टी के लिए आत्ममंथन तो करना ही था।परिणाम हुआ कि अथक परिश्रम और देशभर में हुए जनआंदोलनो  की वजह से 1989 के आम चुनाव में बीजेपी ने 85 सीट पर जीत दर्ज की।यही वो शानदार दौर था जिसे आप बीजेपी के वास्तविक सफलता का दौर कह सकते हैं।

सियासी समय का पहिया लगातार आगे बढ़ता गया और चुनाव दर चुनाव बीजेपी 1991-99 तक के आम चुनावों में लगातार अपना जनाधार बढ़ाती गई और सीटें संसद में बढ़ती गईं।बीजेपी के बढ़ते जनाधार का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि 1996 के चुनाव में पहली बार बीजेपी ने कांग्रेस से ज्यादा सीटें अर्जित की।कांग्रेस जहां 140 सीटें पाई वहीं बीजेपी 161 सींटो पर विजय पताका फहराने में सफल रही।परिणामस्वरुप देश में अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी। और फिर लगातार बीजेपी ने उतार-चढ़ाव के साथ अपना विस्तार राज्य दर राज्य किया।कहना गलत नहीं होगा कि ऐसा तभी संभव हो पाता है जब नियत में राष्ट्रहित समाहित हो।राष्ट्र का हित तभी हो पाता है जब देश की आवाम के जीवन स्तर में सुधार आये और वर्तमान में देखें तो बीजेपी ने देश को न सिर्फ विकल्प की राजनीति देने का काम किया वरन समाज के वंचित, शोषित और अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को अंत्योदय के सिद्धांत के साथ अपने चिंतन में सहभागी बनाया।
राष्ट्रहित में बीजेपी की शानदार सोच का ही परिणाम है कि बीजेपी आज देश ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है,जिसमें 11 करोड़ सक्रिय सदस्य हैं।समय और समाज के साथ निरंतर बन रहे तारतम्य का ही परिणाम है कि बीजेपी एक के बाद एक राज्य फतह करती जा रही है और विरोधी चुनाव दर चुनाव हारते जा रहे हैं।आप कह सकते हैं कि वर्तमान में मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी का ये अब तक का सर्वश्रेष्ठ दौर है।आप इसे बीजेपी का स्वर्णिम काल भी कह सकते हैं क्योंकि ऐसा कहने के कई कारण भी मौजूद हैं।लेकिन इसकी बुनियाद तो तभी रख दी गई थी जब अटल जी के नेतृत्व में एक भारत श्रेष्ठ भारत बनाने की शुरुआत कर दी गई थी।क्योंकि उन्हीं के कार्यकाल में राजनीतिक दलों, नदियों, सड़कों, वायु मार्गों, विदेशी संबंधों को जोड़ने की सार्थक कोशिश की गई।
वर्तमान में नरेंद्र मोदी सरकार की लोककल्याणकारी नीतियों जैसे स्वास्थ्य बीमा, फसल बीमा योजना जन-धन योजना, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, जन-सुरक्षा योजना, , मुद्रा योजना, स्वच्छता अभियान (शौचालय निर्माण), पंडित दीनदयाल ग्राम विद्युतीकरण योजना सहित बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओजैसे अति महत्वपूर्ण कार्यों की देन है कि जो विकास का पहिया रुक सा गया था वो अब दौड़ने लगा है जिससे समाज के अंतिम पायदान पर बैठा व्यक्ति लाभान्वित हो रहा है।सोचने का विषय है कि जो किसान देश का पेट भरता है वो आजादी के 70 दशक बाद भी भुखमरी का शिकार था। जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने मुस्कुराने का अवसर दिया और किसानों को उसकी लागत मूल्य का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का साहसिक निर्णय लिया।

जब तक नीतियां लोककल्याणकारी नहीं होती तब तक उनका लाभ आम जन को नहीं मिल पाता। आज 21 राज्यों में बीजेपी व सहयोगी दलों की सरकारें हैं।ये तभी संभव हो पाया जब सरकार की नियत में सबका साथ और सबका विकास समाहित था।
बीजेपी लगातार समाज के हर वर्ग से जुड़कर, संवाद स्थापित कर सामाजिक कार्यो को करने में आगे रही और सवा सौ करोड़ भारतीयों के उत्थान के कार्यों को ही अपनी कार्यपद्धति का हिस्सा बनाई।जिसका परिणाम है कि ग्राम पंचायत से लेकर लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन तक बीजेपी अपना परचम लहरा रही है और इस कार्य को पूरा करने के लिए इसमें पार्टी कार्यकर्ताओं,कुशल नेतृत्व और जन मानस की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की क्षमता का अथक प्रयास होने से ही ऐसा संभव हो पाया।

आज हमारा पड़ोसी आंखें नहीं दिखा पा रहा है या फिर विश्व में भारत का डंका बज रहा है तो इसमें एक सशक्त नेतृत्व की विशेष भूमिका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी।

यकीन मानिए जब किसी राष्ट्र नेता के लिए देश ही सर्वोपरि होता है तभी सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी, जीएसटी और काले-धन पर प्रहार जैसे कड़े फैसले लिए जा सकते हैं और तभी भारत को विश्वगुरु बनाने का सपना भी साकार हो सकता है। सबका साथ-सबका विकास और एक भारत श्रेष्ठ भारत का सपना भी तभी साकार हो सकता है जब कड़े फैसले लेने की क्षमता वाला राष्ट्रनेता हो।नहीं तो वंशवाद और भ्रस्टाचार के कलंक को तो देश झेलता ही रहा है आजादी को कई दशकों तक।बीजेपी को उसके स्थापना दिवस की बहुत बहुत बधाई और देश को विकास की राह पर निरंतर भविष्य के दशकों तक आगे बढ़ाने के लिए शुभकामनाएं।


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