संदीप कुमार मिश्र: मोदी सरकार ने 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले अपना अंतिम
पूर्ण बज़ट पेश कर दिया है,जिसपर मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।लेकिन
इस बार के बज़ट में मोदी सरकार ने देश के करीब साढ़े तेरह करोड़
किसानों को अपने इस बार के बजट में जो सौगात दी हैं। उसे मोदी सरकार आने वाले
लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी पार्टी बीजेपी के लिए सबसे बड़े दांव के तौर पर देक
रही है।
दरअसल जब गुजरात में बीजेपी एक बार फिर से सरकार बनाने में
कामयाब रही लेकिन एक बात जो निकलकर सामने आई वो ये कि शहर और गांव के बीच एक बड़ा
अंतर आ गया था..मोदी सरकार के करीब जितने शहरी नजर आए उतने ही ग्रामीण भारत के लोग
दूर होते नजर आए।जिसका परिणाम था कि गुजरात में बीजेपी ने सरकार तो बना ली लेकिन
99 के फेर में फंस गयी।कारण साफ था...किसानो की नाराजगी....।ये कहीं ना कहीं पीएम
नरेंद्र मोदी के लिए सबसे बड़ी चिंता की वजह थी...जिसका परिणाम था शहर और ग्रामीण
के बीच की खाई को पाटने के लिए इस बार के बज़ट में किसानो पर विशेष जोर दिया गया
लगता है।
यहां पर एक बात जानना और भी बेहद जरुरी है कि जब वित्त
मंत्री संसद में बज़ट पेश कर रहे थे तो उनका सबसे ज्यादा समय किसानों की योजनाओं
के एलान में ही गया। जिसके बाद चर्चाओं में सबसे ज्यादा चर्चा स्वामीनाथन रिपोर्ट
की रही।ऐसे में जानना जरुरी है कि आखिर क्या है स्वामीनाथन रिपोर्ट..?
जानिए क्या है,कौन हैं और कब बनी स्वामीनाथन रिपोर्ट ?
डॉक्टर एम. एस. स्वामीनाथन भारत के मशहूर कृषि वैज्ञानिक
हैं और उन्हें हरित क्रांति का जनक कहा जाता है। स्वामीनाथन ने खाद्यान में देश को
आत्मनिर्भर बनाया है। स्वामीनाथन को पद्मश्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।भारत में हरित
क्रांति के जनक कहे जाने वाले कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने भारत में कृषि
क्षेत्र की हालत बेहतर बनाने पर जोर दिया,जिसके परिणामस्वरुप नवंबर 2004 में यूपीए
सरकार ने प्रोफेसर स्वामीनाथन की अध्यक्षता में 'नेशनल कमीशन ऑन फारमर्स' बनाया था। दो सालों में इस कमेटी ने छह रिपोर्ट
तैयार किये। इस रिपोर्ट में 'तेज और संयुक्त विकास' की बात कही गई।
(अब ऐसे में सवाल उठता है कि जो काम उस समय की यूपीए सरकार
नहीं कर पाई थी,क्या उसे मोदी सरकार ने कर दिखाया ? क्या हकिकत में मोदी सरकार ने स्वामीनाथन
रिपोर्ट को लागू किया ? क्योंकि सरकार का दावा हैं कि बजट में एमएसपी को डेढ़ गुनाकर
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू कर दीं गई हैं.)
लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है ? क्या कहती है
रिपोर्ट ?
स्वामीनाथन रिपोर्ट कहती है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य
(एमएसपी) किसान की लागत में 50 प्रतिशत लाभ जोड़कर तय किया जाना चाहिए।जिसे मोदी सरकार
ने इस बजट (2018) में लागू कर दिया।
क्या कहती है रिपोर्ट ? स्वामीनाथन रिपोर्ट कहती है
कि किसानो को खेती के लिए सही मात्रा में पानी मिले। इस लक्ष्य से
पंचवर्षीय योजनाओं में ज्यादा धन आवंटन हो।
मोदी सरकार ने क्या किया ? सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री
कृषि सिंचाई योजना में बजट आवंटित किया गया है जिससे 'हर खेत पानी' पहुंचाने का लक्ष्य है।
क्या कहती है रिपोर्ट ? स्वामीनाथन रिपोर्ट कहती है
कि प्राकृतिक आपदाओं में बचाने के लिए कृषि राहत फंड बनाया जाए
मोदी सरकार ने क्या किया ? मोदी सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री फसल
बीमा योजना को मजबूत बनाया गया है।
क्या कहती है रिपोर्ट? स्वामीनाथन रिपोर्ट कहती है कि सस्ती दरों पर
क्रॉप लोन मिले।
मोदी सरकार ने क्या किया ?सरकार का कहना है कि चार फीसदी
रियायती ब्याज दर पर तीन लाख रुपए तक लोन देने का फैसला किया गया है।
क्या कहती है रिपोर्ट ? स्वामीनाथन रिपोर्ट कहती
है कि मृदा जांच एवं उत्पादकता बढाने की तकनीक को लाया जाए।
मोदी सरकार का कहना है कि सॉयल हेल्थ कार्ड
के माध्यम से मृदा की जांच करके, अत्यधिक उत्पादन क्षमता बढ़ाने की कोशिश की गई है।
ऐसे में सवाल ये है कि क्या मोदी सरकार स्वामीनाथन रिपोर्ट को
किसानो के हित में लागू कर पाई है ?
आपको बता दें कि सरकार के दावों पर खुद स्वामीनाथन ने मुहर
लगा दी है। प्रोफेसर स्वामीनाथन का कहना है कि, ''मुझे खुशी हैं कि मेरी सिफारिशें लागू की गईं, ये देर से उठाया
गया सही कदम है.'' इससे साफ है कि सरकार ने आयोग की ये सिफारिशें मान ली है और
बाकी सिफारिशों की दिशा में प्रयास किया।
अंतत: किसानो की बेहतरी
की बात मोदी सरकार ने अपने 2014 के चुनावी घोषणापत्र में भी की थी,जिसे धीरे-धीरे
ही सही लेकिन सरकार उस दिशा में बढ़ती हुई नजर आयी।देखना दिलचस्प होगा कि किसानो
के हित में मोदी सरकार इन योजना का लाभ किसानो तक कब तक पहुंचा पाती है।क्योंकि
चुनाव सिर पर है और मोदी सरकार जरुर सत्ता में बनी रहना चाहेगी,जिसकी बागडोर देश
के किसानो के हाथ में हैं क्योंकि भारत की आत्मा तो गांवो में ही निवास करती है और
वोट भी......!!!
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