संदीप
कुमार मिश्र: सबसे पहले तो मित्रों ये स्पस्ट कर दें कि भारत में रहने वाला कोई
भी शख्स,धर्म,समुदाय का हो...सबको भाव और भक्ति से वंदेमातरम् कहना ही होगा इसमे
किसी को संदेश नहीं होना चाहिए।क्योंकि सर्वधर्म सम्भाव का देश है भारत।भरत में रहने
वाले लोगों की जुबान पर भारत माता की जय गर्व से कहना चाहिए। अफसोस होता है जब चंद
लोग ‘वंदे मातरम्’ कहने पर आपत्ति करते हैं ?
सवाल
उठता है कि भारत में रहते हुए भी वंदे मातरम् गाने या मां तुझे सलाम या भारत माता
की जय कहने में दिक्कत क्या है ?
दरअसल
ये हर किसी को जान लेना चाहिए कि वंदेमातरम् का मतलब तो मां की वंदना,प्रशंसा करना
होता है।क्योंकि 125 करोड़ के इस देश में चाहे जाति, रंग, पंथ या धर्म किसी का कुछ भी हो,हम हैं तो सभी भारतीय ही।आपको बताते
चलें कि हिंदुत्व के मुद्दे पर माननिय सुप्रीम कोर्ट के 1995 के फैसला था कि हिन्दुत्व कोई धर्म
नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है,एक जीवन पद्धति है।
‘भारत की संस्कृति और परंपरा है हिंदुत्व’
एक
कार्यक्रम में देश के उपराष्ट्रपति श्री वैंकैया नायडू ने कहा कि, हिंदू धर्म एक संकुचित संकल्पना नहीं
है, यह भारत का एक व्यापक सांस्कृतिक अर्थ
है। हिंदू धर्म भारत की संस्कृति और परंपरा है, जो
कई पीढ़ियों से गुजरा है। नायडू ने भारतीयों के अहिंसक प्रकृति के लिए हिंदू धर्म
को कारण बताया।
अपनी
बात को आगे बढ़ाते हुए नायडू ने कहा कि, भारत
पर हमले किए गए, शासन किया गया, नुकसान पहुंचाया गया और लूटा गया, लेकिन भारत ने अपनी संस्कृति के चलते
कभी किसी देश पर हमला नहीं किया। हमारी संस्कृति हमें वसुधैव कुटुम्बकम सिखाती है, जिसका मतलब है कि दुनिया एक परिवार है।
अंतत: भारत में रहने वाले ये बात भलीभांति
जान लें कि जिन्हें भारत में रहते हुए मां भारती का सम्मान करना नहीं आता या जो
नहीं करना चाहता उसे भारत में रहने का कोई हक नहीं। क्योंकि राष्ट्र भक्ति से कोई
समझौता नहीं हो सकता और होना भी नहीं चाहिए।
।।वंदे मातरम्।भारत माता की जय।।
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