आतंक
की फैक्ट्री पाकिस्तान और उसका ठेकेदार आतंकवादी हाफिज सईद।जितना सिरदर्द भारत के
लिए बना हुआ है वो किसी से छुपा नहीं है।जिसे अपनी गोद में बैठाकर पाक के हुक्मरान
और आर्मी पालते पोसते हैं।बार-बार मुंबई हमले के इस मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन
जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद की गिरफ्तारी और रिहाई का नाटक पाकिस्तान करता है।जिसकी
जानकारी अब विश्व समुदाय को भी बखुबी हो गई है।क्योंकि पाक का घटिया ड्रामा इतनी
बार हो चुका है कि अब उसमें से सड़न आने लगी है।
दरअसल
अब तो सभी जान गए हैं कि जब भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय का पाक पर दबाव बढ़ता है तो दुनिया
को दिखाने के लिए पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा के साथ जमात-उद-दावा जैसे आतंकी संगठनों
पर फर्जी कार्यवाही करता है और फिर धीरे धीरे उनपर दबाव कम करने का नाटक करते हुए हाफिज
सईद जैसे मानवता के दुश्मनों को रिहा कर देता है। जिससे ऐसे दरिंदे खुले आसमां तले
अपनी गंदी जुबान से फिर से जहर उगलने लगते हैं।एक बार फिर कुछ ऐसा ही ड्रामा
पाकिस्तान ने किया जब दस महीने की फर्जी नजरबंदी का नाटक रचने के बाद हाफिज सईद को
रिहा कर दिया गया।
सच्चाई
ये थी कि जब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के ने आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई
करते हुए आपरेशन क्लीन चलाया और जिसकी वजह से आतंकियों के नापाक मंसूबों का
दाहसंस्कार होने लगा तो आतंकियों के ठेकेदार और पाकिस्तानी फौज पागल होने
लगी।क्योंकि जकीउर्रहमान लखवी और मसूद अजहर जैसे खूंखार आतंकियों के भतीजों के
मारे जाने के बाद पाकिस्तानी फौज, आइएसआइ
और सरकार को फिर से अपने हाफिज सईद रुपी प्यादे की जरूरत महसूस होने लगी जिसके माध्यम
से पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की नई नवेली पौध को फिर से तैयार कर सके।तभी
तो रिहाई के हाफिज सईद ने अपना गंदा पाकिस्तानी राग यानि ‘कश्मीर मसला’ और कश्मीरियों को आजादी दिलाने की
नापाक बातें दोहराने लगा।
असल
बात ये थी कि जब हाफिज सईद को नजर बंद किया गया था तो उसके पीछे सबसे बड़ा कारण था
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का इस्लामी चरमपंथ फैलाने वाले देशों की खिलाफ
कार्रवाई।ऐसे तो पाकिस्तान प्रतिबंधित देशों की विवादास्पद सूची से बाहर था लेकिन डर
तो था कि अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में उसकी और भद्द ना पिट जाए।तभी तो पाक ने आनन-फानन
में अपने कई दामादों जैसे हाफिज सईद, अब्दुल्ला उबैद, जफर इकबाल, अब्दुर्रहमान आबिद और काजी काशिफ नियाज
पर नजरबंदी की कार्रवाई की।
विश्व
समुदाय अच्छी तरह जानता है कि 26/11
मुंबई हमले में तो भारत की तरफ से पाकिस्तान को कई डोजियर सौंपे गए।लेकिन निष्कर्ष
कुछ नहीं निकला और पाक की अदालत ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया।पाकिस्तान की दिक्कत
ही यही है कि अपनी सरजमीन से फलने-फूलने वाले आतंकवाद और आतंकवादियों को पाकिस्तान
अपने दामाद की तरह सेवा करता है,पालता पोसता है।जिसके लिए पाकिस्तानी सेना और उसकी
खुफिया एजेंसी आइएसआइ आतंकियों का भरपूर साथ देती है।
अंतत: जरुरत है कि पाकिस्तान की हर हरकत का
बड़ी कड़ाई से जवाब दिया जाए और विश्व पटल पर पाको को बेनकाब करने की सशक्त कोशिश
की जाए।क्योंकि पाकिस्तान इतनी आसानी से अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला है।जिस
भाषा में उसे समझ मे आए उसी उसी भाषा में समझाने की जरुरत है।जय हिन्द।
No comments:
Post a Comment