Saturday, 29 July 2017

नीतीश कुमार को मोदी का साथ पसंद है !

संदीप कुमार मिश्र:  (गांव के चौराहे पर चर्चा करते हुए कुछ लोग) का भईला...आ बिहार त रोजे नया नया रुप रंग धई लेत बा...ई कुर्सीया में बड़ा दम बा जी...कुछो करवा दे...कब गठबंधन.... आ कब लठबंधन....केहु नईखे जानत....आ ठिके बा...नाही त मउज कईसे आई...।
अरे भईया कहे के ना चाही(दबी आवाज में)लेकिन ई लालू जी त अगिये मुतत नू रहले...मेहरी, लईका, दामाद आ अपने खुदे...केतना घोटाला करिहें ही...
सुनिले कि कई हज्जार करोड़न के प्रापर्टी कई लिहले बा सार...बहुते बड़का डकईत बा...ऐ भाई हम त पहिलहीं कहले रहलीं न कि इ चल ना पाई...कांहे कि सुससना ढ़ेर दिन बर्दास्त नईखे कई पाई...
त का भईल...दुनो हाथ मे त लड्डू बा...एगोके छोड़...आ दूसरका के थामी ल...उहो त तैयारे बईठल नू बाआआआ...हा हा हा हा हा (ठहाका लगता है,चाय की चुस्की के साथ)
खैर इस बात में तो कोई शक सुबहा नहीं है कि सुशासन बाबु की राजनीतिक,कुटनीतिक समझ और मौके का लाभ उठाने की कला उनमें अद्वितीय है।सही समय पर सही फैसला और सही निर्णय के साथ ही अपनी गलतियों से सीख कर फिर से तरोताजा होकर उभरना कोई नीतीश कुमार से सीख सकता है...।

तकरीबन महीने भर चली आक्रोश और खामोशी का अंत हो ही गया और बिहार में चल रहा महागठबंधन...लठबंधन में तब्दिल हो गया।महागठबंधन के सीएम साहेब नीतीश कुमार अब एनडीए के मुख्यमंत्री हो गए हैं।लालू का लालटेन खंड़-खंड़ हो गया है...क्योंकि धनुष पर प्रत्यंचा स्वयं नीतीश कुमार ने चढ़ाई थी, नजर लालटेन पर थी तो नेपथ्य में खड़े थे स्वयं वर्तमान सियासत में अग्रगण्य मोदी-शाह की यूगल जोड़ी...मुस्कुराहट भरे नजरों का इशारा पाकर अपनी तीव्र गति से जलती हुई लालटेन 24 घंटे के अंदर ही ऐसे धराशायी हो गई जैसे पानी के बीना मछली छटपटाने लगती है

अलविदा महागठबंधन: नीतीश कुमार
मंजिल को तय करते हुए रास्ते में बरसात हो जाए तो किसी पेड़ का सहारा लेना कोई बुरा नहीं है।बरसात खत्म और मंजिल की तरफ बढ़ गए कदम।कुछ ऐसा ही हुआ बिहार की सियासत में... नीतीश कुमार ने महागठबंधन को बाय-बाय कहा और अपने पुराने साथी बीजेपी(एनडीए) का दामन थाम लिया।जिसकी वजह से लालू और कांग्रेस का बिहार में नुकसान होना तय है।बीजेपी के लिए ये सब किसी मनोकामना पूर्ण होने जैसा है। क्योंकि कांग्रेस मुक्त भारत की ओर बढ़ते बीजेपी के कदम को एक और सफलता मिल गयी । एक अहम राज्य उनकी झोली में और आ गया...इस पूरे घटनाक्रम में एक बात तो थी कि नीतीश कुमार एक सर्वमान्य नेता और नायक के तौर पर उभर कर सामने आए...क्योंकि जनसामान्य में जो संदेश गया वो ये की कि उसूलों के लिए नीतीश ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

समय और काल की परिस्थिति की समझ ही है कि नीतीश कुमार की राजनीतिक समझ पर किसी प्रकार का कोई संदेह कोई नहीं कर सकता... एक गलती के तौर पर आप कह सकते हैं कि 2013 में एनडीए से अलग होना नीतीश जी की राजनीतिक भूल हो सकती है क्योंकि लोकसभा चुनाव में उनकी सीटों की संख्या घटकर 2 रह गयी...।

जब बिहार विधान सभा चुनाव में महागठबंधन हुआ तो नीतीश कुमार की बड़ी आलोचना हुई।लेकिन नीतीश जानते थे कि वो क्या कर रहे हैं...विधान सभा चुनाव के दौरान नीतीश यदि बीजेपी के साथ रहते तो कहीं ना कहीं उनकी स्‍थ‍िति उस योद्धा की तरह होती जो युद्ध में हार के बाद आत्मसमर्पण करने जा रहा हो।लेकिन नीतीश कुमार अपने मुख्य सहयोगी लालू यादव के  साथ मिलकर दो माइनस मिलकर एक प्लस बनाने की दिशा में आगे बढ़ गए। जिसका परिणाम था कि नीतीश की बिहार चुनाव में विजय हुई और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। इस जीत से नीतीश एक सर्वमान्य नेता बने जिससे बीजेपी का आकर्षण नीतीश के प्रति बना रहा... जिसका परिणाम है कि बीजेपी को नीतीश का साथ पसंद है।


खैर एक बात तो तय है कि भविष्य में देश की राजनीति में बहुत कुछ नया देखने को मिलेगा।जिससे मीडिया में खबरों का टोटा भी नहीं रहेगा..टीआरपी भी बनी रहेगी।

शनिदेव का धाम श्री शिंगणापुर

संदीप कुमार मिश्र: शनिदेव की महिमा निराली है।जिनपर खुश हो जाएं उसकी झोली भर दें और जिस पर नाराज हो जाएं उसे राजा से रंक बना दें।तभी तो देस के हर हिस्से में शनिदेव की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव से होती है।ऐसे तो हमारे देश में भगवान सूर्य देव के पुत्र शनिदेव के अनेकों मंदिर हैं। लेकिन सबसे प्रिय और लौकमान्य मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर ही है।

जिसकी विश्व प्रसिद्ध मान्यता है,दरअसल शिंगणापुर में शनिदेव खुले आसमान को नीचे विराजते हैं,यहां पर किसी भी प्रकार का छत्र या गुंबद नहीं है,हां संगमरमर का चबूतरा अवश्य बनाया गया है जिसपर विराजते हैं शनिदेव महाराज।

शनि के धाम शिंगणापुर के शनि मंदिर में लोहा एवं पत्थर जैसी दिखाई देनेवाली, काले वर्ण की शनिदेव की प्रतिमा लगभग 5 फीट 9 इंच लंबी और एक फीट 6 इंच चौड़ी है,जो हर मौसम में खुले में ही रहती है। श्री शनि शिंगणापुर में शनिदेव की महिमा का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यहां पर किसी भी घर में दरवाजा नहीं, वृक्ष है पर छाया नहीं है भय है, पर शत्रु नहीं...यहां की रक्षा स्वयं शनिदेव महाराज करते हैं।

श्री शिंगणापुर की प्रसिद्धी का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 13 हजार से ज्यादा शनिभक्तों का यहां प्रतिदिन दर्शन करने आते है,और खासकर शनि अमावस, शनि जयंती को बड़े मेले का आयोजन होता हैजिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

शनिदेव की साधना का मूल मंत्र
जीवन के अच्छे क्षणों में शनि की प्रशंसा करनी चाहिए।मुश्किल घड़ी में भी शनिदेव का दर्शन अवश्य करना चाहिए, पूजा करनी चाहिए। जीवन के हर पल शनिदेव के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना चाहिए।इन सूत्रों का जो निरंजर अपने जीवन में पालन करता है,उस साधक पर शनि की कृपा सदैव बनी रहती है।

जानिए शनि देव की क्या है महत्ता?
भगवान भास्कर यानी प्रत्यक्ष देव सूर्य के पुत्र शनि देव अति शक्तिशाली माने जाते हैं,जिनके हमारे जीवन में अद्भुत और विशेष महत्व बताया गया है। शनि देव ही मृत्युलोक के ऐसे स्वामी हैं, जो मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर सजा देकर उन्हें सुधरने के लिए प्रेरित करते हैं। लोकधारणा है कि शनि देव मनुष्यों के शत्रु हैं,इन्ही की वजह से परिवार में क्लेश, दुःख, पीड़ा, व्यथा, व्यसन, पराभव होता है।लेकिन, सच्चाई औरहकीकत ये है कि शनि देव उन्हीं को दंडित करते हैं जो बुरे कर्म करते हैं।कहने का मतलब है कि जो जैसा करेगा वो वैसा ही उसे भरना पड़ेगा। विद्वजनों का कहना है कि शनि मोक्ष प्रदाता ग्रह है और शनि हमें शुभ ग्रहों से कहीं ज्यादा अच्छे फल प्रदान करने वाले हैं।

शनि महामंत्र के जाप से दूर होगी साढ़ेसाती
कहते हैं कि जिस राशि में साढ़ेसाती लगती है उस राशि के जातक को शनि महामंत्र के 23 हजार मंत्रों को साढ़ेसात वर्षों के भीतर करना अनिवार्य है।जिसे भी शनि की सलाढ़ेसाती चल रही हो उसे शनि महामंत्र का जाप 23 दिनों के अंदर ही पूरा करना चाहिए। जिसके लिए जरुरी है कि साधक एक ही स्थान पर एक ही बैठकी में शनि महामंत्र का जाप करे।
ये है शनिदेव का प्रभावशाली महामंत्र:
ऊं निलांजन समाभासम्। रविपुत्रम यमाग्रजम्।।
छाया मार्तंड सम्भूतम। तम् नमामि शनैश्चरम्।।

भगवान शनिदेव शत्रु नहीं मित्र है।जो भी सच्चे मन से शनिदेव की पूजा अर्चना करता है,शनि देव उसकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।।जय शनिदेव।।

Friday, 28 July 2017

कांग्रेस मुक्त भारत की ओर बीजेपी के बढ़ते कदम!

संदीप कुमार मिश्र: राज्य दर राज्य बीजेपी के बढ़ते कदम कांग्रेस मुक्त भारत की बीजेपी की सोच को निरंतर बढ़ा रहे हैं।गठबंधन की ही सही लेकिन इस दिशा में एक अहम राज्य बीजेपी की झोली में और आ गया....बिहार...।देशभर में बीजेपी की पकड़ निरंतर मज़बूत होती जा रही है।जिसके दूरगामी परिणाम के रुप में 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केंद्र की सत्ता में वापसी रास्ता और प्रबल होता नजर आ रहा है।

आपको बता दें कि नीतीश कुमार का बीजेपी के साथ आने से उसके सहयोगी दलों का देश की लगभग 70 फीसदी से अधिक आबादी पर शासन हो गया है।बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की उन 12 राज्यों में से सात में सरकार है, जहां से 20 या इससे अधिक लोकसभा सदस्य चुने जाते हैं। ऐसे पांच गैर-बीजेपी राज्यों में क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व है।वहीं तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक और ओडिशा में बीजद भी कमल की तरफ लगातार बढ़ रहा है।

कांग्रेस की बात करें तो अब उसके पास इकलौता कर्नाटक जैसा बड़ा राज्य बचा हुआ है, जहां पर  अगले साल विधान सभा के चुनाव होने हैं।जहां पर बीजेपी बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।

कश्मीर से कन्याकुमारी और असम से कच्छ तक बीजेपी अपने मिशन पर लगातार आगे बढ़ रही है और भगवा मिशन को बिहार से विपक्ष को धराशायी करने के लिए एक और शक्ति मिल गयी है।
वहीं पश्चिम बंगाल में भी बीजेपी ममता दीदी की मजबूत पकड़ को ढ़ीला करने के लिए बड़ी तेजी से जमीनी स्तर पर काम कर रही है,जबकि दक्षिण भारत में जहां कभी बीजेपी का कोई आधार नहीं था वहां भी अपनी पैठ मज़बूत की है। आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी के साथ बीजेपी सत्ता पर काबिज है।जबकि तेलंगाना और तमिलनाडु में सत्तारूढ़ दलों के साथ भी बीजेपी के मधुर संबंध हैं।
ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि संभव है आने वाले समय में देश के सियासी नक्शे पर उत्तर से दक्षिण...और पूरब से पश्चिम तक भगवा रंग ही नजर आए...और भारतीय जनता पार्टी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार हो जाए...।



नीतीश के साथ आने से उत्साहित एक भाजपा नेता ने कहा, '2019 में विपक्ष की ओर से कौन सा चेहरा होगा? अखिलेश यादव, मायावती, ममता बनर्जी, लालू प्रसाद? भ्रष्टाचार और सुशासन पर हमें इनमें से कोई  घेर नहीं सकता. नीतीश का मामला अलग था.'

Thursday, 27 July 2017

इस बार शुभ योग में नागपंचमी शुभदायक है...

संदीप कुमार मिश्र: शिव के सावन में नाग देव की पूजा विशेष फलदायी है...खासकर इस श्रावण माह की नागपंचमी पर बन रहा है अति शुभ योग और संयोग। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को पड़ने वाली नागपंचमी का त्योहार वीरवार (27 जुलाई) को प्रात: 7 बजकर 2 मिनट पर कर्क लग्न में शुरू हो रही है वहीं 7 बजकर 14 मिनट पर कर्क लग्न समाप्त भी हो रहा है। आपको ये भी बता दें कि उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र वीरवार की रात को चार बजकर 39 मिनट पर समाप्त हो रही है।
साल 2017 की नागपंचमी विशेष महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि पंचमी तिथि का देवता सर्प है वहीं राहु को सर्प का स्वरूप कहा गया है,साथ ही लग्न का स्वामी चंद्रमा बुध के साथ है।जिस कारण लग्न में उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का स्वामी मंगल के साथ होने से ये सभी योग सर्पयोग बना रहा है।ऐसे में इस प्रकार के योग में सर्प देवता का पूजन करने से सर्पदंश का भय समाप्त हो जाता है।नागपंचमी के दिन यानि 27 जुलाई को दोपहर 1.30 बजे से 3.00 बजे तक राहु काल है।

वासुकिः तक्षकश्चैव कालियो मणिभद्रकः.
ऐरावतो धृतराष्ट्रः कार्कोटकधनञ्जयौ ॥
एतेऽभयं प्रयच्छन्ति प्राणिनां प्राणजीविनाम् ॥
(अर्थ: वासुकि, तक्षक, कालिया, मणिभद्रक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, कार्कोटक और धनञ्जय - ये प्राणियों को अभय प्रदान करते हैं.)
नागपंचमी पर करें विशेष पूजा
नागपंचमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साधक पूजन स्थान को पवित्र कर कुशा का आसन स्थापित करना चाहिए और फिर सबसे पहले हाथ में पानी लेकर अपने ऊपर व पूजन सामग्री पर छिड़कना चाहिए। इसके बाद संकल्प लेना चाहिए कि मैं कालसर्प दोष शांति हेतु यह पूजा-पाठ कर रहा/रही हूं। इसलिए मेरे सभी कष्टों का निवारण कर मुझे कालसर्प दोष से हे नागदेवता,हे भगवान शिव मुक्त करें। यह कहकर एक कलश स्थापित करके पूजा आरंभ करनी चाहिए। नागपंचमी के दिन दही, दूध, कुशा, गंध, पंचामृत, पुष्प, घी, फल, खीर के द्वारा नाग देवता की पूजा करें। नागपंचमी के दिन साधक को ऊं नम: शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र का जाप और भगवान शिव का ध्यान प्रात: व संध्या के समय करना चाहिए। इस दिन ब्राह्मण को भोजन करवाना चाहिए और फिर स्वंय भोजन करना चाहिए।
आपको बता दें कि 27 जुलाई 2017 को प्रात: 7 बजकर 5 मिनट तक भद्रा है, इसलिए इस समयावधि में पूजा ना करें। प्रात: 7 बजकर 5 मिनट पर प्रारंभ होगी पंचमी तिथि  जो कि 28 जुलाई को प्रात: 6 बजकर 38 मिनट तक रहेगी।इसी दौरान पूजा करनी चाहिए।


हिन्दू धर्म औऱ पंचांग के अनुसार सावन महीने की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा का विधान है। परंपरा के अनुसार  नागपंचमी के दिन नाग देवता को दूध पिलाया जाता है।

Monday, 24 July 2017

हरियाली तीज : शिव-पार्वती के मिलन का उत्सव

संदीप कुमार मिश्र: शिव और शक्ति के मिलन का पवित्र माह है सावन। सावन प्रकृति से प्रेम का भी माह है। आस्था-विश्वास,उत्साह- उमंग,प्रेम और सौंदर्य का उत्सव हरियाली तीज सर्वप्रिय पौराणिक युगल शिव-पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।हमारे देश में सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।  

दरअसल हरियाली तीज को दो प्रमुख वजहों से विशेष महत्ता प्रदान की जाती है।एक तो शिव शक्ति का मिलन और दूसरा तपती गर्मी से रिमझिम फुहारों का राहत देना।जिससे प्रकृति हर तरफ हरियाली की चादर ओढ़ लेती है। कहते हैं कि यदि तीज के दिन झमाझम बारिश हो रही हो तो ये यह दिन और भी खास और विशेष हो जाता है।
भारत में सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत बेहद अहमियत रखता है।महिलाएं इस दिन झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और खुशियां मनाती हैं। हरियाली तीज को देश के कुछ हिस्सों में कज्जली तीज के नाम से भी जाना जाता है।भारत में तीज से एक दिन पहले नवविवाहित कन्याओं के लिए उनके ससुराल से सुहाग का सामान व फल मिष्ठान की सामग्री आती है। भारतिय महिलाएं ससुराल से भेजे गए इन्हीं सुहाग के सामान से पहले माता पार्वती और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करती हैं।
हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर को पाने के लिए 107 जन्म लिए थे और अंत में घनघोर तप साधना के बाद 108वें जन्म में माता पार्वती को भगवान शिव पती के रुप में मिले और देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। कहा जाता है कि तभी से हरियाली तीज व्रत की शुरुआत हुई।तीज के दिन जो भी सुहागन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं उनका सुहाग की रक्षा स्वयं शिव और शक्ति स्वरुपा मां देवी पार्वती करती हैं।


हरियाली तीज पूजा विधान : हरियाली तीज का त्योहार तीन दिनों का होता था लेकिन आज की भागदौड़ में अब ये त्योहार एक दिन का ही मनाया जाता है।व्रत के दिन पत्नियां निर्जला व्रत रखती हैं और हाथों में मेंहदी रचाती हैं,नई चूड़ियां और पैरों में आलता लगाती हैं फिर नए वस्त्र पहन कर मां पार्वती की विशेष पूजा करती हैं।

Wednesday, 19 July 2017

सुश्री बहन मायावती जी किसी से कम हैं क्या? लड़ के दिखाएंगी लोकसभा का उपचुनाव !

नुक्कड़ चकल्लस: सुश्री मायावती जी लड़ जाईए लोकसभा चुनाव,दिखा दिजिए अपनी ताकत...बंद कर दिजिए सत्ता पक्ष के लोगों की जुबान...अरे ये तुच्छ सियासतदां जानते ही क्या हैं आपके बारे में...इनको तो बस अफवाहों से मतलब है...इन्हें नहीं मालूम कि आप तो दलितों की मसीहा हैं..दलित तो आपको मां मायावती कहते हैं...इन्हें नहीं मालूम कि आपने दलितों के लिए क्या नहीं किया है...अरे सब कुछ तो किया है...आज दलित आपकी वजह से रंक से राजा बन गए हैं !...और ये नासमझ सियासतदां आपको ही दलितों की आवाज नहीं उठाने दे रहे हैं...ऐसा नहीं चलेगा...आपकी आवाज दलितों की आवाज है...
2019 लोकसभा चुनाव तो अभी दूर है...लेकिन उपचुनाव जल्द ही होंगे उत्तर प्रदेश में यानि आपके प्रदेश में....बहन जी मौका बहुत अच्छा है...उपराष्ट्रपति के चुनाव के बाद दो लोकसभा की सीटें खाली होने वाली हैं यानि गोरखपुर और फूलपुर...ये दोनो सीटें आप आसानी से जीत सकती हैं...बता दिजिए इन्हें आप राज्य सभा के भरोसे नहीं है...आप एक जन नेता हैं...जनता के बीच रहने,उठने और बैठने वाली नेता है....आप जब चाहें चुटकी बजाकर चुनाव जीत सकती हैं.... खासकर 2014 लोकसभा चुनाव के बाद आपकी स्थिति बहुत मजबूत हुई है...अरे! नहीं नहीं… 2017 यूपी चुनाव के बाद से...ओह! नही भई...हां...राज्सभा में इस्तीफा देने के बाद से...इवीएम से सत्ता पाने वालों को बता दिजिए कि आप कि क्या अहमियत है...राज्यसभा का क्या है...!आप तो...आप हैं...! किसी से कम हैं क्या...? बता दिजिए इन्हें कि आप हैं तो जातिवाद का इकबाल बुलंद हैं...नहीं नहीं...मतलब दलित समाज की आवाज की गूंज सड़क से संसद तक सुनाई देती है और रहेगी...!
तोड़ दिजिए... अपनी उपचुनाव ना लड़ने की तीसरी कसम...अपनी शक्ति को पहचानिए...और बता दिजिए सबको कि आपकी पार्टी में एक से एक दिग्गज नेता अभी भी कुछ बचें हैं...जिनका विकल्प किसी भी दल के पास नहीं हैं...ये भी जरुर बताईए लोगों को कि तिलक तराजू और तलवार....” वाले....! जिनसे आपको सबसे ज्यादा कभी नफरत थी वो भी आपका राग दरबारी गाते हैं...इतनी बड़ी राजनेता हैं आप कि,अगर आपने अपनी कड़ी मेहनत से दस बीस हजार करोड़ रुपये कमाए हैं तो इन लोगों को जलन क्यों हो रही है...आपने कड़ी मेहनत से कमाएं हैं...आप पढ़ी लिखी हैं...समझदार हैं...सब बैलेंस करना जानती हैं...पढ़ाई लिखाई से याद आया... लोगों को ये भी बता दिजिए कि आप बगैर देख कर भी पढ़ सकती हैं...चाहे कितना छोटा भाषण हो...या फिर एक वाक्य का मुहावरा ही क्यों ना हो...
लोकसभा जीतना कौन सी बड़ी बात है आपके लिए...वो तो यूं यूं...चुटकी बजाकर आप जीत सकती हैं...2019 में प्रचंड़ बहुमत लाना है आपको यूपी में....जिसकी झलक गोरखपुर या फूलपुर से जीत कर दिखा दिजिए बहन जी...हम तो जानते ही हैं कि आप डरने वाली नहीं हैं...इन्हें भी बता दिजिए इस बात को...हां नई तो...! एक ऐतिहासिक जीत दर्ज करते मूंह बंद कर दिजिए इन सत्ताधारियों का....और बता दिजिए कि जब तक आप हैं तब तक ना तो दलितों की आवाज दबेगी...ना ही आरक्षण खत्म होगा...चाहे भले ही कोई पढ़ा लिखा जरुरत मंद आरक्षण की वजह से बरबाद हो जाए...लेकिन दलित...दलित...दलित...आप ही इनकी आवाज हैं....क्यों है ना...?
कौन कहे इन राजनेताओं से कि दलितों की जो वर्तमान दशा है...वो 21वीं सदी ही नहीं...भविष्य की 100वीं सदी तक भी ऐसी ही रहने वाली है...जब तक सुश्री बहन मायावती जी जैसी बेहतरिन नेता और दलितों की शुभ चिंतक हैं !...हमारे देश की सत्तर प्रतिशत आबादी आज भी गांवो में ही निवास करती है...गांव का ही निवासी होने के कारण बड़ी ही बारीकी से देखा है मैने कि दलितों की वर्तमान स्थिति जो है उसके लिए सुश्री बहन जी ने कितनी मेहनत की है...!
किसी भी गांव में आप चले जाईए बहन जी की तारीफ ही निकलेगी लोगों की जुबान से...वो तो गलती से ये बीजेपी वाले 2014 में दलितों का वोट ले लिए और सुश्री बहन जी की एक भी सीट नहीं आयी और फिर इसी की पुनरावृति यूपी चुनाव में कर दिए, जिससे मात्र 19 सीटें ही मिल सकीं...लेकिन मजाल है की पाप्यूलर्टी में बहन जी के कोई कमी आई हो...हां ठीक है कि अप्रैल 2018 में बहन कुमारी मायावती जी का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है...क्या फर्क पड़ता है...उससे पहले ही बहन जी यूपी में दो लोकसभा की खाली हुई सीटों पर से एक में चुनाव लड़कर और ऐतिहासिक जीत दर्ज करते सबको दिखा देंगी कि वो दौलत कि नहीं दलित की बेटी है...
बहन जी किसी से कम हैं क्या...जो लालू जी आफर दे रहें हैं राज्यसभा में अपनी पार्टी से संसद भेजने का...हैं...बताईए...जिनके उपर चारा चोरी से लेकर ना जाने कितने घपलों और घोटालों का आरोप लगा हो वो साफ सुथरी बेदाग छवी वाली बहन जी को आफर दे रहें भला !...ये क्या मजाक है...बहन जी कम हैं क्या किसी से...दलितों की मसीहा हैं...हमदर्द हैं....अरे बहन जी ने तो पहले ही कह दिया है कि अब वो अपनी मूर्ति नहीं बनवाएंगी...जितनी बननी थी बन गई...बहन जी आप संघर्ष करें दलित भाई आपके साथ हैं....अरे नहीं सभी जात धर्म वाले आपके साथ हैं....!
 
 बता दिजिए बहन जी सबको कि आपकी माया आप ही जानती हैं....बता दिजिए कि आप एक चतुर खिलाड़ी हैं...और इस बार लोकसभा का उपचुनाव फूलपुर से कौन कहे...गोरखपुर से लड़ और जीत कर दिखाएंगी....अरे आपकी आपकी आवाज दलितों की आवाज है भई...
मजाक समझते हैं क्या...?

मंत्र की शक्ति से हो जाएंगे आप मालामाल

संदीप कुमार मिश्र: हमारे धर्म शास्त्रों में मंत्र की शक्ति की विशेष महत्ता बताई गई है।किसी भी पूजा साधना में अक्सर मंत्रों का उच्चारण करते हुए देख और सुन सकते हैं।इन्हीं मंत्रों में छुपा होता है हमारी सेहत,संपन्नता का खजाना।जरुरत होती है तो सिर्फ इस बात की कि मन्त्रों के उच्चारण का हामारा तरीका सही है या नहीं..जानने की कोशिश करते हैं मंत्रों की शक्ति का शास्त्रीय और वैज्ञानिक महत्त्व क्या है...?
दरअसल सदियों से हिन्दू धर्म शास्त्रों में मनुष्य की सभी समस्याओं की समाधान मंत्रों में बताया गया है।चाहे धन कमी हो,स्वास्थ्य खराब हो,कर्ज से मुक्ति ना मिल रही हो या फिर जीवन में आने वाली अन्य परेशानिया और दुविधाएं...जिससे आप आर्थिक सामाजिक और मानसिक तौर पर कमजोर हो रहे हों...सभी समस्याओं का निदान वेदों,ग्रंथों, शास्त्रों में किसी ना किसी रुप में बताया गया है...।
कहा जाता है कि मन्त्रों के बोलने का शास्त्रीय और वैज्ञानिक महत्त्व हमें मनोवैज्ञानिक रुप से लाभ पहुंचाता है।क्योंकि मंत्रों का सही और सटीक उच्चारण से जो ध्वनि उत्पन्न होती है उससे हमारे शरीर में जो कंपन होता है,उसके प्रभाव स्वरुप हमारा मस्तिष्क सकारात्मक रूप से प्रभावित होता है और हमारी सोचने की दिशा सही हो जाती है और हम अपने निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए सही दिशा में आगे बढ़ने लगते हैं...।
कुछ अद्भूत और चमत्कारिक मंत्र जिनका विशेष रुप से शास्त्रों में वर्षन किया गया है,जिनसे आपकी आर्थिक विपन्नता दूर हो जाती है-


भगवान श्रीकृष्ण के इस सात अक्षरों के संबंध में हमारे धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि इसमें अद्वितिय शक्ति का भंडार है।कहने हैं कि इस मंत्र से रंक को भी राजा बनते देर नहीं लगती। सामान्य तौर पर आपने जीवन में आर्थिक परेशानी या तंगी चल रही हो तो इस मंत्र का जाप बहुत जल्द ही आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर कर आपका जीवन सामान्य कर सकता है।कहा ये भी जाता है कि इस मंत्र का सवा लाख जाप आपके जीवन में आश्चर्यजनक रुप से आर्थिक लाभ दिलाता है।

ये मंत्र भगवान श्रीकृष्ण का सप्तदशाक्षर महामंत्र कहलाता है।कहते हैं कि ये मंत्र करोड़पति बनाने वाला अचूक मंत्र है।आर्थिक परेशानियें को दूर कर धन लाभ देने में सप्तदशाक्षर महामंत्र इतना शक्तिशाली है कि इसके जाप से व्यक्ति करोड़पति भी बन सकता है।शास्त्रों के अनुसार इस मंत्र का साधक को जाप 5 लाख बार जाप अवश्य करना चाहिए,नहीं तो इसका लाभ नहीं मिल पाता है।



 आदि देव महादेव भगवान शिव के इस मंत्र का जो साधक प्रतिदिन 1008 बार जाप करता है उसे शिघ्र ही कर्ज से मुक्ति मिल जाती है।नित्य प्रति जो भी आस्थावान व्यक्ति इस मंत्र का जाप करता है उसे जल्द ही इसका असर दिखने को मिल जाता है और वो बहुत जल्द ऋण-मुक्त हो जाता है।साथ ही धन प्राप्ति की राह में आने वाली बाधाएं भी शनै: शनै: दूर होने लगती हैं।ऐसा हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है।