Friday, 30 September 2016

श्रीगोस्वामितुलसीदासकृत रूद्राष्टक स्तोत्र


श्रीगोस्वामितुलसीदासकृत रूद्राष्टक स्तोत्र

|| ॐ नमः शिवायः ||

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्‌ ।
अजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्‌ ॥ १॥

निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्‌ ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम्‌ ॥ २॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम्‌ ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥ ३॥

चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालुम्‌ ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ ४॥

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम्‌ ।
त्रिधाशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम्‌ ॥ ५॥

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सज्जनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापकारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ ६ ॥

न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम्‌ ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥ ७॥

न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम्‌ सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम्‌ ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥ ८ ॥

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्त्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठंति नरा भक्यात् तेषां शंभु:प्रसीदति ॥९॥


॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृत श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥

श्रीरामाष्टक



श्रीरामाष्टक

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधो दामोदरा माधवा॥
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।
वैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्‌॥
आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम्‌।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव सम्भाषणम्‌॥
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरी दाहनम्‌।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्ण हननं एतद्धि रामायणम्‌॥


Tuesday, 27 September 2016

सुषमा की दहाड़,नवाज को धोबी पछाड़

अध्यक्ष जी, जिनके घर शीशे के हुआ करते हैं वो दुसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा, उसे छीनने का ख्वाब छोड़ दे पाकिस्तान।सुषमा स्वराज

संदीप कुमार मिश्र : पाकिस्तान विश्व समुदाय के लिए एक ऐसा घिनौना फोड़ा(घाव,नासूर) बन गया है,जिसे निगलना भी मुश्किल है और उगलना भी।ये बात हम (भारत)से बेहतर भला कौन जान सकता है।पड़ोसी बदलना जो मुश्किल है! खैर पड़ोसी बदल नहीं सकते,लेकिन उसका इलाज जरुर कर सकते हैं।सवा सौ करोड़ का देश भारत आखिर कब तक अपने पड़ोसी पाक की छिछोरी,ओछी और शर्मनाक हरकत को बर्दास्त करता रहेगा।आखिर कब तक पाक के पालतु आतंकी भारत में खून खराबा करते रहेंगे,कब तक मानवता यूं ही तार-तार होती रहेगी।जवाब तो बनता ही था वो भी तब जब पाक अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देने के लिए आतंकीयों को भेज हमारे कश्मीर के उड़ी में सेना कैंप पर हमला करवाता है जिसमें हमारे 18 जवान शहीद हो जाते हैं।जवाब तो गोले और जुबान दोनो से बनता है।
दरअसल संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें सत्र को संबोधित करते हुए हमारे देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान तबियत से धो डाला और मियां शरीफ की हर बात का करारा जवाब दिया।आतंकवाद पर पाक की पोल खोलते हुए सुषमा जी ने कहा कि आतंकवाद को पालने-पोसने और उसका निर्यात करने वाले देशों की पहचान होनी चाहिए और उन्हें अलग-थलग किया जाना चाहिए। आतंकवाद का खात्मा मुश्किल काम नहीं है, इसके लिए दुनिया के देशों को दृढ़-इच्छाशक्ति दिखानी होगी।
सुषमा जी ने पाक पर चुटकी भी ली और कहा कि  हमारे बीच ऐसे देश हैं जहां संयुक्त राष्ट्र की ओर से नामित आतंकवादी स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं और दंड के भय के बिना जहरीले प्रवचन दे रहे हैं (मुम्बई आतंकी हमले के गुनहगार जमात उद दावा का प्रमुख हाफिज सईद)सुषमा जी यहीं नहीं रुकीं आगे कहा किजम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा और पाकिस्तान उसे छीनने का ख्वाब देखना छोड दे। ऐसे देशों को अलग-थलग कर देना चाहिए जो आतंकवाद की भाषा बोलते हों और जिनके लिए आतंकवाद को प्रश्रय देना उनका अचरण बन गया हो।
संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए पहली बार सुषमा स्वराज जी ने बड़े कड़े शब्दों में कहा कि, दुनिया में ऐसे देश हैं जो बोते भी हैं तो आतंकवाद, उगाते भी हैं तो आतंकवाद, बेचते हैं तो भी आतंकवाद और निर्यात भी करते हैं तो आतंकवाद का। आतंकवादियों को पालना उनका शौक बन गया है। ऐसे शौकीन देशों की पहचान करके उनकी जबावदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए। हमें उन देशों को भी चिन्हित करना चाहिए जहां संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी सरेआम जलसे कर रहे हैं, प्रदर्शन निकालते हैं, जहर उगलते हैं और उनके पर कोई कार्यवाही नहीं होती। इसके लिए उन आतंकवादियों के साथ वे देश भी दोषी हैं जो उन्हें ऐसा करने देते हैं। ऐसे देशों की विश्व समुदाय में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। इस प्रकार विश्व समुदाय से सुषमा जी ने आह्वान किया कि ऐसे देसों को अलग थलग किया जाए।
17 मिनट के अपने भाषण में सुषमा जी ने आगे कहा कि केवल इच्छाशक्ति की कमी है। ये काम हो सकता है, और ये काम हमें करना है, नहीं करेंगे तो हमारी आने वाली पीढियां हमें माफ नहीं करेंगी। हां, यदि कोई देश इस तरह की रणनीति में शामिल नहीं होना चाहता तो फिर उसे अलग-थलग कर दें। उन्होंने कहा, ‘इतिहास गवाह है कि जिन्होंने अतिवादी विचारधारा के बीज बोए हैं उन्हें ही उसका कड़वा फल मिला है। आज उस आतंकवाद ने एक राक्षस का रूप धारण कर लिया है, जिसके अनगिनत हाथ हैं, अनगिनत पांव और अनगिनत दिमाग और साथ में अति आधुनिक तकनीक। इसलिए अब अपना या पराया, मेरा या दूसरे का, आतंकवादी कहकर हम इस जंग को नहीं जीत पाएंगे। पता नहीं यह दैत्य किस समय किस तरफ का रुख कर ले।
विदेश मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी पर शुरुआत से ही अशांति और हिंसा का साया रहा है। परंतु मिलजुल कर प्रयास करने से हम इसे मानव सभ्यता के इतिहास में एक स्वर्णिम युग में बदल सकते हैं। लेकिन भविष्य में क्या होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम आज क्या करते हैं। भारत समेत दुनिया भर में आतंकवाद की समस्या का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने हम पर भी उरी में इन्हीं आतंकी ताकतों ने हमला किया था। विश्व इस अभिशाप से बहुत समय से जूझ रहा है। लेकिन, आतंकवाद का शिकार हुए मासूमों के खून और आसुओं के बावजूद, इस वर्ष काबुल, ढाका, इस्तांबुल, मोगादिशू, ब्रसेल्स, बैंकॉक, पेरिस, पठानकोट और उरी में हुए आतंकवादी हमले और सीरिया और इराक में रोजमर्रा की बर्बर त्रासदियां हमें ये याद दिलाती हैं कि हम इसे रोकने में सफल नहीं हुए हैं।जिसे रोकना जरुरी है।
कश्मीर को लेकर भारत पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का निराधार आरोपलगने के लिए सुषमा जी ने नवाज शरीफ पर तीखा प्रहार करते हुए कहा, 21 तारीख को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इसी मंच से मेरे देश में मानवाधिकार उल्लंघन के निराधार आरोप लगाए थे। मैं केवल यह कहना चाहूंगी कि दूसरों पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाने वाले जरा अपने घर में झांककर देख लें कि बलूचिस्तान में क्या हो रहा है और वे खुद वहां क्या कर रहे हैं। बलूचियों पर होने वाले अत्याचार तो यातना की पराकाष्ठा है।
भारत पर बातचीत के लिए पूर्व शर्त लगाने के पाकिस्तान के दावे को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद के साथ किसी शर्त के आधार पर नहीं बल्कि दोस्ती के आधार पर बातचीत शुरू की लेकिन इसके बदले पठानकोट मिला, उरी पर आतंकी हमले के रूप में बदला मिला विदेश मंत्री ने कहा, दूसरी बात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कही कि बातचीत के लिए जो शर्त भारत लगा रहा है, वो हमें मंजूर नहीं है। कौन सी शर्तें? क्या हमने कोई शर्त खकर न्यौता दिया था शपथ ग्रहण समारोह में आने का? जब मैं इस्लामाबाद गई थी, हर्ट ऑफ एशिया कांफ्रेंस के लिए, तो क्या हमने कोई शर्त रखकर समग्र वार्ता शुरू की थी?’
सुषमा जी ने आगे कहा कि , जब प्रधानमंत्री मोदी काबुल से चलकर लाहौर पहुंचे थे तो क्या किसी शर्त के साथ गए थे? किस शर्त की बात हो रही है? सुषमा ने कहा, हमने शर्तों के आधार पर नहीं बल्कि मित्रता के आधार पर सभी आपसी विवादों को सुलझाने की पहल की और दो साल तक मित्रता का वो पैमाना खड़ा किया जो आज से पहले कभी नहीं हुआ। ईद की मुबारकबाद, क्रिकेट की शुभकामनाएं, स्वास्थ्य की कुशलक्षेम, क्या ये सब शर्तों के साथ होता था?’

अंतत: विश्व पटल पर इस प्रकार से आतंकवाद और पाकिस्तान की दोगली नीति और नियत को नंगा कर निश्चिततौर पर सुषमा जी ने सबको ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर आतंकियों को कौन पालता है,कौन शरण देता है,आखिर विश्व में पाकिस्तान ही क्यो ऐसा इकलौता देश है जहां आतंकी आकर छुपते हैं या पाक के आतंकी विश्वभर में आतंक फैलाते हैं।जरुरत है मानवता की रक्षा करने की,और पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित कर कड़ी कार्यवाही करने की। 



Monday, 26 September 2016

माता दुर्गा की करें आराधना: समस्त देवता होंगे प्रसन्न: पूर्ण होगी मनोकामना

सर्वाबाधा विर्निर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:।मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।
संदीप कुमार मिश्र: जिनकी कृपा से बन जाते हैं सभी बिगड़े काम...जिनकी आराधना से हो जाती है हर मुश्किल आसान...जिनकी पूजा-अर्चना से हो जाएगी भवसागर से नैया पार...ऐसी जगत जननी आद्य शक्ति भगवती मां जगदम्बा को बारंबार प्रणाम। प्रेम और दया की मुर्ति हैं मां दुर्गा...जो अपने भक्तों पर आशीष लुटाती हैं...उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करती है..सुख सम्पत्ति प्रदान करती हैं।संपूर्ण चराचर जगत मां की कृपा से अभिभूत है...मां दुर्गा जितना अपने भक्तों पर स्नेह लुटाती हैं उतना ही दुष्टों का संहार भी करती है।
माता के नौ रुप इसी बात का प्रतिक हैं कि दुष्टों का संहार और जन सामान्य का कल्याण करने के लिए मां भगवती ने नौ रुप धरा।तभी तो माता की साधना और आराधना से समस्त देवी देवता भी हो जाते हैं प्रसन्न।नवरात्र के 9 दिन जो भी साधक भक्ति भाव से माता की आराधना करता है उसे अनंत गुणा फल मिलता है।उसकी सभी मनोकामनाएं तो पूर्ण होती है साथ ही सबी देवी देवताओं का आशीर्वाद उसे प्राप्त होता है।
संपूर्ण देवी देवता को खुश करने के लिए करें देवी दुर्गा की पूजा-अर्चनी:दुर्गा सप्तशती
दुर्गा सप्तशती में कहा गया है कि मां भगवती ने तीनो लोकों का कल्याण करने के लिए ही 9 रुप धरा।जिनकी पूजा साधना से सभी देवगण प्रसन्न हो जाते हैं।दुर्गा सप्तशती में ऐसा कहा गया है कि  देवताओ की पीड़ा और वेदना से आहत होकर तीनो देवों(त्रिदेव) और समस्त देवताओं के तेज से मां भगवती का अवतार हुआ। एक कथा के अनुसार (दुर्गा सप्तशती के दुसरे अध्याय) जब दानव राज महिषासुर ने देवताओं के साथ सैकड़ों वर्ष चले युद्ध में देवताओं को परास्त कर स्वर्ग का सिंहासन हासिल कर लिया और देवताओं को स्वर्ग से बाहर निकाल दिया तब सभी देवता त्राहिमाम करते हुए त्रिदेव यानि भगवान ब्रम्हा, विष्णु और महेश के पास जा पहुंचे और अपनी व्यथा से अवगत करवाया।देवताओं की पीड़ा और दर्द से सृष्टी के रचयिता,पालनहार और संहारकर्ता (ब्रम्हा, विष्णु और महेश )क्रोध से भर उठे और उनके मुख मंडल से एक दिव्य तेज निकला, जो एक सुन्दर देवी में परिवर्तित हो गया।
दुर्गा सप्तशती में ऐसा वर्णित है कि भगवान शिव के तेज से देवी का मुख , यमराज के तेज से सर के बाल, भगवान श्रीहरि विष्णु के तेज से बलशाली भुजाये, चंद्रमा के तेज से स्तन, धरती के तेज से नितम्ब, इंद्र के तेज से मध्य भाग, वायु से कान, संध्या के तेज से भोहै, कुबेर के तेज से नासिका , अग्नि के तेज से तीनो नेत्र चमकने लगे।एक ऐसा तेज चमकने लगा जिसके प्रकाश के आगे कोई टिक ना सके।इस प्रकार से देवी का अवतार हुआ।
देवी दुर्गा में देवताओ द्वारा शक्ति का संचार
देवी को और शक्तिशाली बनाने के लिए भगवान शिवजी ने देवी को अपना शूल,भगवान  विष्णु से अपना चक्र, वायु ने धनुष और बाण , कुबेर ने मधुपान, अग्नि ने शक्ति , इंद्र ने वज्र, हिमालय ने सवारी के लिए सिंह, वरुण से अपना शंख , ब्रम्हा ने कमण्डलु , विश्वकर्मा में फरसा और ना मुरझाने वाले कमल भेट किये।इस प्रकार समस्त देवीदेवताओं ने मां भगवती को अपनी-अपनी शक्तियां प्रदान की।जिससे महिषासुर का संहार देवी कर सकें।इस प्रकार से देवी दुर्गा में शारीरिक और मानसिक शक्ति का संचार हुआ।ऐसे दिव्य रुप को देखकर देवगण भी आशान्वित हो जाते हैं कि अब महिषासुर का वध निकट है,एक बार फिर देवता सुख का एहसास करने लगे कि स्वर्ग पर पुन: देवताओं का आधिपत्य होगा।
इस प्रकार से माता दुर्गा ने महिषासुर और उसकी राक्षसी सेना कानिर्दयता से वध करदेवताओं को स्वर्ग प्रदान किया।और संपूर्ण ब्रम्हांड देवीमय हो गया।तीनो लोक में माता के जयकारे लगे,शंखनाद हुआ,आनंद उत्सव मनाया जाने लगा। इस प्रकार से जो भी साधक सच्चे मन से देवी भगवती की साधना करता है उसकी सभी मनोकामनांएं पूर्ण तो होती है सात ही तीनो देव,देवतागण भी खुश हो जाते हैं। 

साल में कितने नवरात्र ? कैसे हुई नवरात्र की शुरुआत ?

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
संदीप कुमार मिश्र: देश भर में शक्ति की आराधना,जगत जननी मां जगदम्बा की पूजा नवरात्रि के पावन अवसर पर बड़े ही विधि-विधान सो की जाती है।छोटे बड़े सभी बड़े ही भोक्ति भाव से माता की पूजा आराधना में लग जाते है और 9 रात,10 दिन भक्ति और आनंद में गोते लगाते हैं।मां बड़ी दयालू हैं,अपने भक्तों पर माता बरबस ही प्रेम न्योछावर करती हैं,अपने साधको का कष्ट तकलीफ माता नहीं देख सकती और उन्हें मनोवांछित फल देती हैं।ऐसे में एक ये जानना जरुरी है कि नवरात्रि की प्रथा प्रारंभ कब से हुई।
कैसे हुई नवरात्र की शुरुआत?
दरअसल आद्य शक्ति मां भगवती की नवरात्र के पावन अवसर पर पूजा आराधना सनातन काल से ही हारे देश में चली आ रही है। ऐसा हमारे धर्म पूराणों में वर्णित है कि सबसे पहले भगवान मर्यापुरुषोत्तम प्रभु श्रीरामचंद्रजी महाराज ने शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ लंका पर चढ़ाई करने से पहले समुद्र तट पर किया था,जिसके बाद दसवें दिन लंका विजय कर लंकापति रावण का वध किया।तभी से ही हमारी सनातन संस्कृति में शक्ति की आराधना 9 दिन तक की जाती है और असत्य पर सत्य की विजय के उपलक्ष्य में दशहरा का उत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ देशभर में मनाया जाता है।
शक्ति की आराधना का पर्व है नवरात्र।यानि मां दुर्गा के 9 रुपों की साधना,आराधना।इस दौरान माता के भक्त मंदिरों में जाते हैं, घरों में घट स्थापना करते,और व्रत रहते हैं साथ ही माता के जगराता करते हैं।
साल में कितने नवरात्र ?
 नवरात्रि के पावन अवसर पबर माता की कृपा अपने साधकों पर अपरंपार बरसती है। नवरात्र के पर्व का प्रारंभ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक की अवधि तक होते है | प्रतिपदा तिथि को ही जनसामान्य मां दुर्गा के घट या कलश की स्थापना अपने घर में करता है।
देवी पुराण में ऐसा कहा गया है कि साल भर में मुख्य रुप से नवरात्र का त्योहार 2 बार आता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार चैत्र यानि मार्च/अप्रैल में मां दुर्गा के पहले नवरात्र पर 9 दिन आराधना,साधना की जाती है, जिन्हें वासंती नवरात्र भी कहा जाता है। इसके अलावा आश्विन मास यानि सितम्बर/अक्टूबर में आने वाले नवरात्र को मुख्य नवरात्र कहा जाता है,जिसे जनमानस शारदीय नवरात्र के नाम से जानता है। शारदीय नवरात्र के बाद से ही देश भर में त्योहारों की धुम मच जाती है।शारदीय नवरात्र के समापन पर ही दशहरे का त्योहार मनाया जाता है जो कि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है।इसके अलावा 2 गुप्त नवरात्र भी मनाई जाती है जो गृहस्थों के लिए नही होती है।जो कि एक आषाढ़ यानि जून/जुलाई और दूसरा माघ यानि जनवरी/फरवरी में आते है।जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।
इस प्रकार से साल में चार नवरात्रि आती हैं।जिसमें जनसामान्य के लिए बासंतिक और शारदीय नवरात्रि ही प्रमुख है।दो गुप्त नवरात्रों में ऋषि मनीषि साधना और आराधना करते हैं।जगत जननी मां जगदम्बा की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।।शुभ नवरात्रि।।

पाक की आतंकी नीति पर मोदी की लाजवाब महानीति

संदीप कुमार मिश्र: लगातार अपनी नापाक हरकतों से हमारा पड़ोसी मुल्क पाक आतंकियों को भेज अमन चैन पसंद हमारे देश भारत में शांति भंग कर रहा है।जिसकी ताजा मिसाल कश्मीर के उड़ी में हुए सैन्य ठिकानो पर हमला है।इस हमले ने मानवता को तो शर्मसार किया ही साथ ही इस आतंकवादी हमले से पूरे देश में गुस्सा और उबाल भर गया।देश का हर नागरीक एक सुर में कहने लगा कि अब तो हद हो गयी,अब तो पाक को करारा जवाब देना ही चाहिए।अब तो आर-पार की लड़ाई के बगैर काम नहीं चलेगा।आखिर कब तक हमारे जवान ऐसे ही शहीद होते रहेंगे और कब तक भारत माता इन नापाक हरकतों को बर्दास्त करती रहेगी।
लेकिन इन सवालों के बीच एक यक्ष प्रश्न जिसपर सोचना सबसे जरुरी था वो ये कि क्या युद्ध ही एकमात्र विकल्प बचा है?क्या अब कोई नीति या कुटनीति नहीं बची है,जिससे युद्ध टाला जा सके या फिर पाकिस्तान पर दबाव बनाया जा सके..?ऐसे और भी ना जाने कितने प्रश्न....क्योंकि सवाल ये था कि युद्ध की विभिषीका से हम क्या खोएंगे और क्या पाएंगे...?जन,मन,धन की हानी का क्या होगा...? क्योंकि भूखे नंगे पाक के पास है ही क्या खोने के लिए...।
तमाम उठा पटक,और बैठकों के दौर के बाद आखिरकार देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बेहतरीन प्रतिक्रिया दी,जैसे कि एक सुलझे और विश्वस्तर के नेता को देना चाहिए।केरल में पार्टी की बैठक में देश को संबोधित करते हुए और पाकिस्तान की आवाम को बताते,समझाते और चेताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पष्ट कहा कि भारत का दिल बड़ा है और वह युद्ध के पक्ष में नहीं है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए, अपने गुस्से को काबू करते हुए पीएम मोदी ने पाकिस्तानी अवाम से अपील भी की कि वो अपने हुक्मरान से पूछें कि वे इस तरह आतंकवाद को बढ़ावा देकर क्या हासिल करना चाहते हैं। पाकिस्तान के आम लोगों की जरूरतों, उनकी तकलीफों की तरफ ध्यान देने के बजाय अस्थिरता का माहौल बनाए रखकर वहां की हुकूमत को कुछ नहीं मिलने वाला।
दरअसल अक्सर देखा गया है कि जब भी पाकिस्तान की तरफ से कोई आतंकी हमला होता है, तब भारत सरकार पाकिस्तान के हुक्मरान और वहां की सेना को ही निशाने पर लेती रही है। लेकिन ये पहली बार है कि जब पीएम मोदी ने पाक की अवाम से आह्वान किया।ये जरुरी इसलिए भी था कि पाक के हुक्मरान अपनी सेना के हाथ की कठपुतली भर हैं,जैसा कि पाक का इतिहास बताता है।ऐसे में वहां कि अवाम को ये जानना बेहद जरुरी है कि उनके हुक्मरान की नीति और नियत दोनो ही कितनी गंदी और गिरी हुई है।
मित्रों उड़ी हमले के बाद देशभर में हर किसी की नजर प्रधानमंत्री मोदी पर थी कि उनकी क्या प्रतिक्रिया हैं इस पूरे मामले पर।क्योंकि लगातार रक्षा मंत्रालय, सुरक्षा सलाहकार और सेना प्रमुखों के बीच विचार-विमर्श चलते रहे।नापाक पड़ोसी पाकिस्तान को हर स्तर पर घेरने की तैयारीयां होने लगी,कई राजनेताओं और बुद्धिजीवियों के भी बयान आने लगे।ऐसे मे जरुरी था कि पीएम मोदी बोले और खुल कर बोलें।जैसा कि उन्होने केरल में भाजपा कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए किया।देश के पीएम ने पाकिस्तान के प्रति जिस प्रकार से अपनी प्रतिक्रिया दी, उससे भारत की उदारवादी नीति और सोच को पीएम ने विश्व समुदाय तक पहुंचाया और विश्व के प्रत्येक राष्ट्र तक यही संदेश गया है कि भारत युद्ध नहीं बल्कि शांति का पक्षधर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान से संभव है कि देश में जो लोग पाकिस्तान से युद्ध चाहते थे उन्हें निराशा हुई होगी। लेकिन पीएम मोदी के इस संदेश से विश्व स्तर पर पाकिस्तान खंड-खंड हो जाएगा।क्योंकि पीएम मोदी ने अपने शानदार भाषण में पाकिस्तान पर करारा प्रहार करते हुए एक बार फिर पाक अधिकृत कश्मीर,बलूचिस्तान, गिलगित और सिंध की चर्चा की।आपको याद होगा कि अभी पिछले महिने ही लाला किले की प्राचीर से पंद्रह अगस्त के अपने भाषण में पीएम ने बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार के हनन का जिक्र किया तो असर के रुप में गंभीर परिणाम सामने आया और बलुचिस्तान के बागी बलूच नेताओं ने दिल खोलकर भारत की प्रशंसा करने के साथ ही पाक के हुक्मरानों पर करारा कटाक्ष और हमले किए। जिससे की पाकिस्तान की स्थिति असहज हो गयी।ये बात जगजाहिर है कि पाकिस्तान की जनता अपने लचर नेताओं, कट्टरपंथी ताकतों और पाक सेना के जुल्मोसितम की शिकार है।
अजीब विडंबना है कि पाकिस्तान के सियासदान हमारे देश भारत के साथ माहौल को तनावपूर्ण बनाकर अपनी अवाम का ध्यान बुनियादी जरुरतों जैसे-अशिक्षा,स्वास्थ्य, गरीबी,बेरोजगारी जैसे जरुरी मुद्दों से हटाए रखना चाहते हैं।भारत के युवा जहां उन्नती और तरक्की की नई नई मिसाल पेश कर रहे हैं, वही पाक के दहशतगर्द अपने युवाओं को भटकाकर उनके हाथ में बंदूक थमा रहे हैं।इस प्रकार जब भी पाकिस्तानी अवाम अपनी सरकार के खिलाफ बगावत करती है तो वहां के आकाओं की नींद हराम हो जाती है फिर वो अपना दमन चक्र चलाकर उनकी आवाज को बंद कर देते हैं।
भारत शांति का संवाहक देश है।पाकिस्तान की तरफ भारत ने जब भी हाथ बढ़ाया तो पाक के विकास,उन्नती और शांति के लिए ही बढ़ाया। लेकिन पाकिस्तान ने हर बार अपनी दोगली नीति का ही परिचय दिया।हमने बार-बार तनाव के माहौल को कम करने की कोशिश की,लेकिन पाक के हुक्मरानो और वहां की सेना ने अपने पालतू आतंकियों को भेज हमारी शांति और अमन परस्ती को चुनौती ही दी।परिणाम ये निकला कि दोनो देशों के बीच लगातार तनाव बने रहे और विश्व समुदाय में पाकिस्तान की पोल खोल लगातार जारी रही कि किस प्रकार पाकिस्तान आतंकियों को भेज दहशत फैलाता है।पीएम मोदी ने क्या खूब कहा कि आखिर क्यों विश्व में कहीं भी आतंकी हमला होता है तो उस आतंकी का संबंध या तो पाकिस्तान से होता है या फिर वो पाकिस्तान में आकर छुप जाता है।
अंतत: खैर अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को उसी के घर मे घेरा जाए,और उसी की भाषा में जवाब दिया जाए और प्रधानमंत्री का पूरा भाषण भी इसी रणनीति और कुटनीति के तहत लगता है।रहा सवाल भारतीय सेना का तो उसे कहने की जरुरत नहीं है कि आतंकियों पर कार्यवाही कैसे करनी है।विश्व की सर्वश्रेष्ठ हमारी भारतीय सेना के वीर जवान हर तरह से पाक की सेना और उनके पालतू आतंकियों को मूंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं।जय हिन्द।

नवरात्रि में नवदुर्गा की साधना: नौ औषधियों का खजाना

संदीप कुमार मिश्र: भारत आस्था और विश्वास का देश है।जहां पत्थरों को भी पूजा है,और पेड़-पौधों में भी ईश्वर का वास माना जाता है।यही आस्था और विश्वास हमें एकता और समभाव के एक सुत्र में जोड़ते हैं और हमारी सनातन संस्कृति को और भी संबृद्ध और विशाल बनाते है।पर्वों और त्योहारों की जननी है भारत।जो संपूर्ण विश्व में भारत की विविधता में एकता की छवि को दर्शाता है।हिन्दू संस्कृति अतुल्यनीय है,वंदनीय है,पूज्यनीय है।33 कोटी देवी देवताओं की पूजा आराधना हमें भक्ति और सत्संग के लिए प्रेरीत करती है,जिससे कि हमारा लोक परलोक सुधर सके और हम सत्य निष्ठा के मार्ग पर चलते हुए जीवन के कर्तव्य पर पर निरंतर आगे बढ़ते रहें।
नवरात्रि का पावन त्योहार।जिसमें आद्यशक्ति मां भगवती के नव रुपों की साधना,आराधना,पूजा-पाठ बड़े ही विधि-विधान और हर्षोल्लास के साथ देशभर में मनाया जाता है।माता शेरावाली के नवरुपों की साधना हमें जीवन में शांति,शक्ति,स्वास्थ्य और संपन्नता प्रदान करती है। माता की सेवा आराधना,साधना तो ऐसे भी हमें जीवन में सुख ही देने वाली है और जब हम मां भगवती की उपासना करते हैं तो वो सब कुछ हमें प्राप्त होता है जिसकी हम कामना करते हैं। 
मित्रों माता शेरावाली के नवरुप हमारे जीवन में नौ प्रकार की औषधियों का भी कार्य करते हैं।तभी तो नवरात्रि के पावन पर्व को हम सेहत का खजाना से भरी नवरात्रि भी कहते हैं।कहा जाता है कि सबसे पहले नौ औषधियों के प्रकार को मार्कण्डेय चिकित्सा पद्धति के रूप में जाना जाता था लेकिन ये पद्धति गुप्त ही रही।दुर्गाकवच के अनुसार सर्वप्रथम ब्रम्हाजी इन नौ औषधियों के बारे में बताया।जिसका दुर्गाकवच में विस्तार से वर्णन है कि किस प्रकार से नव दुर्गा में नौ दिव्य औषधियों का गुण है।

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी,तृतीयं चंद्रघण्टेति कुष्माण्डेती चतुर्थकम।।
पंचम स्कन्दमा‍तेति षष्ठमं कात्यायनीति च,सप्तमं कालरात्रीति महागौ‍रीति चाष्टम।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता।

दुर्गाकवच में ऐसा कहा गया है कि नौ औषधियां हमारे समस्त रोगों का नाश करने वाली है,ये औषधियां हमारे लिए कवच का काम करती हैं।इन औषधियों के सेवन से मनुष्य सौ वर्ष की आयु क भोगता है और अकाल मृत्यु से बचता है।

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आईए जानते हैं क्रमश: देवी दुर्गा के 9 रुप में किस प्रकार से 9 औषधिय गुण विद्यमान हैं-:
हिमावती यानी हरड़
माता शैलपुत्री: जो करती हैं भय का नाश
मां भगवती का पहला स्वरुप माता शैलपुत्री का है। देवी दुर्गा के शैलपुत्री स्वरुप को हिमावती यानी हरड़ कहते हैं।जिसे आयुर्वेद में प्रधान औषधि के रुप में जाना जाता है,जिसके सात प्रकार हैं- हरीतिका (हरी) जो भय को हरने वाली है।पथया-जो हित करने वाली है।कायस्थ-जो शरीर को बनाए रखने वाली है। अमृता-अमृत के समान।हेमवती- हिमालय पर होने वाली।चेतकी- जो चित्त को प्रसन्न करने वाली है। श्रेयसी (यशदाता) शिवा- कल्याण करने वाली।
(ब्राम्ही)
माता ब्रह्मचारिणी: स्मरण शक्ति को बढ़ाती है:मां भगवती का द्वितीय स्वरुप माता ब्रह्मचारिणी का है।जिन्हें ब्राह्मी कहा है।आयुर्वेद में ब्राह्मी को स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाला, आयु बढ़ाने वाला,रक्त विकारों को दुर करते हमारे कंठ को मधुर रने वाली है।हमारे धर्म शास्त्रों में ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है।वायु विकार और मूत्र संबंधी विकारों को दूर करने के साथ ही मन और मस्तिष्क को ब्राम्ही शक्ति प्रदान करता है।इस प्रकार के रोगों से पीड़ित व्यक्ति को नवरात्रि पर माता ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना बड़े ही प्रेम भाव से करनी चाहिए।
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माता चंद्रघंटा: हृदय रोग का निवारण करती है माता: देवी दुर्गा का तृतीय स्वरुप माता चंद्रघंटा का है,जिसे चनदुसूर या चमसूर कहा गया है।यह एक ऐसा पौधा है जो देखने में धनिये के आकार और रुप का होता है। चमसूर के पौधे की पत्तियों से सब्जी बनाई जाती है।जो हमारे स्वास्थ्य के लिए कल्याणकारी है।औषधिय लाभ की बात करें तो इससे मोटापा दूर होता है। इसलिए इसको चर्महन्ती भी कहते हैं। शक्ति उत्साह की कमी, हृदय रोग को के मरीजो को चंद्रिका औषधि के सेवन के साथ ही नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की सप्रेम पूजा आराधना करनी चाहिए।

माता कुष्माण्डा: रक्त विकार को ठीक करती हैं :  शक्ति का चतुर्थ स्वरुप कुष्माण्डा देवी का है जिसे पेठा यानी भतुआ भी कहते हैं।जिससे पेठे की मिठाई बनती है। इसलिए माता के इस रुप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हडा भी कहते हैं।कुम्हड़े के संबंध में कहा जाता है कि ये हमारे शरीर को ह्रष्टपुष्ट बनाने, वीर्यवर्धक होता है और हमारे शरीर में रक्त संबंधी सभी बिमारीयों को दूर कर पेट साफ रखता है। मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए पेठे का सेवन अमृत के समान बताया गया है। हृदय रोग, रक्त पित्त व गैस संबंधी समस्याओं को भी कुम्हड़ा दूर करता है।माता के कुष्माण्डा स्वरुप की साधना से समस्त रोगों का नाश होता है और शरीर स्वस्थ होता है।
स्कंदमाता(अलसी): वात, पित्त, कफ, रोग नाशक: मां दुर्गा का पंचम रूप स्कंद माता है।जिसे हम माता पार्वती और उमा भी हम कहते हैं।माता के स्कंद रुप को अलसी के रुप में भी हम जानते हैं,जो कि एक विशेष औषधि है।जिसके सेवन से पित्त, कफ,वात, रोग का नाश होता है।स्कंदमाता की आराधना से भक्तों को इन सभी रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
अलसी नीलपुष्पी पावर्तती स्यादुमा क्षुमा।अलसी मधुरा तिक्ता स्त्रिग्धापाके कदुर्गरु:।।
उष्णा दृष शुकवातन्धी कफ पित्त विनाशिनी।
माता कात्यायनी(मोइया): कंठ रोग को दूर करती हैं माता: माता शेरावाली का छठा रूप माता कात्यायनी का है।आयुर्वेद औषधि की बात करें तो माता के छठे रुप को कई नामों से जाना जाता है।जिसे जन सामान्य अम्बा, अम्बालिका, अम्बिका कहता है या फिर इसको मोइया अर्थात माचिका भी कहा जाता हैं।इसके सेवन से हर प्रकार के कंठ रोग दूर हो जाते हैं। कंठ रोग से पीड़ित व्यक्ति को मोइया के सेवन के साथ ही माता कात्यायनी की आराधना करनी चाहिए।
माता कालरात्रि: मस्तिष्क विकारों को हरने वाली हैं: आद्य शक्ति भगवती का सप्तम स्वरुप कालरात्रि है, जिसे महायोगिनी, महायोगीश्वरी भी कहा जाता है।औषधि की बात करें तो हम इन्हें नागदौन के रूप में जानते हैं।जिसे मस्तिष्क के सभी रोगो को दुर करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। कहते हैं कि नागदौन के पौधे को घर में लगाने से सभी प्रकार रोग सोक का नाश हो जाता है। सुख प्रदायक और हर प्रकार के विषों की नाशक इस औषधि के उपयोग के साथ ही माता कालरात्रि की पूजा मंगलकारी है।
माता महागौरी: (तुलसी)जो रक्त शोधक होती हैं: मां दुर्गा का अष्टम स्वरूप महागौरी का है।जिसे आम जनमानस तुलसी के रुप में जानता है जो कि एक विशेष और सुलभ औषधि है।सात प्रकार की तुलसी होती हैं।सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरुता, दवना, कुढेरक, अर्जक, षटपत्र।तुलसी के सेवन से सभी प्रकार रक्त विकार ठीक हो जाते हैं।इसीलिए तुलसी को रक्त शोधक भी कहा जाता है।तुलसी के संबंध में कहा जाता है कि-
तुलसी सुरसा ग्राम्या सुलभा बहुमंजरी।अपेतराक्षसी महागौरी शूलघ्‍नी देवदुन्दुभि: तुलसी कटुका तिक्ता हुध उष्णाहाहपित्तकृत् । मरुदनिप्रदो हध तीक्षणाष्ण: पित्तलो लघु:।
माता सिद्धिदात्री:(शतावरी)बलबुद्धि बढ़ाती हैं:नवदुर्गा का नवम और अंतिम स्वरूप माता सिद्धिदात्री है। जिसे आयुर्वेद में नारायणी या शतावरी कहा जाता हैं।आयुर्वेद में शतावरी बुद्धि बल एवं वीर्य के लिए उत्तम औषधि बताई गई है। शतावरी को रक्त पित्त शोधक व विकार एवं वात नाशक बताया गया है। हृदय को बल देने वाली महाऔषधि है शतावरी।माता सिद्धिदात्री की आराधना और साधना करने वाले पर जल्द ही माता की कृप होती है।
जगत जननी मां जगदम्बा की महिमा अनंत और अपरंपार है।नौ दुर्गा के नौ रुप यानी औषधिय रुप के बारे में इसी प्रकार से मार्कण्डेय पुराण में बताया गया है।जिसकी आराधना और सेवन से मनुष्य को स्वास्थ्य लाभ सहज ही हो जाता है।नवरात्रि के पावन अवसर पर माता दुर्गा की उपासना करने वाले साधक  को आद्य शक्ति मां भगवती सदैव सुख और संपन्नता प्रदान करती हैं।।जय माता दी।।

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