अहोत्र मुहूर्ता
विख्याता देश पच्चं च सर्वदा।
तस्याष्टमो
मुहूतार्य: स काल: कुतप: स्मृत:॥
(मत्स्यपुराण के
अनुसार)
संदीप कुमार मिश्र: हमारे देश में अपने
बुजुर्गों को स्मरण करने के लिए हमारे सनातन धर्म में हर महीने की अमावस्या तिथि
निश्चित है और 15 या 16 दिन चलने वाला
श्राद्ध या महालय पर्व है,जिसे हम बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ मनाते हैं।इस बार
श्राद्ध पर्व 24 सितंबर से 8 अक्तूबर 2018 तक
मनाया जाएगा। भाद्रपद पूर्णिमा से लेकर महालय पर्व सर्वपितृ अमावस्या के दिन संपन्न
होगा।कहते हैं कि इन दिनें में पितरों का आशीर्वाद सूक्ष्मलोक से हमारे कुटूंब को
मिलता रहता है।
पितृपक्ष के इस पावन अवसर अपने पितरों को प्रसन्न करने के हमें
किन किन बातों की सावधानी रखनी चाहिए आईए जानते हैं:
पितृपक्ष के दौरान हमें खानपान में कुछ खास सावधानियां बरतनी
चाहिए।इस दौरान हमें पान का सेवन नहीं करना चाहिए साथ ही लहसुन और प्याज से बना
भोजन करने से बचना चाहिए।
साथियों श्राद्धपक्ष के समय हमें शीशे के बर्तनों का इस्तेमाल
नहीं करें साथ ही लोहे के बर्तन का भी प्रयोग वर्जित बताया गया है।हमारे धर्म
शास्त्रों में कहा गया है कि इन दिनों पत्तल पर स्वयं और ब्राह्राणों को भोजन
करवाना श्रेष्ठ होता है। पुरुष वर्ग दाड़ी और बाल न कटवाएं।सूर्य के रहते दिन के
समय में कभी न सोएं।
हमारे धर्म शास्त्रों में यहां तक कहा गया है कि कर्ज लेकर
या किसी भी प्रकार के दबाव में कभी भी श्राद्ध कर्म हमें नहीं करना चाहिए।साथ ही
हमें अपने पितरों की संतुष्टि के लिए दोपहर में ब्राह्मणों को भोजन अवश्य करवाना
चाहिए क्योंकि दोपहर का समय ही पितरों का माना गया है।
महालय यानी पितृपक्ष के इन पंद्रह दिनों में मांसाहार
वर्जित है इसलिए मांस, मछली कभी न खाएं,साथ
ही किसी भी प्रकार के पान मसाले,तांबूल का सेवन नहीं करना चाहिए।इस पवित्र समय में
कोई भी शुभ कार्य जैसे- विवाह, गृहप्रवेश भी नहीं करनी चाहिए।
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