संदीप कुमार मिश्र: कवि ह्रदय,शब्दों के कुबेर,विशालतम व्यक्तित्व के धनी और जननायक, देश के पूर्व
प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी जिनके बारे में कुछ भी कहना और लिखना
मेरे लिए गर्व और फक्र की बात है।क्योंकि ऐसे विरले व्यक्तित्व सियासत के अखाड़े
में कम ही देखने को मिलेंगे जिन्हें अजातशत्रु कहा जाता है। अटल जी ने अपने राजनीतिक
जीवन में कई ऐसे फैसले लिए जिनका कायल विपक्ष भी हुआ....चलिए जानने का कोशिश करते
हैं अटल जी सफर-ए- जिंदगी के बारे में दिलचस्प बातें...
जननायक श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसम्बर, 1924 को ब्रह्ममुहूर्त
में शिन्दे की छावनी ग्वालियर में हुआ था।मूल रुप से आगरा के बटेश्वर के रहने
वाले कृष्ण बिहारी वाजपेयी जी मध्य प्रदेश की रियासत ग्वालियर में अध्यापन कार्य
करते थे।आपको बता दें कि अटल जी के पिता अध्यापक के अलावा हिन्दी और ब्रज भाषा के
सिद्धहस्त कवि भी थे।धन्य हो गई उस दिन मां कृष्णा वाजपेयी की गोद जब सुर्य की
लालिमा के साथ ललाट पर तेज लिए जननायक श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म हुआ।
अटल जी की प्रारंभिक शिक्षा के साथ ही बीए तक की शिक्षा
ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज वर्तमान के लक्ष्मीबाई कालेज में हुई वहीं प्रथम
श्रेणी में राजनीति शास्त्र से परीक्षा कानपुर के डीएवी कॉलेज से पास की।अटल जी ने
कानपुर में ही एल०एल०बी० की पढ़ाई भी शुरू की लेकिन संघ से जुड़ जाने के कारण
पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी।
एक स्वयंसेवक के रुप में छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्तर
की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में अटल जी भाग लेते रहे।अटल जी को काव्य के गुण विरासत
में प्राप्त हुए थी। कहते हैं कि महात्मा रामचंद्र वीर द्वारा रचित अमर कृति 'विजय पताका' पढ़कर अटल जी के
जीवन में ऐसा बदलाव आया।जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।
अटल जी नें डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल
उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ पढ़ा और साल 1955 में उन्होंने
पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा,लेकिन असफलता हाथ लगी। वाजपेयी जी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने
वालों में से एक रहे हैं,
जो बाद में भारतीय
जनता पार्टी नाम से राजनैतिक पार्टी बनी।आपको बता दें कि 1968 से 1973 तक अटल जी जनसंघ
के अध्यक्ष रहे।
पहला चुनाव हार कर अटल जी ने हिम्मत नहीं हारी और 1959 में बलरामपुर
(जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से
जनसंघ के ही प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पहुंचे। अटल
जी बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे यानी 1957 से 1977 जनता पार्टी की
स्थापना तक। मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 से 1979 तक अटल जी विदेश मंत्री रहे और विश्वभर में भारत की शानदार
छवि बनाई।
दरअसल सन 1980 में अटल जी जनता
पार्टी से किसी मामले में असंतुष्ट हुए और जनता पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी
की स्थापना की और 6 अप्रैल, 1980 में बनी भारतीय
जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी संभाला।दो बार राज्यसभा के लिए भी अटल जी
निर्वाचित हुए। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने पहली बार 16 से 31 मई,
1996 तक वे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे। 19 मार्च, 1998 को फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन
सरकार ने पांच वर्षों में देश के अंदर प्रगति के नए-नए आयाम छुए।
वहीं साल 1998 में पोखरण में परमाणु विस्फोट करके अटल जी ने देश को
दुनिया के कुछ गिने-चुने परमाणु संपन्न देशों में शुमार करवा दिया।इतना ही नहीं पोखरण
में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण कराया और अमेरिका की सीआईए को भनक तक नहीं
लगने दी।
अटल जी लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर
अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया
था।साथ ही वे एक ओजस्वी वक्ता और प्रसिद्ध हिन्दी कवि भी थे।अटल जी के संघर्षमय
जीवन, परिवर्तनशील
परिस्थितियां, राष्ट्रव्यापी
आन्दोलन जेल-जीवन आदि अनेकों आयाम के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही
अभिव्यक्ति पाई।मृत्यु या हत्या, कैदी कविराय की कुण्डलियां, संसद में तीन दशक, कुछ लेख: कुछ भाषण, सेक्युलर वाद, राजनीति की
रपटीली राहें, बिन्दु बिन्दु
विचार, अमर आग है, उनकी कुछ
प्रकाशित प्रमुख रचनाएं हैं।
गठबंधन की सरकार चलाना आसान नहीं होता लेकिन अटल जी ने
दर्जनो से ज्यादा पार्टीयों को साथ लेकर सफलतापूर्वक सरकार चलाई। अटल बिहारी
वाजपेयी जी सबसे लंबे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे हैं।अटल जी ही पहले
विदेश मंत्री थे, जिन्होंने
संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।अटल जी
ही थे जिन्होंने सौ साल से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया था।
अपने कार्यकाल में अटल जी ने देश को शिखर पर ले जाने वाले
कई बेहतरीन कार्य किए।कई संरचनात्मक ढांचे के लिए कार्यदल; सॉफ्टवेयर विकास
के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल; केन्द्रीय बिजली नियंत्रण आयोग आदि का गठन किया. अटल जी ने
राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत आदि
के माध्यम से बुनियादी संरचनात्मक ढांचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये. उन्होंने
राष्ट्रीय सुरक्षा समिति,
आर्थिक सलाह
समिति, व्यापार एवं
उद्योग समिति भी गठित की।
उन्होंने आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों की कीमतों को
नियंत्रित करने के लिये मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाया, उड़ीसा के
सर्वाधिक गरीब क्षेत्र के लिए सात सूत्री गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया। आवास
निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया तथा ग्रामीण
रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिए बीमा योजना शुरू की।
अटल जी ने ही पाकिस्तान के साथ नए संबंधों को शुरुआत देने
के लिए दिल्ली से लाहौर के बीच बस सेवा शुरू की। दिल्ली से लाहौर जाने वाली पहली
बस में वे स्वयं पाकिस्तान गए। इतना ही नहीं वाजपेयी जी ने स्वतंत्रता संघर्ष
में हिस्सा भी लिया और वे 1942 में जेल गए। 1975-77 में आपातकाल के
दौरान अटल जी को बन्दी बनाया गया था।
श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी राष्ट्र की उत्कृष्ट
सेवाओं के लिए देश के सर्वौच्च सम्मान भारत रत्न और पद्म विभूषण से सम्मानित किया
गया।
अंत में अटल जी की ही देशभक्ति कविता आपके सामने प्रस्तुत
है-
!!स्वतंत्र भारत का
मस्तक नहीं झुकेगा!!
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता-जागता राष्ट्रपुरुष है । हिमालय इसका
मस्तक है, गौरीशंकर शिखा है
। कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल
दो विशाल कंधे हैं । दिल्ली इसका दिल है । विन्ध्याचल कटि है, नर्मदा करधनी है
। पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघाएं हैं । कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग
पखारता है । पावस के काले-काले मेघ इसके कुंतल केश हैं । चांद और सूरज इसकी आरती
उतारते हैं, मलयानिल चंवर
घुलता है । यह वन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है । यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि
है । इसका कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिंदु-बिंदु गंगाजल है । हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके
लिए ।अटल बिहारी वाजपेयी
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