Thursday, 30 August 2018

2019 पर चर्चा। देश में बनेगी किसकी सरकार।Delhi News

2019 चुनाव की सरगर्मीयां तेज हो गई हैं। हर तरफ एक ही चर्चा है कि 2019 में किसका सरकार। आज सुबह पार्क में चलते हुए कुछ लोगों नें 2019 की सरकार पर चर्चा की। आप जानते क्या रहती देश की आवाम।लगातार देश के हर हिस्से में तमाम ऐसे मुद्दों पर चर्चा हो रही जिनका सरोकार आंम आदमी से है।देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि 2019 में लोकतंत्र के मंदिर में देश का प्रतिनिधित्व कौन करता है।

Rahul Gandhi attacks on Modi Sarkar

Wednesday, 22 August 2018

सुख की कामना है तो स्वयं के भीतर देखो और समर्पण का भाव रखो !



संदीप कुमार मिश्र : यदी हम सुख की तलाश कर रहे हैं तो सबसे पहले हमें अपने भीतर की तरफ देखना होगा । अपने मन में हिंसा,क्रोध,द्वेष के भाव को दूर करना होगा,मिथ्या को हटाना होगा और लोक कल्याण के लिए चिंतन करना होगा । आरामतलब होने से बचना होगा और निरंतरप्रेम समर्पण की बात सोचना होगा।निरंतर कार्य में मन लगाना होगा और ये तभी संभव होगा जब हम स्वयं में प्रेम को जागृत करेंगे,क्योंकि यही तो हमारे भीतर है । उच्छृंखलता तो पशु की प्रवृत्ति होती है और स्व का बंधन मनुष्य का स्वभाव होता है । वास्तव में हमें हमारे जीवन में सच्चा सुख प्राप्त करने का यही एकमात्र मूल मंत्र है।

अपने को सम और विषम परिस्थितियों में संयत रखना और दूसरे के मनोभावों का सम्मान करना ही सही मायने में मानवीय धर्म है ।j

एक बात जान लें कि हमारी सफलता और चरितार्थता में बहुत अंतर होता है सफलता पाने के कई पैमाने है,जिसे हम चालाकी और बाह्य संसाधनो से भी प्राप्त कर सकते हैं लेकिन चरितार्थता तो सिर्फ प्रेम में है,मैत्री में है जो त्याग से ही मिलती है क्योंकि चरितार्थता तो सबके मंगल में है,सर्वजन हिताय में है,वसुधैव कुटुंबकम में है अत: सुख की कामना है तो स्वयं में समर्पण का भाव अवश्य रखें इसी से जीवन में सच्चा सुख प्राप्त हो पाएगा

Tuesday, 21 August 2018

रक्षा बंधन 2018: जानिए रक्षाबंधन के दिन कैसे बांधे भाई को राखी, क्या है पूजन विधि



संदीप कुमार मिश्र: भाई बहन के पवित्र रिश्तों का अटूट बंधन रक्षा बंधन।जिसे श्रावण मास की पूर्ण‍िमा को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस पवित्र दिन पर बहनें अपने भाई को रक्षा सूत्र बांधती हैं और ईश्‍वर से उनकी लंबी आयु और रक्षा की प्रार्थना करती हैं।26 अगस्त को रक्षाबंधन का त्‍योहार देशभर में मनाया जाएगा और साथ ही 26 अगस्त को ही सावन का पवित्र माह भी समाप्त हो जाएगा।

रक्षा बंधन के दिन बहनें भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं तो खास मंत्रों का उच्‍चारण करती है।जिसमें भाव छूपा होता है कि उनके भाई पर कोई भी विपत्ति या आपत्ति ना आए और वह हर क्षेत्र में सफलता हासिल करें।ऐसे सनातन धर्म में वास्‍तविक रक्षा सूत्र का मतलब ही मंत्रों का ही होता है।आईए जानते हैं कि रक्षा सूत्र बांमधते समय किस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-

येन बद्धो बलि: राजा दानवेंद्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।

अर्थ- जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं। हे रक्षे (राखी), तुम अडिग रहना। अपने रक्षा के संकल्प से कभी भी विचलित मत होना।


प्रात:स्‍नान कर नवीन वस्‍त्र धारण करें औक फिर चावल के आटे से चौक बनाए फिर एक मिट्टी के घट या मटके की स्‍थापना करें।घट का पूजन, आरती करें, तिलक करें, फूल चढ़ाएं और फिर रक्षा सूत्र बांधकर मिष्‍ठान चढ़ाएं और फिर एक लकड़ी के पीढ़े पर अपने भाई को पूर्व दिशा में मुख करके बिठाएं। सजी हुई थाली से भाई की आरती उतारें और उसे रोली, दही और अक्षत का टीका लगाएं।इसके बाद भाई के दाईं कलाई पर रक्षा सूत्र यानी राखी बांधें।राखी बांधने के बाद भाई को मिष्‍ठान अवश्य खिलाएं।

26 अगस्त
रक्षाबंधन अनुष्ठान का समय- 05:59 से 17:25
अपराह्न मुहूर्त- 13:39 से 16:12
पूर्णिमा तिथि आरंभ 15:16 (25 अगस्त)
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 17:25 (26 अगस्त)
भद्रा समाप्त: सूर्योदय से पहले
भाई बहन के पवित्र रिश्ते रक्षा बंधन की आप सभी को हार्दिक बधाई शुभकामनाएं ।।

Saturday, 18 August 2018

अच्छा साथ मिल जाए तो जीवन में सच्चा सुख मिलते देर नहीं लगती



संदीप कुमार मिश्र: मित्रों जीवन में सुख-दुख,हानि-लाभ लगे रहते हैं, लेकिन श्रीरामकथा के अनुरूप इस संसार में गरीबी से बड़ा दूसरा कोई दुख नहीं और मानव जीवन में अच्छा साथ मिलने से बड़ा कोई सुख नहीं है। हालांकि इन दोनों ही परिस्थितियों का पूरा होना लगभग असंभव सा है। क्योंकि गरीबी ऐसी परिस्थिति है कि वह इंसान को बहुत हद तक तोड़ने की कोशिश करती है, जबकि वहीं इसी परिस्थिति में किसी का अच्छा साथ मिल जाए तो हम आसानी से दरिद्रता से पार पा सकते है। रामचरित मानस में भी तो यहीं कहा गया है कि-  
''नहिं दरिद्र सम दुख जग माहीं। संत मिलन सम सुख जग नाहीं॥
पर उपकार बचन मन काया। संत सहज सुभाउ खगराया॥''
भावार्थ:-जगत्‌ में दरिद्रता के समान दुःख नहीं है तथा संतों के मिलने के समान जगत्‌ में सुख नहीं है। और हे पक्षीराज! मन, वचन और शरीर से परोपकार करना, यह संतों का सहज स्वभाव है॥
रामदास बनों सत्य को जीवन में उतारें, बाबा तुलसीदास जी ने मानस में कहा है कि,
'उमा कहऊँ मैं अनुभव अपना, सत हरि भजन जगत सब सपना'
आदिदेव भगवान शिव जी ने माता पार्वती जी से कहा कि जीवन में सब झूठ और मिथ्या है, सत्य तो केवल हरि भजन है। सती पार्वती जी बनी और जब सत्संग किया,हरि भजन किया तो कल्याण हो गया । जब गरूड़ को मोह हुआ तो काकभुशुण्डि जी महाराज से आश्रम में रामकथा सुनी और कल्याण हुआ । इसलिए कोशिश करें कि मन को ज्यादा से ज्यादा अच्छे कार्य में लगाएं और भगवान के स्मरण में ​लीन रहें, ताकि किसी तरह का कोई गम छू भी न पाए। रामचरितमानस में कहा गया है कि,
कोई तन दुखी कोई मन दुखी , कोई धन बिन रहत उदास,
थोड़े-​थोड़े सभी दुखी, सुखी राम के दास।
अर्थात् खुश तो वही है जो भगवान पर भरोसा रखे और नित्य अपना अच्छा काम जारी रखें।



Thursday, 16 August 2018

अब तो पूर्ण विराम अटल हैं !भारत माता के यशस्वी पुत्र अटल जी को भावभीनी, अश्रुपूरित श्रद्धांजलि



संदीप कुमार मिश्र: भारत माता ने आज अपना यशस्वी पुत्र खो दिया। देदीप्यमान सूर्य अस्त हुआ। भावभीनी, अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
अटल जी के लिए मेरी लेखनी बस इतना ही कह सकती है कि,  
अटल ही अटल हैं
मातृभूमि के लाल अटल है
जीत ले जो हर ह्रदय को,
वो आवाज अटल है,
राष्ट्रपुरुष की पहचान अटल है
जनहिन की आवाज अटल हैं,
सर्वधर्म समभाव अटल हैं
जीयें तो भारत मां के लिए,
भारत के मां के वीर सपूत अटल हैं
भाव अटल है,राग अटल है,ताल अटल हैं
जन-जन की आवाज अटल है
कर रहा है मन याद जिनको
शब्दों के सम्राट अटल हैं,
हिन्दी की पहचान अटल है
देश का सम्मान अटल है
अब ना होगा कोई ऐसा अटलना हो पाएगा ऐसा कोई बिहारी
अब तो पूर्ण विराम अटल हैं!!

सफर-ए-जिंदगी : कविह्रदय अटल बिहारी वाजपेयी, अटल विचारों का महासमंदर



संदीप कुमार मिश्र: कवि ह्रदय,शब्दों के कुबेर,विशालतम व्यक्तित्व के धनी और जननायक, देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी जिनके बारे में कुछ भी कहना और लिखना मेरे लिए गर्व और फक्र की बात है।क्योंकि ऐसे विरले व्यक्तित्व सियासत के अखाड़े में कम ही देखने को मिलेंगे जिन्हें अजातशत्रु कहा जाता है। अटल जी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई ऐसे फैसले लिए जिनका कायल विपक्ष भी हुआ....चलिए जानने का कोशिश करते हैं अटल जी सफर-ए- जिंदगी के बारे में दिलचस्प बातें...

जननायक श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसम्बर, 1924 को ब्रह्ममुहूर्त में शिन्दे की छावनी ग्‍वालियर में हुआ था।मूल रुप से आगरा के बटेश्वर के रहने वाले कृष्ण बिहारी वाजपेयी जी मध्य प्रदेश की रियासत ग्वालियर में अध्यापन कार्य करते थे।आपको बता दें कि अटल जी के पिता अध्‍यापक के अलावा हिन्दी और ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे।धन्य हो गई उस दिन मां कृष्णा वाजपेयी की गोद जब सुर्य की लालिमा के साथ ललाट पर तेज लिए जननायक श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म हुआ।

अटल जी की प्रारंभिक शिक्षा के साथ ही बीए तक की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज वर्तमान के लक्ष्मीबाई कालेज में हुई वहीं प्रथम श्रेणी में राजनीति शास्त्र से परीक्षा कानपुर के डीएवी कॉलेज से पास की।अटल जी ने कानपुर में ही एल०एल०बी० की पढ़ाई भी शुरू की लेकिन संघ से जुड़ जाने के कारण पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी।

एक स्वयंसेवक के रुप में छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में अटल जी भाग लेते रहे।अटल जी को काव्य के गुण विरासत में प्राप्त हुए थी। कहते हैं कि महात्मा रामचंद्र वीर द्वारा रचित अमर कृति 'विजय पताका' पढ़कर अटल जी के जीवन में ऐसा बदलाव आया।जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।

अटल जी नें डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ पढ़ा और साल 1955 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा,लेकिन असफलता हाथ लगी। वाजपेयी जी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक रहे हैं, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी नाम से राजनैतिक पार्टी बनी।आपको बता दें कि 1968 से 1973 तक अटल जी जनसंघ के अध्यक्ष रहे।

पहला चुनाव हार कर अटल जी ने हिम्मत नहीं हारी और 1959 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के ही प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन पहुंचे। अटल जी बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे यानी 1957 से 1977 जनता पार्टी की स्थापना तक। मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 से 1979 तक अटल जी विदेश मंत्री रहे और विश्वभर में भारत की शानदार छवि बनाई।

दरअसल सन 1980 में अटल जी जनता पार्टी से किसी मामले में असंतुष्ट हुए और जनता पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की और 6 अप्रैल, 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी संभाला।दो बार राज्यसभा के लिए भी अटल जी निर्वाचित हुए। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने पहली बार 16 से 31 मई, 1996 तक वे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे। 19 मार्च, 1998 को फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार ने पांच वर्षों में देश के अंदर प्रगति के नए-नए आयाम छुए।

वहीं साल 1998 में पोखरण में परमाणु विस्‍फोट करके अटल जी ने देश को दुनिया के कुछ गिने-चुने परमाणु संपन्‍न देशों में शुमार करवा दिया।इतना ही नहीं पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण कराया और अमेरिका की सीआईए को भनक तक नहीं लगने दी।

अटल जी लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया था।साथ ही वे एक ओजस्वी वक्ता और प्रसिद्ध हिन्दी कवि भी थे।अटल जी के संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियां, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन जेल-जीवन आदि अनेकों आयाम के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पाई।मृत्यु या हत्या, कैदी कविराय की कुण्डलियां, संसद में तीन दशक, कुछ लेख: कुछ भाषण, सेक्युलर वाद, राजनीति की रपटीली राहें, बिन्दु बिन्दु विचार, अमर आग है, उनकी कुछ प्रकाशित प्रमुख रचनाएं हैं।


गठबंधन की सरकार चलाना आसान नहीं होता लेकिन अटल जी ने दर्जनो से ज्यादा पार्टीयों को साथ लेकर सफलतापूर्वक सरकार चलाई। अटल बिहारी वाजपेयी जी सबसे लंबे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे हैं।अटल जी ही पहले विदेश मंत्री थे, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।अटल जी ही थे जिन्‍होंने सौ साल से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया था।

अपने कार्यकाल में अटल जी ने देश को शिखर पर ले जाने वाले कई बेहतरीन कार्य किए।कई संरचनात्मक ढांचे के लिए कार्यदल; सॉफ्टवेयर विकास के लिए सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल; केन्द्रीय बिजली नियंत्रण आयोग आदि का गठन किया. अटल जी ने राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत आदि के माध्यम से बुनियादी संरचनात्मक ढांचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये. उन्‍होंने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित की।

उन्‍होंने आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिये मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाया, उड़ीसा के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र के लिए सात सूत्री गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया। आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया तथा ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिए बीमा योजना शुरू की।
अटल जी ने ही पाकिस्‍तान के साथ नए संबंधों को शुरुआत देने के लिए दिल्‍ली से लाहौर के बीच बस सेवा शुरू की। दिल्‍ली से लाहौर जाने वाली पहली बस में वे स्‍वयं पाकिस्‍तान गए। इतना ही नहीं वाजपेयी जी ने स्वतंत्रता संघर्ष में हिस्सा भी लिया और वे 1942 में जेल गए। 1975-77 में आपातकाल के दौरान अटल जी को बन्दी बनाया गया था।

श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनकी राष्ट्र की उत्कृष्ट सेवाओं के लिए देश के सर्वौच्च सम्मान भारत रत्न और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
अंत में अटल जी की ही देशभक्ति कविता आपके सामने प्रस्तुत है-

                                              !!स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा!!
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता-जागता राष्ट्रपुरुष है । हिमालय इसका मस्तक है, गौरीशंकर शिखा है । कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं । दिल्ली इसका दिल है । विन्ध्याचल कटि है, नर्मदा करधनी है । पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघाएं हैं । कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है । पावस के काले-काले मेघ इसके कुंतल केश हैं । चांद और सूरज इसकी आरती उतारते हैं, मलयानिल चंवर घुलता है । यह वन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है । यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है । इसका कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिंदु-बिंदु गंगाजल है । हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए ।अटल बिहारी वाजपेयी

Tuesday, 14 August 2018

15 अगस्त2018 विशेष: स्वतंत्रता दिवस के सही मायने



संदीप कुमार मिश्र: वतन हमारा रहे सादगाम और आजाद,हमारा क्या हम रहे ना रहें।हमारे देश को आजाद हुए 71 दशक बीत चुके हैं और जब हम वर्ष 2018 में 72 वां स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे तो ये भी सोचेंगे कि हमने इन विगत वर्षों में एक लम्बा सफर तय किया।आज़ादी की इस प्रात:बेला को हम कैसे भूल सकते हैं जिसे पाने के लिए हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों ने वर्षों तक संघर्ष किया और अंग्रेजों के गुलामी की बेड़ियों से भारत मां को आज़ादी दिलवायी ।

हमारी आज़ादी के कई मायने थे।मायने इस नजरीये से कि विश्व की सबसे संबृद्ध सभ्यता संस्कृति हमारी थी,विविधता में एकता हमारी मूल पहचान थी, यानी विविध संस्कृति, धर्म और भाषा हमारे यहां ही थी।जो संसार के किसी भी हिस्से में नहीं बोली जाती है।जरा सोचिए ऐसी संबृद्ध संस्कृति कहां मिलेगी,जहां लगभग 300 से ज्यादा भाषाएं बोली जाती है। जिनमे से 18 आधिकारिक भाषाएं हों।ऐसी विविधता और कहां देखने को मिलेगी।भारत विश्व का इकलौता ऐसा देश है, जहां अनेकता में एकता की अद्भूत मिसाल देखने को मिलती है।जिसे 200 वर्षों तक अंग्रेज तहस नहस करते रहे।जिसे गुलामी से मुक्त करवाने के लिए हमारे नायकों ने,भारत मां के वीर सपूतों ने बलिदान दिया और हमें आजादी मिल गयी।

दरअसल हमारे देश में सभी धर्म,मज़हब, जाति,पंथ और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के सम्माननियों का बड़े ही गर्मजोशी से अभिनंदन किया जाता है तभी तो अतिथि को देवताओ के समान सम्मानित किया जाता है, और अतिथि देवो भवः कहकर सम्बोधित किया जाता है।विगत 71 वर्षों में, हमारा देश दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में उभरा और अब तक हमारा देश भारत एक संबृद्ध राष्ट्र के रूप में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, उद्योग के साथ हरित क्रांति के क्षेत्र में नए नए किर्तिमान स्थापित कर चुका है। जिसके आधार पर हम हम कह सकते हैं कि देश की युवा पीढ़ी का वर्तमान और भविष्य शानदार और सही दिशा में आगे बढ़ रहा है ।

आईए हम सब मिलकर देश को और भी संबृद्ध,स्वच्छ और निर्मल बनाने का संकल्प लें।क्योंकि राष्ट्र सर्वप्रथम है।हमारा देश जितना ही संबृद्ध होगा उतनी ही हमारी प्रगति होगी,उतना ही विकास होगा।72 वें स्वतंत्र दिवस की आप सभी हार्दिक बधाई,शुभकामनाएं।।
।।जय हिन्द जय भारत।।