संदीप कुमार मिश्र: माता गायत्री को वेद
माता कहा जाता है।जीवन में शांति और शुभता का प्रतिक हैं माता गायत्री। गायत्री
मंत्र का जप और पाठ जल्द फलदायक है।जीवन में सुख,स्वास्थ्य,संपन्नता को पाने के
लिए जरुरी है कि गायत्री मंत्र का हम सही तरीके से पाठ करें।आईए जानते हैं गायत्री
मंत्र के जप साधना की सही और सामान्य विधि के साथ ही हम इसके पाठ से कैसे लाभ
प्राप्त कर सकते हैं...
-गायत्री मंत्र-
।।ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न:
प्रचोदयात्।।
भावार्थ- सृष्टि की रचना करने वाले, प्रकाशमान परमात्मा के तेज का हम ध्यान
करते हैं, परमात्मा का यह तेज हमारी बुद्धि को सही मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित
करें।
v
गायत्री मंत्र पूजा
विधि
जब भी हम गायत्री मंत्र का पाठ करें तो
हमारी कोशिश यही होनी चाहिए कि मंत्र का जप शांत और पवित्र स्थान पर करें। नित्य कर्म से निवृत होकर
स्वच्छ वस्त्र धारण करें, इसके बाद माता गायत्री की मूर्ति या चित्र के सामने कुश
के आसन पर बैठकर जप करें।गायत्री मंत्र के जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए।ऐसे तो अपनी सुलभता और आस्था से और पूरी श्रद्धा के साथ हम जितना
भी पाठ करें उचित है।
v गायत्री मंत्र का पाठ करते समय रखें ध्यान
v गायत्री मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला से ही करें।सर्वोत्तम और सर्वोत्कृष्ठ
मंत्र में से एक है गायत्री मंत्र।आस्थावन साधक तीन बार गायत्री मंत्र का जप कर
सकते हैं।
v गायत्री मंत्र का जप का पहला समय है प्रात:काल- सूर्योदय से थोड़ी देर पहले
मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए। जप सूर्योदय के बाद तक करना चाहिए।
v मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर- दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता
है।
v तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त से कुछ देर पहले- सूर्यास्त से पहले मंत्र जप
शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए।
गायत्री मंत्र का पाठ करते समय शांत
रहना चाहिए और तेज ध्वनि में पाठ नहीं करना चाहिए।पवित्र गायत्री पाठ से हममें
सकारात्म उर्जा और उत्साह का संचार होता है,मन से बुराईंया दूर होती हैं।व्यक्ति
सत्संगी बनता है।