Tuesday 9 July 2019

देवशयनी एकादशी विशेष: भगवान श्रीहरि के शयन में जाते ही रुक जाते हैं सभी शुभ मांगलिक कार्य



संदीप कुमार मिश्र: हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी जो कि 12 जुलाई 2019 से शुरु हो रही है।इसी समय भगवान विष्णु शयन में चले जाते हैं। जगत के पालनहार प्रभु श्रीहरि के शयन में जाने ही हिन्दू धर्म में सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है और पुन: भगवान 8 नवंबर को जागेंग जिसके बाद चार माह तक चतुर्मास की साधना शुरु होगी।
सनातन धर्म शास्त्रों में देवशयन एकादशी का महत्व
हिन्दू धर्म शास्त्रों में एकादशी को पदमा, नामा, देवशयन एकादशी के नाम से भी लोग जानते है।देवशयनी एकादशी को ईश वंदना का विशेष पर्व कहा गया है। इसकी विशेषता इसलिए भी ज्यादा होती है क्योंकि साधक चार माह की अवधि में एक स्थान पर साधना करते है।इस दौरान जप,तप,व्रत का महत्व बढ़ जाता है।इसबार 12 जुलाई 2019 से 8 नवंबर 2019 तक चतुर्मास रहेगा।ऐसा हमारे पंचाग बता रहे हैं।
देवशयनी एकादशी पर भगवान श्रीहरि के पूजन का विशेष महत्व
इस विशेष अवसर पर भगवान विष्णु के विग्रह का पंचामृत में स्नान कराना चाहिएऔर फिर धूप दीप दिखलाते हुए पूजन करना चाहिए।विद्वान ये भी कहते हैं कि साधक भगवान श्रीहरि के शयन स्थान पर बिस्तर बिछाएं और उसपर पीले रंग का रेशमी कपड़ा बिछाएं। ऐसा कहा जाता है कि इस अवधि में भगवान विष्णु पाताल में राजा बलि के यहां विश्राम करते हैं। चार माह बाद कार्तिक शुक्लपक्ष की एकादशी को प्रभु के जागने के बाद मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।
स्कंद पुराण में ऐसा वर्णित है कि भगवान  विष्णु के विश्राम करने की अवधि में माता लक्ष्मी और भगवान श्री हरि की आराधना की जाती है।इसलिए साधक को पूजन भजन अवश्य करना चाहिए।
इस अवधि में जाने क्या करें
इस विशेष अवसर पर साधक को  पृथ्वी पर सोना चाहिए और पूर्णरुपेण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए साथ ही   तेल,दूध और दही का त्याग करके   गुड़ शहद, नमक का सेवन करना चाहिए।भूलकर भी   शाक-चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।धर्म की जय हो।।

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