संदीप
कुमार मिश्र: नाजुक बंधन में बंधा मजबूत रिश्ते की डोर।हमारे देश में हर रिश्ता
ईश्वर का दिया हुआ एक अनमोल उपहार है,जिसे बनाए रखना हमारा फर्ज भी है और नैतिक
जिम्मेदारी भी।इन्हीं रिश्तों में से एक है भाई बहन का रिश्ता रक्षा-बन्धन।जिसे
हमारे देश के हर हिस्से में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। भाई-बहन के
रिश्ते को मजबूती देता रक्षा-बंधन का पर्व देश में एकता और अखंडता की मिसाल भी पेश
करता है।
येन बद्धो बलिः
राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन
त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
इसी
मंत्र का उच्चारण करते हुए बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी यानी रक्षा-सूत्र बांधती हैं,और उनके लिए ये प्रार्थना करती हैं कि वो राजा बलि की
तरह प्रतापी, ताकतवर और दानवीर बनें।इस खास त्योहार पर अपने भाइयों से बहनें ये वचन भी लेती
हैं कि वो सदा अपने बहनों की रक्षा करेंगे।
हिन्दी
कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि(18 अगस्त2016) को रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता हैं।आमतौर पर रक्षा-बंधन भाई-बहनों के पर्व के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इस पर्व को लेकर अलग-अलग स्थानों की लोक परंपराओं के अनुसार अलग-अलग मान्यताएं भी हैं।
रक्षाबंधन
के पर्व पर जहां बहने अपने भाइयों की कलाई में रक्षा का धागा बांधने का बेसब्री से
इंतजार है,तो वहीं दूर-दराज
क्षेत्रों में बसे भाइयों को भी इस बात का इंतजार है कि उनकी बहना उन्हें राखी
भेजें।
रक्षा-बंधन कैसे शुरू हुआ, इसके बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं-
1. भविष्य पुराण के अनुसार सबसे पहले इन्द्र की पत्नी ने देवराज इन्द्र को
देवासुर संग्राम में असुरों पर विजय पाने के लिए मंत्र से सिद्ध करके रक्षा सूत्र
बांधा था। इस सूत्र की शक्ति से देवराज युद्ध में विजयी हुए।
2. शिशुपाल के वध के समय भगवान श्री कृष्ण की उंगली कट गई थी। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का आंचल फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया।
इस दिन सावन पूर्णिमा की तिथि थी। भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वो समय
आने पर आंचल के एक-एक सूत का कर्ज उतारेंगे और द्रौपदी
के चिरहरण के समय श्री कृष्ण ने अपने वचन को निभाया।
3. आधुनिक समय में राजपूत रानी कर्मावती की कहानी काफी प्रचलित है। राजपूत
रानी ने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगल शासक हुमायूं को राखी भेजी। हुमायूं ने
राजपूत रानी को बहन मानकर राखी की लाज रखी और उनके राज्य को शत्रुओं से बचाया।
रक्षा-बन्धन क्यों है खास ?
"रक्षाबंधन " रक्षा+बंधन दो शब्दों से मिलकर
बना है। आज के समय में हमारे समाज में जो सबसे बड़ी चुनौती है वो सामाजिक कुरीतियां
को दूर करने की है।ऐसे में कुरीतियों को दूर करने के लिए रक्षा बंधन का पर्व मददगार
साबित हो सकता है।आज जब हम बुजुर्ग माता - पिता को सहारा ढूंढते हुए वृ्द्ध आश्रम जाते हुए देखते
हैं, तो अपने विकास और उन्नति पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ पाते
हैं। अपनत्व और प्यार के बंधन से रिश्तों
को मजबूत करने का पर्व है रक्षा बंधन।
अगर हम वर्तमान परिप्रेक्ष में रक्षा-बंधन की आवश्यकता और महत्व
को देखें तो इसके दो रूप हमें देखने को मिलते हैं। एक तरफ
तो आज भी लोगों का एक समूह अपनी इस परंपरा में गहरी आस्था रखता है... उनके लिए ये पर्व
भाई -बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतीक है।रक्षा बंधन भारतीय
परम्पराओं का एक ऐसा पर्व है, जो भाई- बहन के स्नेह के साथ- साथ
हर सामाजिक संबंध को मजबूत करता है। इसलिए ये पर्व भाईबहन को
आपस में जोड़ने के साथ-साथ सांस्कृ्तिक,
सामाजिक महत्व
भी रखता है।
दरअसल
आधुनिक युग में समय की कमी ने रिश्तों में एक अलग तरह की दूरी बना दी है। जिसमें एक दूसरे के लिये समय
नहीं होता, इसके कारण परिवार के सदस्य भी आपस में बातचीत
नहीं कर पाते है। आपस में बातचीत
की कमी के कारण
मतभेद उत्पन्न होते हैं और गलतफहमियां
भी पैदा होती हैं।ऐसे में हमारे देश में मनाए जाने वाले पर्व और त्योहार संबंधों
को जोड़ने के लिए सेतू का कार्य करते हैं।रक्षा बंधन भी ऐसा पवित्र पर्व है जो
बमारे संबंधों को निरंतर प्रगाढ़ बनाता है।
आज समय के साथ पर्व की शुभता में कोई कमी नहीं आई है, बल्कि इसका महत्व और बढ गया है. आज के सीमित
परिवारों में कई बार, घर में केवल दो
बहने या दो भाई ही होते है, इस स्थिति में वे रक्षा
बंधन के त्यौहार पर मासूस होते है कि वे रक्षा बंधन का पर्व किस प्रकार मनायेगें।उन्हें कौन राखी बांधेगा, या फिर वे किसे राखी बांधेगी। इस प्रकार कि स्थिति सामान्य रुप से हमारे आसपास देखी जा सकती
है।
अगर इस दिन बहन -बहन, भाई-भाई को राखी बांधता है तो
इस प्रकार की समस्याओं से निपटा जा
सकता है।यह पर्व सांप्रदायिकता और वर्ग-जाति की दिवार को गिराने में भी मुख्य भूमिका निभाता है। जरुरत है तो केवल एक कोशिश की,सकारात्मक
सोचने की।
वैसे
तो देश के हर हिस्से में रक्षा- बन्धन का त्योहार मनाया जाता है,लेकिन एक जगह ऐसी
भी है जहां देश की रक्षा के लिए शहीद हुए एक जवान को हर वर्ष बहनें राखी बांधने
जाती हैं।कारगिल युद्ध में शहीद हुए ऐसे ही वीर सपूतों को रक्षा सूत्र बांधती हैं
भारतीय नारियां।जिसे देखकर हम सहज ही देश की एकता और अखण्डता का अन्दाज़ा लगाया जा
सकता है।
अंतत: प्रेम और स्नेह का ये अनमोल बंधन...रक्षा बंधन
आपके रिश्ते को ऐसे ही मजबूती प्रदान करता रहे हम तो यही कामना करते है।रक्षा बंधन
के पावन और पवित्र की पर्व की आप सभी हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।
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