Friday 5 August 2016

नागपंचमी : शिव सावन और नाग पूजा

                                    07 अगस्त 2016  (रविवार) को नागपंचमी का त्योहार

संदीप कुमार मिश्र: श्रावण शुक्ल पंचमी यानि नाग देव की पूजा का विशेष दिन..मतलब नागपंचमी का पर्व जो कि हमारे देश में परंपरागत तरीके और श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाया जाता है।नागपंचमी के विशेष दिन पर नाग दर्शन का विशेष महत्व हमारे धर्म शास्त्रों में बताया गया है।

मित्रों जैसा कि हम सब जानते कि सावन भगवान शिव का अति प्रिय माह है और सावन में महादेव के अभिषेक का विशेष महत्व है,ऐसे में भगवान भोलेनाथ के इस प्रिय माह में कहा जाता है कि सर्पों की पूजा करनी चाहिए और उन्हें मारना नहीं चाहिए।श्रावण के विशेष माह में,खासकर नागपंचमी के दिन( 07 अगस्त 2016,रविवार) को धरती खोदना भी हमारे हिन्दू धर्म में निषिद्ध माना गया है।
शुक्ल श्रावण पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व हमारे देश में खासतौर पर मनाया जाता है और इस दिन काष्ठ पर एक कपड़ा बिछाकर उस पर रस्सी की गांठ लगाकर सर्प का प्रतीक रूप बनाकर, उसे काले रंग से रंग दिया जाता है।साथ ही कच्चा दूध, घृत और शर्करा के साथ धान का लावा इत्यादि अर्पित किया जाता है।हमारे देश के सबसे बड़े सूबे यानि पूर्वी उत्तर प्रदेश मे नागपंचमी के दिन दीवारों पर गोबर से सर्पाकार आकृति बनाकर विधि विधान से पूजन किया जाता है।
नागपंचमी मनाने का क्या है महत्व ?
हमारे हिन्दू धर्मग्रंथों में ऐसा कहा गया है कि नागपंचमी के दिन नाग के पूजन का विशेष फल मिलता है। कहते हैं कि नाग देव की पूजा करने वाले को कभी भी नाग यानि सांप का भय नहीं होता है और न ही उसके परिवार मे किसी को नागो द्वारा काटे जाने का भय सताता है।एक प्रचलित कथा के अनुसार- एक किसान जब अपने खेतों मे हल चला रहा था, उस समय उसके हल से कुचल कर एक नागिन के बच्चे मर गए। अपने बच्चो को मरा देखकर क्रोधित नागिन ने किसान, उसकी पत्नी और लड़को को डंस लिया। जब वह किसान की कन्या को डसने गई तब उसने देखा किसान की कन्या दूध का कटोरा रखकर नागपंचमी का व्रत कर रही है। यह देख नागिन प्रसन्न हो गई। उसने कन्या से वर मांगने को कहा। किसान कन्या ने अपने माता-पिता और भाइयों को जीवित करने का वर मांगा। नागिन ने प्रसन्न होकर किसान परिवार को जीवित कर दिया। और तभी से यह परम्परा चली आ रही है कि श्रावण शुक्ल पंचमी को नागदेवता का पूजन करने से किसी प्रकार का कष्ट और भय नाग देव की पूजा करने वाले को नहीं रहता। 

नागपंचमी पर नागदेव की विशिष्ट पूजा क्यों?  
श्रावण(सावन)मास में सूर्य देव कर्क राशिगत मित्रगृही होते हैं।हम सब जानते हैं सावन का संबंध भगवान शिव से है और सदाशिव का श्रृंगार सर्प देवता हैं।इसलिए इस खास तिथि पर नागदेव की पूजा से आदिदेव महादेव की भी असीम कृपा भक्तों को प्राप्त होती है।
इस बार (7 अगस्त2016) नागपंचमी अति विशेष
दरअसल इस बार की नागपंचमी अतिविशेष है। जिसकी मुख्य वजह है कि ज्योतिष जगत मे जिस कालसर्प दोष को चर्चाएं हो रही हैं, वही दोष ग्रहों के मध्य इस विशेष तिथि के दिन निर्मित हो रहा है।और इस तिथि को कालसर्प दोष निवारण करने के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जाता है। कहने का मतलब है कि दोष निवारण करने वाली तिथि के दिन ही दोष का निर्माण होना अपने आप में एक दुर्लभ योग है।ऐसे तो इस प्रकार का योग कुछ सालो के अंतर में बनता ही है, लेकिन राहू, केतू के लिए नीच कही जाने वाली राशियो क्रमश: वृश्चिक और बृष राशि में नाग पंचमी के साथ-साथ सोमवार के दिन इस योग का होना बहुत ही दुर्लभ और खास है। वहीं इस प्रकार के कालसर्प योग के बनने का प्रारंभ शनिवार के दिन से होना इसे और भी अतिविशेष बना देता है। मतलब ये है कि कालसर्प योग, नीच राशि के राहू-केतू और सोमवार का दिन होने के कारण इस बार की नाग पंचमी का दिन साधकों के लिए विशेष लाभकारी होगा।
नागपंचमी पर क्या करें...?
इस विशेष पर्व पर नागदेवता के दर्शन अवश्य करें।साथ ही नागदेव के निवास स्थान पर पूजन करना चाहिए।और नागदेव को दूध पिलाने के बजाय उन पर दूध चढ़ाये। नागदेव को सुगंध प्रिय है इसलिए सुगंधित पुष्प और चंदन से पूजा करनी चाहिए।सर्पदोष दूर करने के लिए ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहामंत्र का जाप करना चाहिए। घर की दिवार पर घी के नाग देव बनाकर उनपर दूध चढ़ाएं।

भगवान आशुतोष और नागदेव की कृपा आप सब पर बनी रहे।ऊं नम: शिवाय।

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