Saturday, 18 November 2017

सूर्य का वृश्चिक राशि में हो गया प्रवेश, जानें क्या होगा आपकी राशि पर प्रभाव(16 November 2017)

संदीप कुमार मिश्र: ग्रहों का खेल भी अजीब निराला है।आपकी राशि में ग्रहों की दशाएं सही है तो बिगड़े काम भी बन जाते हैं नहीं तो बनते बनते बिगड़ जाएं।अब देखिए ग्रहों के राजा भगवान भास्कर यानि सूर्य देव अपनी राशि 16 नवंबर 2017 से परिवर्तित कर वृश्चिक राशि में प्रवेश कर गए हैं।जिसे हमारे ज्योतिष शास्त्र में उत्तम कहा जाता है। जबकि सूर्य अबतक अपनी सबसे कमजोर स्थिति यानि तुला राशि में विद्यमान थे,जो कि सूर्य की स्थिति सबसे कमजोर मानी जाती है।  जिसके परिणामस्वरुप लोगों के जीवन में किसी न किसी प्रकार की मुश्किलें ही आ रही थी।आपको ये जानना भी जरुरी है कि वृश्चिक में सूर्य के प्रवेश से पहले ही बुध ग्रह मौजूद था,और अब सूर्य के प्रवेश से दोनों मित्र ग्रह जीवन में लाभ ही लाएंगे।सूर्य और बुद्ध के मिलन का प्रभाव हमारे जीवन में एक महिने तक रहेगा।।
ऐसे में आईए जानते हैं कि रासि के अनुसार क्या करें उपाय जिससे जीवन की रफ्तार बेहतर बनी रहे-
मेष राशि
मेष राशि के जातकों को आने वाले एक महीने तक अपनी सेहत का विशेष ख्याल रखना चाहिए। क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए नहीं रिश्तों में कड़वाहट आ सकती है।उपाय के तौर पर 1रविवार के दिन गुड़ और गेहूं का दान आप कर सकते हैं।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों को आंखों और हड्डियों की समस्या परेशान कर सकती है,सावधान रहें।कुछ संभावन ऐसी भी है कि वैवाहिक जीवन में परेशानी भी आ सकती हैं,इसलिए सोचसमझ कर फैसला लें।उपाय के तौर पर रविवार के दिन व्रत करने अवश्य लाभ प्राप्त होगा।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातक खुश हो जाएं।खासकर यूवा वर्ग के लोगों के करियर में सफलता साफ मिलती नजर आ रही है।यात्रा करते समय सावधानी रखें और प्रतिदिन प्रात: उठकर सूर्य देव के मंत्र का जाप और जल अवश्य दें।जीवन में मंगल होगा।

कर्क राशि
कर्क राशि वालों का वैवाहिक जीवन,रोजगार और कारोबार बेहतर होगा। थोड़ा अपनी दैनिक दिनचर्या, खान-पान का ध्यान रखें।उपाय के तौर पर एक महीन तक दाएं हाथ की अनामिका उंगली में तांबे का छल्ला पहन ले,स्थिति बेहतर बनेगी।
सिंह राशि
सिंह राशि वालों को नित्य प्रति गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।ऐसे इस राशि के जातकों को आर्थिक लाभ की प्रबल संभावना है,संभव है कि आपका स्तान परिवर्तन भी हो।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातक अपने जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ख्याल रखे,किसी भी प्रकार का फैसला लेने में ध्यान रखें। किसी भी हालत में क्रोध करने से बचें।उपाय के तौर पर  प्रतिदिन भगवान भास्कर यानी सूर्य देव को जल अवश्य चढ़ाएं।
तुला राशि
इस राशि के जातक अपने वैवाहिक जीवन को बेहतर बनाएं।किसी भी प्रकार का तनाव ना लें आर्थिक लाभ अवश्य होंगे। उपाय के तौर पर तुला राशि वाले सूर्य के तांत्रिक मंत्र का जाप करें,बाधाओं से छुटकारा मिलेगा।

वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों को वाणी पर नियंत्रण और क्रोध पर संयम रखना चाहिए। यकिनन करियर में सम्मान और सफलता मिलेगी।प्रात:जल्दी उठकर जल में हल्दी मिलाकर भगवान सूर्य को अर्पित करें।
धनु राशि
ध्यान रखें मित्रों आर्थिक नुकसान हो सकता है। खासकर पिता के साथ संबंधों पर तो विशेष ध्यान रखें।पिता का सम्मान करें और लाल वस्त्रों से परहेज करें।
मकर राशि
इस राशि के जातकों को अचानक धन लाभ का योग बन रहा है।सावधानी से वाहन चलाएं और प्रतिदिन भगवान सूर्य के आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें।अवश्य लाभ प्राप्त होगा।
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों को सूर्य देव के परिवर्तन से हड्डियों में थोड़ी समस्या हो सकती है।लेकिन करियर में सफलता का विशेष योग नजर आ रहा है।एक उपाय करें,प्रतिदिन जल में रोली मिलाकर सूर्य को जल अवश्य चढ़ाएं।

मीन राशि
जरा सेहत का विशेष ध्यान रखें।सेहत बिगड़ सकती है इस राशि के जातकों की सेहत। तनाव भी बढ़ सकता है, लेकिन नौकरी,रोजगार और व्यापार में लाभ हो सकता है। रोली मिलाकर प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करें।इस उपाय से जीवन में खुशहाली आएगी।
ज्योतिर्विद् पं.शिवकुमार शुक्ल 

Friday, 17 November 2017

जानिए शिव तांडव स्त्रोत की महिमा,निर्माण और इसके फल के बारे में,

हम सभी जानते हैं कि लंकापति रावण प्रकांड पंडित था।जिसने अपनी रक्षा के लिए शिवतांडव स्तोत्र का निर्माण किया था।कहते हैं कि शिवतांडव स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को सभी प्रकार की सिद्धि प्राप्त हो जाती है और साधक सहज ही भगवान शिव की कृपा का पात्र बन जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिव तांडव स्त्रोत का निर्माण कैसे और किन परिस्थितियों में हुआ।आईए जानते है-

दरअसल कुबेर और रावण दोनों ही महान ऋषि विश्रवा के पुत्र थे लैकिन दोनो सौतेले भाई थे। ऐसा हमारे धर्म शास्त्रों में लिका गया है कि ऋषि विश्रवा ने सोने से निर्मित लंका का राज्य अपने एक पुत्र कुबेर को दे दिया लेकिन किन्हीं कारणवश अपने पिता के कहने पर वे लंका छोड़कर कर हिमाचल की ओर प्रस्तान कर गये।जिसके बाद दशानन रावण लंका का राजा बन गया।राजा बनते ही रावण अहंकारी बन गया और संतजनो पर अत्याचार करने लगा।

कुबेर को जब दशानन के अत्याचारों का पता चला तो उन्होने भाई को समढाने के लिए एक दूत भेजा और रावण को सत्य की राह पर चलने की सलाह दी।इस बात से क्रोधित होकर रावण ने दूत को बंदी बना लिया और क्रोध में तुरंत अपनी तलवार से दूत की हत्या कर दी।इतना ही नहीं सेना सहित कुबेर की नगरी अलकापुरी को जीतने के लिए निकल पड़ा और अलकापुरी को तहस-नहस कर डाला, अपने भाई कुबेर को भी गदा के प्रहार से घायल कर दिया। लेकिन कुबेर के सेनापतियों ने किसी तरह से कुबेर को नंदनवन पहुँचा दिया।
इतना ही नहीं रावण ने कुबेर की नगरी अलकापुरी और उसके पुष्पक विमान पर भी कब्जा कर लिया।एक कथानुसार जब जब रावण पुष्पक विमान पर सवार होकर शारवन की तरफ जा रहा था तभी एक पर्वत के पास से गुजरते हुए पुष्पक विमान की गति यकायक धीमी हो गई। पुष्पक विमान के संबंध में कहा जाता है कि वह चालक की इच्छानुसार चलता था और उसकी गति मन की गति से भी तेज थी, इसलिए जब पुष्पक विमान की गति मंद हो गर्इ तो लंकापति रावण को बडा आश्चर्य हुआ।इसी उहापोह में उसकी दृष्टि जब सामने खडे विशालकाय काले शरीर वाले नंदीश्वर पर पडी जो दशानन रावण को सचेत करते हुए कहने लगे कि-
यहां प्रभु देवों के देव महादेव क्रीड़ा में मग्न हैं इसलिए तुम लौट जाओ, लेकिन लंकापति रावण कुबेर पर विजय के पश्चात इतना अभिमानी,दंभी हो गया था कि वो किसी की बात सुनने को तैयार नहीं था।अपने इसी दंभवश रावण ने कहा कि – कौन है ये शंकर और किस अधिकार से वह यहाँ क्रीड़ा करता है? मैं उस पर्वत का नामो-निशान ही मिटा दूँगा, जिसने मेरे विमान की गति अवरूद्ध की है। ये कहते हुए रावण पर्वत को उठाने लगा। अचानक इस विघ्न से भगवान शंकर विचलित हुए और वहीं बैठे-बैठे अपने पाँव के अंगूठे से उस पर्वत को दबा दिया जिससे कि वो स्थिर हो जाए।भोलेनाथ के ऐसा करनो की देरी भर थी कि दशानन रावण की बांहें उस पर्वत के नीचे दब गई।जिसका परिणाम हुआ कि क्रोध और भयंकर पीडा से रावण कराह उठा,उसकी पीड़ा और चित्कार इतनी भयंकर थी कि लगा मानो प्रलय आ जाएगा।

रावण की भयंकर पीड़ा और कराह को सुन रावण के सलाहकारों ने उसे शिव स्तुति करने की सलाह दी जिससे कि उसका हाथ पर्वत से मुक्त हो सके।रावण के दर्द का प्रभाव देखिए कि अविलंब उसने सामवेद में उल्लेखित शिव के सभी स्तोत्रों का गान शुरू कर दिया। जिससे प्रसन्न होकर महादेव ने दशानन को क्षमा दान देते हुए उसकी बांहों को मुक्त कर दिया।

इस प्रकार शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से आदि देव महादेव हमारे प्राणों की रक्षा करते हैं और उनकी कृपा हम पर सदैव बनी रहती है।प्रेम से बोलिए हर हर महादेव।।

जाने क्या करें उपाय:जिससे शनि महाराज हों प्रसन्न:साढ़ेसाती,ढैय्या से मिले शांति

संदीप कुमार मिश्र: ऊं शं शनिश्चराय नम: ।भगवान शनिदेव की महिमा अपरंपार है।कहते हैं शनि महाराज की कृपा बनी रहे तो सभी बिगड़े काम बन जाते है और यदि हमारी कुंडली में शनि देव बिगड़ जाए हो तो हमारे जीवन में कष्टों का पहाड़ टूट पड़ता है।
शनि के बुरे प्रभाव से अर्थ यानि धन की कमी होती है,जिससे कर्जे में वृद्धि होती जाती है। खर्चे निरंतर बढ़ जाते हैं। ऐसे में अगर आमदनी बहुत कम हो गई है या घर में कलेश रहता है या फिर लड़ाई-झगड़े या मुक़दमे लगातार बने रहते हैं, सेहत ठीक नहीं रहती है तोशनि देव को प्रसन्न रखने के लिए कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए-
पहला उपाय
शनि के प्रभाव को कम करने और कष्टों से बचने के लिए काले घोड़े के नाल का प्रयोग करना चाहिए। क्योंकि सड़क पर दौड़ते-दौड़ते वह लोहे की नाल घिसती जाती है और अपने आप गिर जाती है,जिससे वो एक चमत्कारी वस्तु बन जाती है।इसके प्रयोग से चमत्कारिक लाभ मिलते हैं। शनि को प्रसन्न करने के लिए काले घोड़े का नाल पहना जाता है। घोड़े के नाल का छल्ला बनाकर बीच वाली उंगली में पहनना चाहिए।ऐसा करने से चमत्कारीक लाभ मिलता है।
दूसरा उपाय
हमें अपनी क्षमता के अनुसार शनिवार की शाम को एक या दो गरीबों को भरपेट भोजन अवश्य कराना चाहिए। भोजन में रोटी पराठे चावल सब्जी दाल होना चाहिए।भोजन के पश्चात मिठाई और खीर भी खिलानी चाहिए। साथ ही उसे कुछ धन का दान भी देना चाहिए।
तीसरा उपाय
शनिवार को कुछ खास चीजें  भी अवश्य दान करनी चाहिए।जैसे शनिवार को काजल,काला कंबल और लोहे के चाक़ू का हमें दान करना चाहिए।रात को किसी गरीब या जरूरत मंद को कंबल ओढ़ा देंना चाहिए।किसी निर्धन या जरूरतमंद को 8 काजल की डिब्बी दान करनी चाहिए और लोहे के पांच चाक़ू दान करें जो कि किसी लोहार से ही खरीदी गई हो।
चौथा उपाय
हम सब जानते हैं कि बाल शनि का कारक होता है।ऐसे में शनिवार के दिन बाल कटवाने से शनिदेव शांत होते हैं।इसलिए बाल कटवाकर शनि को शांत करने के लिए किसी शनि मंदिर में जाकर शनिदेव का हवन करना चाहिए।ध्यान रखें हवन में आम की लकड़ी जलाकर हवन सामग्री और काले तिल की ही आहुति दें।


ऐसा करने से शनि देव की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी।और आपका जीवन सुखमय बितेगा।                                       ।।जय शनिदेव।।

Wednesday, 15 November 2017

जिंदगी का कड़वा सच


श्रीमद् भागवत कथा सार भाग-1

श्रीमद् भागवत कथा कलियुग में किसी संजीवनी से कम नहीं है।ऐसे में ये जानना भी सभी भगवत प्रेमियों के लिए आवश्यक है कि आखिर श्रीमद्भागवत कथा ही क्यों ? वेद उपनिषद् या अन्य पौराणिक धर्म ग्रंथ क्यों नहीं ?
ऐसे में विद्वतजन का श्रीमद् भागवत के संबंध में क्या विचार है जानते हैं श्रीमद्भागवत का मूल रहस्य सरल भाव में-

प्रथम दिवस
श्रीमद्भागवत में श्री सूत जी महाराज से जब सनकादिक ऋषियों ने पूछा कि वेदों और उपनिषदों की कथा क्यों नहीं होती ? श्रीमद्भागवत ही क्यों |ऐसे में  श्री सूत जी महाराज ने उन्हें सरल भाव में कहा कि वेद और उपनिषद् सनातन धर्म नामक वृक्ष की जड़ें हैं और श्रीमद् भागवत उस वृक्ष का अमृत फल है।ऐसे में सहज ही उत्तर मिल जाता है कि खाने के लिए तो वृक्ष के फल की ही आवश्यकता होती है,अत: श्रवण योग्य श्रीमद् भागवत ही है ना की वेद और उपनिषद् । और ऐसे भी जिस फल को तोते ने जूठा किया हो उसकी मिठास का क्या कहना। यहां पर विशेष ध्यान रखना चाहिए कि श्रीमद्भागवत की कथा को महाराज सुकदेव जी ने राजा परीक्षित को अपने मुखार्विन्द से सुनाया था ।
एक सवाल जो अक्सर जनसामान्य के मन में उठता है वो ये है कि ईश्वर तो सर्वत्र विद्यमान हैं, इसलिए मंदिर या फिर तीर्थ स्थलों में जाने से क्या लाभ ? बिल्कुल ठीक बात भी है लेकिन ठीक इसी प्रकार  हवा तो सभी जगहों पर विद्यमान है फिर लोगों को पंखे चलाने की क्यों आवश्कता पड़ती है ? सहज ही स्पस्ट हो जाता है कि  जहाँ भगवत कथा हो रही हो वहाँ परमात्मा के सानिध्य का आनंद ही कुछ और होता है।परम आनंद प्राप्त होता है।
मित्रों श्रीमद् भागवत की कथा प्रारंभ में तीन अलग-अलग क्षेत्रों में हुईं। महाराज सुकदेव जी ने कथा को राजा परीक्षित को सुनाया। दोनो ही भगवान के अनन्य भक्त थे। इसलिए यह कथा भक्ति के क्षेत्र में हुई। इसी कथा को महाराज सूत जी ने सनकादिक ऋषियों को सुनाया।जबकि ये सभी परम ज्ञानी थे, इसलिए यह कथा ज्ञान के क्षेत्र में हुई। इसी प्रकार श्रीमद्भागवत की कथा को मैत्र्य ऋषि ने विदुर जी को सुनाया। दोनो ही महान कर्म योगी थे इसलिए यह कथा कर्म के क्षेत्र में हुई।इस प्रकार से हम देखते हैं कि श्रीमद् भागवत की कता में तीनों यानी भक्ति, ज्ञान और कर्म का सहज ही समावेश है।
साथियों भगवान श्रीकृष्ण ने महाराज परीक्षित की रक्षा तब की थी जब वे अपनी माँ उत्तरा के गर्भ में थे अर्थात जो परमात्मा माँ के गर्भ में आपकी रक्षा कर सकता है वह आपकी कहीं भी रक्षा कर सकता है । आवश्यकता है तो उस परम पिता परमात्मा को सच्चे भाव से याद करने की।कहते हैं कि जिस प्रकार से पत्थर पर पत्थर के घर्षण से अग्नि प्रज्वलित हो जाती है,ठीक उसी प्रकार परमेश्वर को सतत याद करने से परमेश्वर कहीं भी प्रकट हो सकते है। एक बार की बात है-मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम जी ने महाबली हनुमान जी महाराज से  पूछा कि हे ज्ञानियों में अग्रगण्य हनुमान जी, मुझे ये बताएं कि दुनिया की सबसे बड़ी विपत्ति कौन सी है ?   हनुमान जी महाराज ने सहज ही भगवान से कहा कि प्रभु संसार में सबसे बड़ी विपत्ति है जब मनुष्य आपका सुमिरन भूल जाए,सत्संग करना छोड़ दे।
ज्ञान और विद्या की देवी हैं माँ सरस्वती। इसीलिए महाराज व्यास जी ने श्रीमद् भागवत की रचना बद्रिकाश्रम में सरस्वती नदी के निर्मल तट पर की थी। माँ सरस्वती जी का वाहन हंस है । स्पष्ट है कि जिस तरह हंस दूध पी लेता है और पानी छोड़ देता है,उसी तरह ज्ञान दोषों के मध्य से गुणों को ग्रहण करने की युक्ति हमें प्रदान करता है।| श्रीमद् भागवत वह कथा है जिसकी रचना माँ सरस्वती की कृपा से हुई थी। इसलिए इसके श्रवण से ज्ञान प्राप्त होता है जो हम अज्ञानी मनुष्य को अंदर से पवित्र कर देता है।
कितना सुंदर प्रसंग है कि जब महाराज गोकरण ने श्रीमद् भागवत की कथा कही उस समय कथा तो सभी श्रवण कर रहे थे लेकिन कथा समापन के अंतिम दिवस पर भगवान का विमान धुंधकारी को ही स्वर्ग ले जाने के लिए आया।प्रश्न उठता है कि आखिर  ऐसा क्यों हुआ ? क्योंकि धुंधकारी तीन घंटे कथा श्रवण करता था और बाकी समय उसका चिंतन करता था और अपने को दीन मानकर अपने सद्गुरु पर श्रद्धा और विश्वास कर रहा था।
क्रमश:........................जारी है...शेष अगले भाग में,

।।बोलिए जय जय श्रीराधे।।

Thursday, 9 November 2017

Sanjay Leela Bhansali Speaks | Padmavati | संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्...

संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती पर सफाई संदीप कुमार मिश्र: संजय लीला भंसाली की फिल्मय 'पद्मावती' पहले दिन से ही विवादों का शिकार रही है,अब तो जैसे-जैसे इस फिल्मी की रिलीज डेट पास आती जा रही है,पद्मावती फिल्मर का विरोध भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में पद्मावती के निर्देशक संजय लीला भंसाली ने अब खुद सामने आकर लोगों को विश्वास दिला रहे हैं कि इस फिल्म में कोई ऐसा सीन नहीं है जिससे राजपूत समाज के सम्मान पर आंच आए। भंसाली ने अपने वीडियो में यह भी कहा है कि उनकी फिल्मज राजपूती शान और संस्कालरों को ध्याडन में रखकर ही बनायी गई है।आपको बता दें कि पद्मावती फिल्मर का राजस्था न के साथ ही देश के कई और हिस्सोज में भी लगातार विरोध हो रहा है। भंसाली ने अपने वीडियो में कहा, 'मैंने यह फिल्म् बहुत इमानदारी और मेहनत से बनाई है. रानी पद्मावती की कहानी से मैं हमेशा प्रभावित रहा हूं और यह फिल्मु उनकी वीरता और उनके आत्म बलिदान को नमन करती है. लेकिन कुछ अफवाहों के चलते यह विवादों का मुद्दा बन कई है. अफवाह है कि इसमें रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के बीच ड्रीम सीक्वें्स दिखाया गया है. मैंने इस बात को पहले ही नकारा है, लिखित प्रमाण दिए हैं और एक बार फिर नकार रहा हूं कि इस फिल्मा में रानी पद्मावती और खिलजी के बची कोई ऐसा सीन नहीं है जो किसी की भावना को ठेस पहुंचाए. हमने इस फिल्मल को बहुत जिम्मेनदारी से बनाया है और राजपूती मान का पूरा ध्यालन रखा है.' बहरहाल देखना दिलचस्प होगा कि पद्मावती फिल्म रिलीज करने में संजय लीला भंसाली को और कितनी पापड़ बेलनी पड़ती है।हम तो यही कहेंगे कि जनाब भंसाली जी इतिहास से छेड़छाड़ हमेशा ही नुकसान दायक होता है और खासकर तब जब बात स्वाभिमान और राष्ट्र के गौरव की हो।छोड़ी सावधानी तो बनती ही है जनाब....!!!

Wednesday, 8 November 2017

नोटबंदी के एक साल: मोदी सरकार पास या फेल ?

संदीप कुमार मिश्र: कड़े फैसले लेने के लिए जाने जाने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। जिन्होने एक के बाद एक पिछले तीन सालों में कई कड़े फैसले लिए,जिनमें एस प्रमुख फैसला था नोटबंदी का।आज यानि 8 नवंबर को नोटबंदी के एक साल पूरे हो रहे हैं।ऐसे में ये जानना बेहद दिलचस्प है कि नोटबंदी से देश को क्या मिला ? मसलन देश की अर्थव्यवस्था को कितना फायदा-नुकसान हुआ, काले धन पर किस हद तक लगाम लगी ? आम जनता कितनी परेशान रही और उफसे क्या हासिल हुआ ? क्या नोटबंदी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजनीतिक कद बढ़ा ?
जनता का अटूट विश्वास मोदी में बरकरार
दरअसल आम जनता और सरकार के लिए नोटबंदी का फैसला बेहद अहम था। कहना गलत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए नोटबंदी का फैसला अब तक का सबसे साहसिक फैसला था। ऐसा कहना इसलिए स्वाभाविक है कि इसका असर देश के आमजन से था।आप सभी को याद होगा जब नोटबंदी का ऐलान हुआ था उस समय यानि शुरुआती दिनों में जनसामान्य को बहुत परेशानी सहनी पड़ी। बैंकों में लंबी लंबी कतारें, एटीएम सेंटर के बाहर दिन दिन भर लाइनो में खड़े रहना और रात गुजारना। पुलिस की लाठियां खाना बावजूद इसके प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की नियत पर कोई बड़ा सवाल नहीं खड़ा किया गया।
जबकि नोटबंदी के मुद्दे पर सभी सियासी पार्टियां सरकार को धेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी लेकिन जनता का अटूट समर्थन और विश्वास पीएम मोदी के साथ बना रहा। क्योंकि 8 नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के दिए फरमान को देस की आवाम ने काले धन, भ्रष्टाचार और नकली नोटों को अर्थव्यवस्था से खत्म करने के कदम के रूप में देखा और स्वागत किया।

आप कह सकते हैं कि भ्रस्टाचार के इन मुद्दों पर नोटबंदी से कोई बहुत बड़ी उपलब्धि शायद सरकार को हासिल नहीं हुई, लेकिन बाजवूद इसके ज्यादातर लोगों का यही मानना था कि नोटबंदी देशहित में सही और जरूरी कदम था।हां ये असल बात है कि आनन फानन में नोटबंदी को लागू करने में सरकार से कहीं ना कहीं कुछ चूक अवश्य हो गयी जिसका हरजाना आम जनता को भुगतना पड़ा।
सफलता आधी-अधूरी लेकिन मोदी की मंशा अच्छी,
कहना गलत नहीं होगा कि मोदी की नियत में कोई खोट नहीं है।पीएम के द्वारा उठाया गया हगर कदम देस के लिए होता है।तभी तो जनता में ये आवाज बुलंद हुई कि देश हित में नोटबंदी जैसे बड़े कदम उठाने में भी प्रधानमंत्री गुरेज नहीं करते,जबकि जिस समय पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया,उस समय राजनीतिक पंडितों का मानना ता कि इस फैसले से मोदी ने अपना भयंकर राजनीतिक नुकसान किया है,जिसका हरजाना भविष्य में बीजेपी को चुकाना पड़ेगा। लेकिन सबसे मजेदार रहा कि नोटबंदी के बाद हुए चुनावों में जिस तरह से जनता जनार्दन ने बीजेपी को वोट दिए उससे स्पस्ट हो गया कि राजनीतिक पंडितों की भविष्यवाणी गलत साबित हो गयी और वो जनता का असल मूड भांपने में विफल हो गये।
नोटबंदी से अमीर गरीब सब बराबर
नोटबंदी मोदी सरकार का एक ऐसा फैसला था,जिससे अमीर और गरीब सब एक कतार में आ गये। बैंकों की कतार में खड़े गरीब तबके के लोग इसी बात से खुश थे कि उन्हें थोड़ी परेशानी जरूर हुई लेकिन नोटबंदी के फैसले से आम और खास सब लाइन में रहे और बड़े बड़े लोग परेशान नजर आए।यकिनन अमीरों की परेशानी गरीबों के लिए लिए किसी संतोष से कम नहीं थी।इसका भी भरपूर फायदा मोदी सरकार को हुआ और आम जन में सरकार का विश्वास बढ़ा।
आतंकवाद पर लगी लगाम और कालेधन पर लगी रोक
नोटबादी का फैसला इतना सही और सटीक निर्णय था कि इस कदम से देश की अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आई और कालेधन पर कुछ हद तक नियंत्रण भी दिखा।जब देश की जनता महंगाई,भ्रष्टाचार और कालेधन से आजिज हो गई थी तब सत्ता परिवर्तन हुआ और 2014 में देश ने नई सरकार को सत्ता पर काबिज किया यानी मोदी सरकार।ऐसे में नोटबंदी के फैसले को बीजेपी ने भी जन आंदोलन का रूप दिया, जिसे बाकायदा लोगों ने स्वीकार किया। भले ही नोटबंदी से हुए नफा नुकसान का कोई ठोस आंकड़ा अभी सामने नहीं आया है लेकिन इसका असर जरूर दिखाई दिया, नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले से कालेधन, भ्रष्टाचर और आतंकवादी संगठनों पर लगाम लगाने में कुछ हद तक सफलता अवश्य मिली।


Saturday, 4 November 2017

गुरुनानक देव जी का प्रकाश पर्व उत्सव

संदीप कुमार मिश्र: देश ही नहीं विश्व भर में सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव जी का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। गुरु नानक जंयती को गुरु पर्व के नाम से भी जाना जाता है। सिख समुदाय के लोग गुरु पर्व को बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ मनाते हैं।गुरु नानक जी के बाद सिख धर्म में 10 गुरु हुए।हमारे देश में गुरु नानक जंयती या गुरु पर्व पर तीन दिन से ही जश्न मनाने की तैयारियां शुरू हो जाती है।इस खास अवसर पर सिख धर्म के अनुयायी गुरु नानक देव जी के भजन गाते हुए गुरुद्वारे से प्रभात फेरी निकालते हैं और 48 घंटे तक बिना रुके गुरुद्वारों में अखंड पाठ पढ़ा जाता है।इस खास अवसर पर कई तरह की झांकिया निकाली जाती है। जगह जगह पर लंगर यानि प्रसाद बांटा जाता है। इस पर्व को लेकर श्रद्धालुओं के मन में विशे, श्रद्धा का भाव का रहता है। सिख समुदाय में गुरु नानक जंयती सबसे बड़ा पर्व होता है।
मित्रों गुरुनानक देवजी सिख धर्म के सिर्फ संस्थापक ही नहीं मानव धर्म के उत्थापक भी थे।गुरु नानक देव जी केवल किसी धर्म विशेष के गुरु नहीं अपितु संपूर्ण सृष्टि के जगद्गुरु थे।
'नानक शाह फकीर। हिन्दू का गुरु, मुसलमान का पीर।
आपको बता दें कि गुरुनानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 को लाहौर से करीब 40 मील दूर स्थित तलवंडी सायभोय नामक गाँव में हुआ था । ये जगह बंटवारे के बाद पाकिस्तान में चला गया। भाई गुरुदासजी लिखते हैं कि इस संसार के प्राणियों की त्राहि-त्राहि को सुनकर अकाल पुरख परमेश्वर ने इस धरती पर गुरुनानक को पहुँचाया, 'सुनी पुकार दातार प्रभु गुरु नानक जग महि पठाइया।' उनके इस धरती पर आने पर 'सतिगुरु नानक प्रगटिआ मिटी धुंधू जगि चानणु होआ' सत्य है, नानक का जन्मस्थल अलौकिक ज्योति से भर उठा था। उनके मस्तक के पास तेज आभा फैली हुई थी। पुरोहित पंडित हरदयाल ने जब उनके दर्शन किए उसी क्षण भविष्यवाणी कर दी थी कि यह बालक ईश्वर ज्योति का साक्षात अलौकिक स्वरूप है। बचपन से ही गुरु नानक देव जी का मन आध्यात्मिक ज्ञान एवं लोक कल्याण के चिंतन में डूबा रहता था।
दरअसल गुरुनानक देवजी का जीवन एवं धर्म दर्शन युगांतकारी लोकचिंतन दर्शन था। गुरु नानक देव जी सांसारिक यथार्थ से नाता तोड़ने के खिलाफ थे,क्योंकि उनका कहना था कि मनुष्य संन्यास लेकर स्वयं का अथवा लोक कल्याण नहीं कर सकता, जितना कि स्वाभाविक एवं सहज जीवन में रहकर कर सकता है। इसलिए उन्होंने गृहस्थ त्याग गुफाओं, जंगलों में बैठने से प्रभु प्राप्ति नहीं अपितु गृहस्थ में रहकर मानव सेवा करना श्रेष्ठ धर्म बताया।
गुरु नानक देव जी का कहना था कि अंतर आत्मा से ईश्वर का नाम जपो, ईमानदारी एवं परिश्रम से कर्म करो तथा अर्जित धन से असहाय, दुःखी पीड़ित, जरूरततमंद इंसानों की सेवा करो। गुरु उपदेश है, 'घाल खाये किछ हत्थो देह। नानक राह पछाने से।' इस प्रकार श्री गुरुनानक देवजी ने अन्न की शुद्धता, पवित्रता और सात्विकता पर जोर दिया।
आईए हम सब भी गुरु पर्व के इस पावन अवसर पर देश में प्रेम और सामन्जस्य के सात रहकर देश को आगे बढ़ाएं।।गुरु पर्व और प्रकाश पर्व की आप सभी को हार्दिक बधाई।। 

Wednesday, 1 November 2017

मुद्दे जो छूट रहे हैं…सरकार !


संदीप कुमार मिश्र:  दुनिया भर में शायद ही ऐसा कोई देश होगा जहां सब कुछ ठीक होगा। खासकर मानवता के नजरिये से।क्योंकि व्यवस्थाएं समाज के लिए हैं उन्नति और विकास के लिए हैं।समानता और सहिष्णुता स्थापित करने के लिए हैं।लेकिन ये सभी बातें शायद ही कोई सरकार  पूरी कर पाती है।हां अंतर ये हो सकता है कि असमानता की ये खाई किसी देश में कम और किसी देश में ज्यादा होगी,लेकिन है सभी जगह। जिनपर लगातार मीडिया में चर्चा भी होती है और होती रहनी भी चाहिए।
दरअसल भारत जहां नित नई ऊंचाईयों की ओर अग्रसर हो रहा है ऐसे में कुछ बुनियादी मुद्दे हैं जिनपर सरकार के साथ ही मीडिया में भी सकारात्मक पहल लगातार होनी चाहिए,जिससे स्वस्थ भारत की रफ्तार धीमी ना पड़े।  ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि हमारी बुनियादी ज़रूरतें आखिर हैं क्या ?
यकिनन मनुष्य की कुछ मूलभूत आवश्यकताएं हैं,मसलन जीने के लिए एक मनुष्य की पहली आवश्यकता शारीरिक है यानि भूख और प्यास।कहने का मतलब है कि रोटी-कपड़ा और मकान। वहीं पेट भरने भरने लगे तो सुरक्षा की चिंता सताने लगती है।जैसे दुर्घटना से शारीरिक सुरक्षा, मौसम की मार से बचाव, भविष्य की जरूरतों को लेकर चिंता, और उससे भी ज्यादा बड़ी नौकरी या कामधंधे की सुरक्षा यानि जॉब सिक्योरिटी। इसके बाद मनुष्य की कुछ सामाजिक जरूरतें भी हैं।तभी तो कहते हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।वहीं समय के साथ आत्म सम्मान की प्रबल आवश्यकता मनुष्य को है।
इतना ही नहीं देश में कुपोषण, अनाज की कमी, पानी का इंतजा़म, रोजगार और सुरक्षा को प्राथमिकता के तौर पर देखने और अम्ल करने की आवश्यकता है। जब हम विश्वपटल पर विकासशील देश और तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर हो रहे हैं तो जरुरी है कि बुनियादी आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दिया जाए।