Wednesday 8 November 2017

नोटबंदी के एक साल: मोदी सरकार पास या फेल ?

संदीप कुमार मिश्र: कड़े फैसले लेने के लिए जाने जाने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। जिन्होने एक के बाद एक पिछले तीन सालों में कई कड़े फैसले लिए,जिनमें एस प्रमुख फैसला था नोटबंदी का।आज यानि 8 नवंबर को नोटबंदी के एक साल पूरे हो रहे हैं।ऐसे में ये जानना बेहद दिलचस्प है कि नोटबंदी से देश को क्या मिला ? मसलन देश की अर्थव्यवस्था को कितना फायदा-नुकसान हुआ, काले धन पर किस हद तक लगाम लगी ? आम जनता कितनी परेशान रही और उफसे क्या हासिल हुआ ? क्या नोटबंदी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजनीतिक कद बढ़ा ?
जनता का अटूट विश्वास मोदी में बरकरार
दरअसल आम जनता और सरकार के लिए नोटबंदी का फैसला बेहद अहम था। कहना गलत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए नोटबंदी का फैसला अब तक का सबसे साहसिक फैसला था। ऐसा कहना इसलिए स्वाभाविक है कि इसका असर देश के आमजन से था।आप सभी को याद होगा जब नोटबंदी का ऐलान हुआ था उस समय यानि शुरुआती दिनों में जनसामान्य को बहुत परेशानी सहनी पड़ी। बैंकों में लंबी लंबी कतारें, एटीएम सेंटर के बाहर दिन दिन भर लाइनो में खड़े रहना और रात गुजारना। पुलिस की लाठियां खाना बावजूद इसके प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की नियत पर कोई बड़ा सवाल नहीं खड़ा किया गया।
जबकि नोटबंदी के मुद्दे पर सभी सियासी पार्टियां सरकार को धेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी लेकिन जनता का अटूट समर्थन और विश्वास पीएम मोदी के साथ बना रहा। क्योंकि 8 नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के दिए फरमान को देस की आवाम ने काले धन, भ्रष्टाचार और नकली नोटों को अर्थव्यवस्था से खत्म करने के कदम के रूप में देखा और स्वागत किया।

आप कह सकते हैं कि भ्रस्टाचार के इन मुद्दों पर नोटबंदी से कोई बहुत बड़ी उपलब्धि शायद सरकार को हासिल नहीं हुई, लेकिन बाजवूद इसके ज्यादातर लोगों का यही मानना था कि नोटबंदी देशहित में सही और जरूरी कदम था।हां ये असल बात है कि आनन फानन में नोटबंदी को लागू करने में सरकार से कहीं ना कहीं कुछ चूक अवश्य हो गयी जिसका हरजाना आम जनता को भुगतना पड़ा।
सफलता आधी-अधूरी लेकिन मोदी की मंशा अच्छी,
कहना गलत नहीं होगा कि मोदी की नियत में कोई खोट नहीं है।पीएम के द्वारा उठाया गया हगर कदम देस के लिए होता है।तभी तो जनता में ये आवाज बुलंद हुई कि देश हित में नोटबंदी जैसे बड़े कदम उठाने में भी प्रधानमंत्री गुरेज नहीं करते,जबकि जिस समय पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया,उस समय राजनीतिक पंडितों का मानना ता कि इस फैसले से मोदी ने अपना भयंकर राजनीतिक नुकसान किया है,जिसका हरजाना भविष्य में बीजेपी को चुकाना पड़ेगा। लेकिन सबसे मजेदार रहा कि नोटबंदी के बाद हुए चुनावों में जिस तरह से जनता जनार्दन ने बीजेपी को वोट दिए उससे स्पस्ट हो गया कि राजनीतिक पंडितों की भविष्यवाणी गलत साबित हो गयी और वो जनता का असल मूड भांपने में विफल हो गये।
नोटबंदी से अमीर गरीब सब बराबर
नोटबंदी मोदी सरकार का एक ऐसा फैसला था,जिससे अमीर और गरीब सब एक कतार में आ गये। बैंकों की कतार में खड़े गरीब तबके के लोग इसी बात से खुश थे कि उन्हें थोड़ी परेशानी जरूर हुई लेकिन नोटबंदी के फैसले से आम और खास सब लाइन में रहे और बड़े बड़े लोग परेशान नजर आए।यकिनन अमीरों की परेशानी गरीबों के लिए लिए किसी संतोष से कम नहीं थी।इसका भी भरपूर फायदा मोदी सरकार को हुआ और आम जन में सरकार का विश्वास बढ़ा।
आतंकवाद पर लगी लगाम और कालेधन पर लगी रोक
नोटबादी का फैसला इतना सही और सटीक निर्णय था कि इस कदम से देश की अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आई और कालेधन पर कुछ हद तक नियंत्रण भी दिखा।जब देश की जनता महंगाई,भ्रष्टाचार और कालेधन से आजिज हो गई थी तब सत्ता परिवर्तन हुआ और 2014 में देश ने नई सरकार को सत्ता पर काबिज किया यानी मोदी सरकार।ऐसे में नोटबंदी के फैसले को बीजेपी ने भी जन आंदोलन का रूप दिया, जिसे बाकायदा लोगों ने स्वीकार किया। भले ही नोटबंदी से हुए नफा नुकसान का कोई ठोस आंकड़ा अभी सामने नहीं आया है लेकिन इसका असर जरूर दिखाई दिया, नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले से कालेधन, भ्रष्टाचर और आतंकवादी संगठनों पर लगाम लगाने में कुछ हद तक सफलता अवश्य मिली।


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