संदीप कुमार मिश्र: ना जाने क्यूं
ऐसा बार-बार कहने को मन कर रहा है कि देश में जो कुछ फिलहाल हो रहा है सत्ता से
दूर रहने की कसप है...क्योंकि लोग अक्सर कहा करते थे कि कांग्रेस बहुत दिनो तक
सत्ता से दूर रहने की आदी नहीं हैं...आप समझ सकते हैं कि हम बात किसकी कर रहे
हैं...नागरिकता संशोधन कानून (CAA and NRC)...जिसपर पूरे देश में
बवाल काट रहे हैं कुछ उपद्रवी,उन्मादी और सत्ता के लोभी लोग...देश के हर हिस्से
में विरोध प्रदर्शन, तोड़-फोड़ और
हिंसा, जनधन को खूब नुकसान पहुंचा रहे हैं ये देश विरोधी लोग...सरकारी संपत्तियों का लगातार नुकसान हो रहा है...
सत्ता पक्ष जहां #CitizenshipAmendmentAct(CAA) लाकर अपना चुनावी वादा
पूरा करने में लगी है, वहीं सत्ता से
जिन्हें जनता ने बेदखल कर दिया है वो विपक्षी दल जनता के सीने पर पैर रखतक उन्हें
अपना मोहरा बनाकर उपद्रव करवा रहे हैं...
मजे की बात देखिए #CAA सिर्फ बयानबाजों के लिए ही नहीं, धरना-प्रदर्शन
करने वालों को भी विशेष अवसर प्रदान कर रहा है...इनके लिए अब रोजगार कोई मुद्दा
नहीं रहा... छात्र राजनीति
करने वालों को भी खूब फलने फूलने का मौका दे रहा है #CAA ...तभी तो छात्रों को आधार
बनाकर सियासी पार्टियां बहती गंगा में सिर्फ हाथ ही नहीं धो रही है बखूबी नहा भी
रही हैं....
#ट्रिपलतलाक,#धारा370 और #राममंदिर से लेकर नागरिकता संशोधन विधेयक तक... कांग्रेस कुछ भी ना
कर सकी और उसका मन कचोटता कर रह गया...उसके आंसू आंखों में आए तो जरुर लेकिन सत्ता
पर काबिज लोगों ने बहने तक नहीं दिया...क्योंकि जहां सत्ता पक्ष बहुमत में है और
जहां नहीं है (#लोकसभा, #राज्यसभा) दोनो जगहों पर वो विजयी रहे...संसद में तो कांग्रेस ताकती
रह गयी लेकिन दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली कर मोदी सरकार के खिलाफ जम कर
हल्ला बोला, लेकिन सब किये
कराए पर फिर एक बार राहुल गांधी ने वीर सावरकर पर बयान देकर पानी फेर दिया,सब चौपट
कर दिया...
खैर नागरिकता कानून पर मलाई काटने और सत्ता पाने की गुंजाइश
में सभी विपक्षी पार्टियां कूद पड़ी...इतना ही नहीं प.बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने
तो यहां तक कह दिया कि UN की देखरेख में
जनमत संग्रह हो...ऐसे में कांग्रेस के साथ सभी थके हुए विपक्षी पार्टियों को एक
मौका मिल गया कि वो NRC और CAA के खिलाफ हो रहे
विरोध प्रदर्शन को खूब हवा दें और भड़काएं...
अब बात सत्ता के एक पूराने साथी शिवसेना की…जिसने कभी भी नागरिकता कानून
का विरोध नहीं किया था... वो भी महाराष्ट्र में सत्ता की मलाई काटने के लिए
कांग्रेस को समर्थन दे दिया...शिवसेना को तो बीजेपी पर हमला करने के लिए बहाना
चाहिए था जो जामिया हिंसा ने दे दिया और उद्धव ठाकरे ने यहां तक कह दिया कि, 'जामिया में जो
हुआ, वो जलियांवाला
बाग जैसा है...'साथ ही कई आरोप शिवसेना ने
बीजेपी पर और लगा दिए...
वहीं प्रशांत किशोर को आधार बनाकर बिहार के सीएम नीतीश
कुमार ने बिहार में NRC लागू नहीं करने का भी शिगुफा छोड़ दिया...
ममता बनर्जी के लिए तो CAA और NRC किसी संजीवनी से कम नहीं
है क्योंकि उन्हें तो केंद्र सरकार के खिलाफ बोलने का मौका चाहिए...ममता दीदी ने
तो यहां तक कह दिया कि CAA के बाद NRC को वो पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगी भले ही उनकी
सरकार को बर्खास्त कर दिया जाये...मोमता दीदी ने तो एक रैली में यहां तक कह दिया
कि "अगर वो इसे लागू करेंगे तो ये सब मेरी लाश पर होगा...
वहीं कन्हैया कुमार भी बेगूसराय में हार के बाद मुद्दे की
तलाश में थे और CAA और NRC के रुप में एक अच्छा मुद्दा उन्हें भी अपनी
राजनीति चमकाने के लिए मिल गया...
कमोबेश पूरे देश में छात्रों को बखूबी भड़काया जा रहा है,सभी
शिक्षण संस्थानों में हंगामें के बीज बोये जा रहे हैं...
अब सवाल ये उठता है कि नागरिकता जैसे मसले को लेकर छात्र
क्यों आंदोलन कर रहे हैं।जबकि होना ये चाहिए था कि छात्र फीस को लेकर सुविधाओं को
लेकर आंदोलन करते और पढ़ाई पर ध्यान देते... क्योंकि इस प्रकार आंदोलन करने के लिए
तो पूरी उम्र पड़ी ही है...लेकिन जिन्हें समझाना चाहिए वो तो अपनी राजनीति चमकाने
के लिए छात्रों को मोहरा बना रहे हैं....
अंतत: कहना गलत नहीं
होगा कि ये जो भी हिंसा,विरोध प्रदर्शन देशभर में हो रहे है वो बिल्कुल भी #CAA_और_NRC का सिर्फ नहीं है...क्योंकि
विरोध करने वाले भी जानते है कि इस कानून(#CAA) से किसी भी भारतीय को तनिक भर भी फर्क पड़ने वाला नहीं है...हां विरोधियों को
संगठित होने का मौका जरुर मिल गया है। यकिन मानिए ये विरोध सत्ता पाने की उस कमीनी
जल्दबाज़ी, टीस, कुंठा और हार का परिणाम
है जो उन्हें पिछले 6 सालों से वर्तमान
सरकार लगातार देती आ रही है...।
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