Wednesday, 17 July 2019

जानिए सावन में कांवड़ का महत्व,कांवड़ यात्रा,कितने प्रकार के कांवड़ और क्या है कांवड़ के नियम



सावन में शिव भक्त कांवड़ यात्रा निकालते हैं।चारो तरफ बम-बम भोले की गूंज ही सुनाई देती है।आईए जानते हैं कितने प्रकार के होते हैं कांवड़-
1-सामान्य कांवड़
सामान्य कांवड़िये कांवड़ यात्रा के दौरान जहां चाहें वहीं रुककर आराम कर सकते हैं।आश्रम करने के लिए कई जगह पंडाल लगे होते हैं,जहां कांवडिये विश्राम करके आगे की यात्रा प्रारंभ कर सकते हैं।
2-डाक कांवड़
डाक कांवड़िया कांवड़ यात्रा की शुरुआत से शिव को जलाभिषेक तक बिना रुके लगातार चलते रहते हैं।उनके लिए अलग से रास्ता बनाया जाता है जिससे कि वो शिवलिंग तक बिना रुके चलते रहें।
3-खड़ी कांवड़
खड़ी कांवड़ उठाने वाले के साथ कोई न कोई सहयोगी जरुर चलता है।जब वो आराम करते हैं तो सहयोगी अपने कंधे पर उनकी कांवड़ को लेकर चलने के अंदाज में हिलाता रहता है।
4-दांडी कांवड़
नदी तट से लेकर शिवधाम तक की यात्रा दंड देते हुए पूरी करते हैं।दांड़ी कांवड़ में कांवड़ पथ की दूरी को अपने शरीर की लंबाई से लेटकर नापते हुए यात्रा पूरी की जाती है।ये सबसे मुश्किल यात्रा होती है इसमें एक महिने का वक्त लग जाता है।
कांवड़ के नियम
कांवड़ यात्रा करने वालों के लिए शुद्ध शाकाहार अनिवार्य है।कांवड़ को बिना स्नान के छू भी नहीं सकते।चमड़े का स्पर्श वर्जित है।वाहन,चारपाई का प्रयोग मना है।वृक्ष के नीचे कांवड़ नहीं रखना होता है।अपने सीर के उपर से कांवड़ ले जाना भी वर्जित है।
 कांवड़ यात्रा से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है
 सच्ची श्रद्धा से कांधे पर कांवड़ रखकर बोलबम का नारा लगाते हुए पैदल यात्रा करने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है।सभी पापों का अंत हो जाता है और जन्म मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है।शिवभक्त को मृत्यु के बाद शिवलोक की प्राप्ती होती है
।।ऊं नम:शिवाय।।



जानिए असाध्य रोग से मुक्ति पाने के लिए सावन में किससे करें शिव का अभिषेक




संदीप कुमार मिश्र- किसी लंबी बीमारी से परेशान व्यक्ति पर सावन के महीने में होगी महादेव कृपा।आईए जाने शारीरिक रोग या पीड़ा के हिसाब से भगवान शिव पर क्या करें अर्पित-
1-बार-बार बीमार होने पर
 सावन के महिने में भगवान शिव को कुशा अर्पित करें।कुशा को गंगा जल में मिलाकर शिवलिंग अर्पित करें और महादेव से अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।
2-संतान सुख की प्राप्ति के लिए
सावन माह में कच्चे दूध में बास के पत्ते को पीसकर मिलाएं और शिवलिंग का अभिषेक करें और भगवान शिव से संतान प्राप्ति की प्रार्थना और कामना करें।
3-टीबी रोग से मुक्ति पाने के लिए
टीबी के मरीज को शिव चतुर्दशी के दिन भगवान शिव का शहद से अभिषेक करें।ऐसा आप सावन के प्रत्येक सोमवार को भी करें।लाभ होगा।
4-नई-नई बीमारी होने पर
एक के बाद एक नई बीमारी होने पर आप शिवलिंग पर भांग और धतूरा अर्पित करें।
5-लंबे से बुखार होने पर
त्रयोदशी और चतुर्दशी तिथि पर शिव मंदिर में शिवलिंग जल चढ़ाएं।
6- पैसे की तंगी से मुक्ति के लिए
सावन में प्रतिदिन सुबह स्नान करके शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर शहर मिश्रित जल अर्पित करें।आय में वृद्धि और आर्थिक स्थिति बेहर होगी।
7- वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए
वैवाहिक जीवन में कलह और कष्ट से मुक्ति पाने के लिए महादेव पर शहद मिला हुआ जल अर्पित करें।संभव हो तो पति-पत्नी मिलकर शिवलिंग का अभिषेक करें।
8-परीक्षा में सफलता पाने के लिए
विद्यार्थियों को भगवान शिव का अभिषेक दूध मिश्रित मिश्री से करना चाहिए।भोलेनाथ हो जाएंगे प्रसन्न।
9-व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए
गन्ने के रस से भगवान शिव का करें अभिषेक।व्यापार में होगी तरक्की और महादेव की आप पर हो जाएगी कृपा।
नोट-ये सभी उपाय आप करते रहें और साथ ही डाक्टर से परामर्थ और सलाह लेकर दवाओऔं का सेवन निरंतर करते रहे।


Tuesday, 9 July 2019

सावन विशेष 2019: सावन में शुभ संयोग/जाने क्यों है विशेष इस बार सावन



संदीप कुमार मिश्र: इस बार सावन की शुरुआत 17 जुलाई 2019 से हो रही है।महादेव की कृपा पाने के लिए भक्त जप,तप,व्रत बड़े ही भक्ति भाव से करते हैं।सावन का पवित्र मास में त्योहारों की भी शुरुआत हो जाती है।कहते हैं कि सावन का पवित्र मास भगवान शिव की अराधना का पवित्र महिना है।जहां भी नजर जाती है बर कोई भगवान शिव की पूजा अर्चना में लीन नजर आता है।सावन में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा बड़े ही भक्ति भाव के साथ होती है ।

कहा जाता है कि सावन में जो भक्त माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा विधि विधान से करते हैं उन्हें महादेव की कृपा मिलती है।आपको बता दें कि सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को है।
सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। इस बार सावन का महिना अतिविशेष है क्योंकि इस बार सावन के 4 सोमवार होंगे। सावन का अंतिम दिन 15 अगस्त को है और इस दिन स्वतंत्रतता दिवस के साथ रक्षाबंधन भी है।

शुभ संयोग की बात करें तो इस बार सावन में-
पहला सोमवार- श्रावण कृष्ण पंचमी तिथि
दूसरा सोमवार- त्रयोदशी प्रदोष व्रत के साथ ही सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग
तीसरा सोमवार- नागपंचमी के शुभयोग      
चौथा सोमवार- त्रयोदशी तिथि के शुभ संयोग में मनाई जाएगी।
ये सभी तिथियां साधक को मनवांछित फल देने वाली हैं।इसलिए इसबार सावन में शिव की विशेष कृपा उनके भक्तों पर बनी रहेगी।ऊं नम: शिवाय।।




देवशयनी एकादशी विशेष: भगवान श्रीहरि के शयन में जाते ही रुक जाते हैं सभी शुभ मांगलिक कार्य



संदीप कुमार मिश्र: हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी जो कि 12 जुलाई 2019 से शुरु हो रही है।इसी समय भगवान विष्णु शयन में चले जाते हैं। जगत के पालनहार प्रभु श्रीहरि के शयन में जाने ही हिन्दू धर्म में सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है और पुन: भगवान 8 नवंबर को जागेंग जिसके बाद चार माह तक चतुर्मास की साधना शुरु होगी।
सनातन धर्म शास्त्रों में देवशयन एकादशी का महत्व
हिन्दू धर्म शास्त्रों में एकादशी को पदमा, नामा, देवशयन एकादशी के नाम से भी लोग जानते है।देवशयनी एकादशी को ईश वंदना का विशेष पर्व कहा गया है। इसकी विशेषता इसलिए भी ज्यादा होती है क्योंकि साधक चार माह की अवधि में एक स्थान पर साधना करते है।इस दौरान जप,तप,व्रत का महत्व बढ़ जाता है।इसबार 12 जुलाई 2019 से 8 नवंबर 2019 तक चतुर्मास रहेगा।ऐसा हमारे पंचाग बता रहे हैं।
देवशयनी एकादशी पर भगवान श्रीहरि के पूजन का विशेष महत्व
इस विशेष अवसर पर भगवान विष्णु के विग्रह का पंचामृत में स्नान कराना चाहिएऔर फिर धूप दीप दिखलाते हुए पूजन करना चाहिए।विद्वान ये भी कहते हैं कि साधक भगवान श्रीहरि के शयन स्थान पर बिस्तर बिछाएं और उसपर पीले रंग का रेशमी कपड़ा बिछाएं। ऐसा कहा जाता है कि इस अवधि में भगवान विष्णु पाताल में राजा बलि के यहां विश्राम करते हैं। चार माह बाद कार्तिक शुक्लपक्ष की एकादशी को प्रभु के जागने के बाद मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।
स्कंद पुराण में ऐसा वर्णित है कि भगवान  विष्णु के विश्राम करने की अवधि में माता लक्ष्मी और भगवान श्री हरि की आराधना की जाती है।इसलिए साधक को पूजन भजन अवश्य करना चाहिए।
इस अवधि में जाने क्या करें
इस विशेष अवसर पर साधक को  पृथ्वी पर सोना चाहिए और पूर्णरुपेण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए साथ ही   तेल,दूध और दही का त्याग करके   गुड़ शहद, नमक का सेवन करना चाहिए।भूलकर भी   शाक-चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।धर्म की जय हो।।