संदीप कुमार मिश्र : शक्ति की आराधना
पर्व है नवरात्र। जिस प्रकार वर्ष में दो बार मां के नवरात्र आते हैं उसी प्रकार हर
वर्ष दो बार गुप्त नवरात्र भी मनाए जाते हैं।आपको बता दें कि पहला आषाढ़ और दूसरा
माघ मास में शुक्ल पक्ष में गुप्त नवरात्र आते हैं। इस दौरान मां दुर्गा की आराधना
गुप्त रूप से की जाती है। गुप्त नवरात्र साधक को आध्यात्मिक बल देने वाला है। इन
नौ दिनों में दुर्गा सप्तशति का पाठ,विशेष अनुष्ठान के विधान हमारे धर्म शास्त्रों
में बताए गए हैं। कहते हैं कि जो भी साधक गुप्त नवरात्रों को पूरी तन्मयता से संपन्न
करता है उसकी सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
दरअसल इस दौरान मां बगुलामुखी की विशेष आराधना का विधान
बताया गया है।इसीलिए गुप्त नवरात्र को दस महाविद्याओं की उपासना का महापर्व कहा
जाता है।शास्त्रों में ऐसा वर्णन है कि गुप्त नवरात्र की साधना जितनी गोपनीय तरिके
से की जाती है उसका फल उतना ही ज्यादा मिलता है। रोग-दोष,कष्ट, क्लेश, मानसिक
शांति के समाधान के लिए गुप्त नवरात्र से बढ़कर कोई साधना और उपाय नहीं।
जानिए कब से शुरु हो रहे हैं गुप्त नवरात्र
काशी पंचांग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एक्कम तिथि के यानी
13 जुलाई 2018 को
गुप्त नवरात्र प्रारंभ होगा। इस बार पुष्य नक्षत्र के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग
भी नवरात्र में रहेगा।नवरात्र की शुरुआत पुष्य नक्षत्र और समापन 21 जुलाई को
सर्वार्थ सिद्धि योग यानी रवियोग को अमृत सिद्धि योग में होगा।
गुप्त नवरात्र
में पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय
सुबह 7.49 से 10.01 बजे तक
दिन 2.27 से 4.44 बजे तक
रात्रि 8.36 से 10.09 बजे तक
जानिए पूजा में क्या करें उपाय जिससे हो साधना पूरी
जो भी साधक सुख-संपन्नता के साथ जीवन व्यतित करना चाहता है उन्हें
नौ दिनों में दुर्गासप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए,समयाअभाव में सप्तश्लोकी
दुर्गापाठ प्रतिदिन करना चाहिए।नौ दिनो की साधना में सांसारिकता से( लोभ, क्रोध, मोह, काम-वासना) दूर
रहते हुए केवल देवी का ध्यान पूजन और वंदन करना चाहिए।अंत में अपने सामर्थ्य के
अनुसार दान और कन्याभोजन अवश्य करवाना चाहिए।
।।जय माता दी।।
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