Wednesday, 17 August 2022

Janmashtami 2022: जानिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी18 को है या 19 अगस्त को ? क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त,विधि और विधान

 


Janmashtami 2022: जानिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी18 को है या 19 अगस्त को ? क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त,विधि और विधान

Janmashtami 2022: ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर आस्थावान हिन्दू भाई बहनों में बड़ी उहापोह की स्थिति है इस बार।ऐसे में आईए जानते हैं कि वास्तव में धर्म पंचांग के अनुसार कब मनाया जाएगा योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव।जैसा कि हम सब जानते हैं भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र, हर्षण योग और वृषभ राशि में जब चंद्रमा था तब रात्रि 12 बजे भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।तभी से जनसामान्य श्रीकृष्ण कन्हैया का जन्मोत्सव जन्माष्टमी के रूप में बड़ी धूमधाम के साथ मनाता है। लेकिन इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर लोगों के बीच काफी भ्रम है। क्योंकि इस साल अष्टमी और नवमी के सुबह के समय जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा। ऐसे में चलिए जानते हैं जन्माष्टमी की सही तिथि और शुभ मुहूर्त-

क्या है जन्माष्टमी 2022 की सही तिथि ?

हिन्दू पंचांग के अनुसार, जन्माष्टमी इस बार 2 दिन मनाई जाएगी। पहली 18 अगस्त को होगी। अष्टमी तिथि की रात्रि को गृहस्थ जीवन जीने वाले लोग रखेंगे। वहीं शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में उदया तिथि को सार्वभौमिक माना गया है, इसलिए 19 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। वैष्णव संपद्राय भी 19 अगस्त को ही श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाएगा।

मंदिरों में कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी

मथुरा के मंदिरों में 19 अगस्त की रात को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।  इसके साथ ही द्वारिकाधीश मंदिर हो या बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी 19 अगस्त को ही मनाई जाएगी।

जन्माष्टमी  पर पूजा का शुभ समय

जन्माष्टमी की पूजा के लिए 18 अगस्त की रात 12 बजकर 20 मिनट से लेकर 1 बजकर 05 तक का समय सबसे शुभ माना जा रहा है। जिसके अनुसार पूजा की कुल अवधि 45 मिनट की होगी।

इस बार जन्माष्टमी पर बन रहा विशेष योग

इस वर्ष जन्माष्टमी के दिन वृद्धि योग लग रहा है। माना जाता है कि वृद्धि योग में पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही श्रीकृष्ण और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। वृद्धि योग 17 अगस्त रात 8 बजकर 57 मिनट से शुरू हो रहा है जो 18 अगस्त रात 8 बजकर 42 मिनट पर समाप्त हो रहा है।

जन्माष्टमी 2022 का शुभ मुहूर्त

तिथि- 18 अगस्त 2022, गुरुवार

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ- 18 अगस्त शाम 9 बजकर 21 मिनट से शुरू

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त- 19 अगस्त रात 10 बजकर 59 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त - 18 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक।

वृद्धि योग - 17 अगस्त दोपहर 8 बजकर 56 मिनट से 18 अगस्त रात 08 बजकर 41 मिनट तक

ध्रुव योग - 18 अगस्त रात 8 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्त रात 8 बजकर 59 मिनट तक

भरणी नक्षत्र - 17 अगस्त रात 09 बजकर 57 मिनट से 18 अगस्त रात 11 बजकर 35 मिनट तक

निशिथ पूजा मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 20 मिनट से 01:05 तक रहेगा

जन्माष्टमी पारण का शुभ मुहूर्त– 19 अगस्त को रात 10 बजकर 59 मिनट के बाद

राहुकाल - 18 अगस्त दोपहर 2 बजकर 06 मिनट से 3 बजकर 42 मिनट तक

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन स्त्री-पुरुष रात के बारह बजे तक व्रत रखते हैं। रात को बारह बजे शंख तथा घंटों की आवाज से श्रीकृष्ण के जन्म की खबर चहुंओर गूँज उठती है। बड़े भाव के साथ भगवान कृष्ण जी की आरती उतारी जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है।

।।आप सभी को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई।।

 

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Friday, 29 July 2022

भगवान शिव की कृपा पाने के लिए श्रावण माह में क्या करें ?

 




भगवान शिव की कृपा पाने के लिए श्रावण माह में क्या करें ?

भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सावन माह में ये जरुर करें-

1- पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर और शहद) चढ़ाने के लिए विशेष मंत्र-

कामधेनु समुद्भूतं सर्वेषां जीवनं परम्। पावनं यज्ञहेतुश्च पय: स्नानाय गृहृताम्।।

ऊँ शिवाय नम:। पय: स्नान समर्पयामि

इसके बाद अन्य शास्त्रोक्त पूजा सामग्रियों का चढ़ावा करें।

2- शीघ्र फल पाने के लिए-शिवलिंग के दक्षिण दिशा की ओर बैठकर यानी उत्तर दिशा की ओर मुंह कर पूजा और अभिषेक शीघ्र फल देने वाला माना गया है।

3. विवाह में अड़चन - नित्य शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध चढ़ाएं।

4. धन प्राप्ति – प्रतिदिन किसी नदी या तालाब जाकर आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं।

5. सुख-समृद्धि – नित्य नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं।

6. अन्न की कमी - नित्य गरीबों को भोजन कराएं।

7. मनोकामनाएं पूर्ति के लिए - 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊँ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं साथ ही एकमुखी रुद्राक्ष भी अर्पण करें।





8. शनि दोष - महामृत्युंजय मंत्र का पाठ भी करें, रुद्रावतार श्रीहनुमान जी की उपासना करें, सात प्रकार के अनाज का दान करना भी शनि कृपा का श्रेष्ठ उपाय है, शिव मंत्रों का पाठ भी शनि पीड़ा से रक्षा करता है। ऊँ कालकालाय नम:, “ऊँ नीललोहिताय नम:

केले या गाय के दूध से बनी मिठाई का भोग अर्पित कर धूप व घी का दीप लगाएं। इसके बाद शिव मंत्र का स्मरण करें –

शंकराय नमस्तुभ्यं नमस्ते करवीरक।

त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्वरमत: परम्।।

नमस्तेस्तु महादेव स्थावणे च तत: परम्।

नम: पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नम:।।

नमस्ते परमानन्द नम: सोमर्धधारिणे।

नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गत:।।

 शिव पूजा, मंत्र स्मरण के बाद आरती करें। शनिवार को श्री हनुमान के चरणों में जाकर काली उड़द चढ़ाएं। बालकृष्ण को केसर चंदन लगाकर माखन-मिश्री का भोग अर्पित करें और शनि की प्रसन्नता की कामना करें।

9. बिल्वपत्र न तोड़े - चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्राति (सूर्य का राशि बदल दूसरी राशि में प्रवेश), सोमवार, नए बिल्वपत्रों की जगह पर पुराने बिल्वपत्रों को जल से पवित्र कर शिव पर चढ़ाए जा सकते हैं।

10. लक्ष्मी प्राप्ति - पंचोपचार पूजा में चंदन, अक्षत के बाद तीन पत्ती वाले 11, 21, 51 या श्रद्धानुसार ज्यादा से ज्यादा बिल्वपत्र शिवलिंग पर इस मंत्र को बोलते हुए चढ़ाएं-

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं त्रयायुधम। त्रिजन्म पापसंहारं मेकबिल्वं शिवार्पणम।।

शिव मंत्र जप या स्तुति कर शिव आरती करें। खुशहाल, धनी और सेहतमंद रहने की कामना करें।

।।ऊँ नम: शिवाय।।

सादर

Sandeep Kumar Mishra


Friday, 15 July 2022

 


Sawan 2022 Parad Shivling: महादेव को प्रसन्न करते चाहते हैं तो सावन में करें  पारद शिवलिंग की पूजा, जानें चमत्कारी फायदे

Sawan 2022 Parad Shivling Puja: श्रावण माह में भोलेभंडारी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग की विधि विधान से पूजा करने के लिए शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहता है। ऐसे में श्रावण मास में पादर शिवलिंग की पूजा करने का बड़ा विशेष महत्व बताया गया है। शिव महापुराण और लिंगपुराण में पारद शिवलिंग का वर्णन मिलता है। शिव महापुराण में ऐसी चर्चा है कि सावन में पारद शिवलिंग की पूजा से सहस्त्र शिवलिंग की पूजा का फल  साधक को प्राप्त होता है। चलिए जानते हैं पारद शिवलिंग की पूजा के क्या फायदे और लाभ-

सावन में पारद शिवलिंग पूजा के फायदे:

शिव जल्द होंगे प्रसन्न

धर्म शास्त्रों,पुराणों के अनुसार शिवलिंग के मूल में ब्रह्मा,मध्य में भगवान विष्णु और ऊपर के भाग में भगवान शंकर विराजमान होते हैं। पारा एक धातु है जिसमें चांदी को मिलाकर पारद शिवलिंग का निर्माण किया जाता है।

पारद शिवलिंग पूजा से मिलती है पाप से मुक्ति

महादेव को पारा बहुत प्रिय है। यही वजह है श्रावण मास में पारद शिवलिंग की पूजा से शिव जी जल्द प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से सभी पाप कर्मों से मुक्ति मिल सकती है। पारद शिवलिंग की पूजा सिर्फ जल और पुष्प अर्पित कर करना चाहिए।

धन प्राप्ति के लिए करें पारद शिवलिंग की पूजा

जिस भी सनातनी मतावलंबी के घर में पारद शिवलिंग की पूजा होती है कहा जाता है कि वहां स्वंय भगवान शंकर का वास होता है।ब्रह्म पुराण के अनुसार सावन में रोजाना पारद शिवलिंग की पूजा से मोक्ष प्राप्त होता हैं। पारद शिवलिंग के घर में होने से मां लक्ष्मी और कुबेर देवता विराजमान होते हैं और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

सुरक्षा कवच

ग्रह शांति के लिए पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए । घर में पारद शिवलिंग के होने से बुरी शक्तियों आसपास नहीं भटकती। गलत मंशा से किए टोने-टोटके का असर खत्म हो जाता है।इतना ही नही अकाल मृत्यु का भय भी खत्म हो जात है।

पारद शिवलिंग पूजा से होगी सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि

धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि घर, ऑफिस या दुकान में रखने से नकारात्मक ऊर्जा, सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाती है। काम के प्रति एकाग्रता बढ़ती है। मन शांत और भाग्य चमकता है।

।।ऊँ नम: शिवाय।।

Wednesday, 11 May 2022

 


श्रीहरि भगवान विष्णु की उपासना का महाव्रत मोहिनी एकादशी व्रत कब है ? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त एवं पारण का समय

Mohini Ekadashi2022- श्रीहरि भगवान विष्णु का साधना आराधना का महाव्रत मोहिनी एकादशी व्रत वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। भगवान श्रीहरि विष्णु ने वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी स्वरूप धारण किया था, इसलिए इसे मोहिनी एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म में सभी व्रतों में एकादशी व्रत को विशेष मानते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरुप की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि इस व्रत को करने से समस्त दुख और पाप से मुक्ति मिलती है।कहा जाता है कि इस व्रत के कथा का पाठ करने मात्र से ही 1000 गायों के दान करने के बराबर पुण्य मिलता है।

जाने मोहिनी एकादशी 2022 तिथि

एकादशी तिथि का प्रारंभ 11 मई दिन बुधवार को शाम 07 बजकर 31 मिनट से

समापन तिथि- अगले दिन 12 मई को शाम 06 बजकर 52 मिनट तक ।

लेकिन उदयातिथि के आधार पर मोहिनी एकादशी व्रत 12 मई, दिन गुरुवार को रखा जाएगा।

मोहिनी एकादशी 2022 पूजा मुहूर्त

मोहिनी एकादशी के दिन गुरुवार है, जो भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है । इस दिन रवि योग सुबह 05 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होकर शाम 07 बजकर 30 मिनट तक है। आप मोहिनी एकादशी व्रत की पूजा प्रात:काल से ही कर सकते हैं। श्रीहरि की आप पर विशेष कृपा होगी।

मोहिनी एकादशी 2022 पारण समय

जिन लोगों को मोहिनी एकादशी व्रत का पारण 12 मई को करना है, वे लोग अगले दिन 13 मई शुक्रवार को सूर्योदय के बाद पारण कर सकते हैं। इस दिन पारण का समय सुबह 05 बजकर 32 मिनट से सुबह 08 बजकर 14 मिनट तक है। 13 मई को द्वादशी तिथि का समापन शाम को 05 बजकर 42 मिनट पर होगा।

मोहिनी एकादशी व्रत का महत्व

मोहिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को पाप और उसके कष्टों से मुक्ति मिलती है. भगवान विष्णु की कृपा से मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है. मोहिनी एकादशी व्रत कथा को सुनने मात्र से ही एक हजार गायों के दान करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

।।आप सभी को मोहिनी एकादशी की व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई।।

 

 

(फोटो सौजन्य गुगल)

Vat Savitri Vrat 2022: जाने कब है वट सावित्री व्रत ? क्या है, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि

Vat Savitri Vrat 2022 Date: सनातन हिन्दू धर्म में व्रत त्यार का विशेष महत्व होता है।सौभाग्यशाली महिलाओं का अपने पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला एक अतिविशेष व्रत है वट सावित्री व्रत। जो कि ज्येष्ठ मास में पड़ने वाला व्रत है । इस दिन सनातनी महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष के पास जाकर विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं। साथ ही वट वृक्ष की पूर्ण परिक्रमा करती हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि, ऐसा करने से पति परमेश्वर के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि,आरोग्य के साथ दीर्धायू की प्राप्ति होती है।

जाने वट सावित्री व्रत की तिथि-

वट सावित्री व्रत 30 मई 2022, दिन सोमवार को रखा जाएगा।

अमावस्या तिथि 29 मई को दोपहर 02 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ होगी

समापन-30 मई को शाम 05 बजे तक ।

वट सावित्री व्रत का महत्व-

धर्म शास्त्रों के अनुसार, वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। वहीं दूसरी कथा में ऐसा वर्णन मिलता है कि मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है। वट वृक्ष की पूजा से घर में सुख-शांति, धनलक्ष्मी का भी वास होता है।

वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री-

वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री में लाल कलावा, सुहाग का समान, कच्चा सूत, चना (भिगोया हुआ), बरगद का फल, सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, धूप, दीप, घी, बांस का पंखा, जल से भरा कलश आदि जरुरी होता है।

वट सावित्री व्रत की पूजा विधि-

वट सावित्री व्रत के दिन  प्रातःकाल घर को पवित्र करते हुए नित्य कर्म से निवृत होकर स्नान आदि करें। इसके बाद पवित्र जल का पूरे घर में छिड़काव करें।बांस की टोकरी में सप्त धान्य भरकर ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना करें।ब्रह्मा के वाम पार्श्व में सावित्री की मूर्ति स्थापित करें।इसी प्रकार दूसरी टोकरी में सत्यवान तथा सावित्री की मूर्तियों की स्थापना करें। इन टोकरियों को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रखें। इसके बाद ब्रह्मा तथा सावित्री का पूजन करें।अब सावित्री और सत्यवान की पूजा करते हुए बड़ की जड़ में पानी दें।पूजा में जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फूल तथा धूप का प्रयोग करें।जल से वटवृक्ष को सींचकर उसके तने के चारों ओर कच्चा धागा लपेटकर तीन बार परिक्रमा करें।बड़ के पत्तों के गहने पहनकर वट सावित्री की कथा सुनें।भीगे हुए चनों का बायना निकालकर, नकद रुपए रखकर अपनी सास के पैर छूकर उनका आशीष प्राप्त करें।यदि सास वहां न हो तो बायना बनाकर उन तक पहुंचाएं।पूजा समाप्ति पर ब्राह्मणों को वस्त्र तथा फल आदि वस्तुएं बांस के पात्र में रखकर दान करें।इस व्रत में सावित्री-सत्यवान की पुण्य कथा का श्रवण करना न भूलें। यह कथा पूजा करते समय दूसरों को भी सुनाएं।

।।आप सभी को वट सावित्री व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई।।

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Saturday, 29 January 2022

Basant Panchami 2022 Date, Puja Muhurat : कब है 2022 में बसंत पंचमी, क्या है पर्व की तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व

 


Basant Panchami 2022: सनातन हिन्दू संस्कृति में शीत ऋतु के बाद मधुमास यानी बसंत ऋतु का आगमन होता है। महाकवियों की लेखनी तो कहती है कि यह ऋतु बड़ी मस्त,बड़ी मनभावन होती है। क्योंकि शीत काल में प्रकृति का वो सबकुछ जो कड़क ठंड से नष्ट या सुशुप्तावस्था में हो गया था वो पुनः नवीन रूप में हर बार से और सुन्दर शक्तिवान और स्फूर्तिमय हो चारो दिशाओं के वातावरण को आच्छादित कर देता है अर्थात हमारे चारों ओर प्रकृति के नज़ारों में खुला आकाश और वृक्ष – पेड़ – पौधे लताएँ,बाग़- बगीचा ही दृश्यमान होतें है।

दरअसल माघ माह के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्‍योहार बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की आराधना,उपासना की जाती है। इसे श्री पंचमीऋषि पंचमीमदनोत्सववगीश्वरी जयंती और सरस्वती पूजा उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है और जीवन में उन्नति,तरक्की के नए द्वार खुल जाते हैं तथा ज्ञान की प्राप्ति व बुद्धि का विकास होता है।

विद्वानों का ऐसा मत है कि जिन जातकों के भाग्य में शिक्षा और बुद्धि का योग नहीं बन रहा हो या शिक्षा के मार्ग में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैंउन्हें इस दिन वीणा वादिनी मां सरस्वती की पूजा करना चाहिए। बसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है।

जाने कब है बसंत पंचमी 2022

हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पावन पर्व मनाया जाता है।

बसंत पंचमी तिथि मुहूर्त समय

पंचमी तिथि 05 फरवरी 2022

सुबह 3 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ

06 फरवरी को 03:46 AM पर समाप्त

पूजा का शुभ मुहुर्त 05 फरवरी

प्रात: 07: 07 मिनट से दोपहर 12:35 मिनट तक

बसंत पंचमी सरस्वती पूजा मंत्र

।।एमम्बितमें नदीतमे देवीतमे सरस्वति। अप्रशस्ता इवस्मसि प्रशस्तिमम्ब नस्कृधि ’।।

बसंत पंचमी पर क्या है पीले रंग का महत्व

बसंत पंचमी के दिन पीले रंग का खास महत्व है। वंसंत ऋतु के आरंभ से सरसो के खेत खिलखिला उठते हैं और पूरी धरती पीले रंग में रंगमय हो जाती है। साथ ही सूर्य के उत्तरायण के कारण भी इस दिन पीले रंग का महत्व बढ़ जाता है।

बसंत पंचमी का महत्व

सनातन हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। ऋतुओं के संधिकाल में ज्ञान और विज्ञान दोनों का वरदान प्राप्त करने के लिए आज के दिन मां सरस्वती की पूजा आराधना करनी चाहिए साथ ही बृहस्पति के दोष से मुक्त होने के लिए भी यह दिन बेहद खास होता है।

आपको बता दें शादी विवाहमुंडनगृह प्रवेश आदि शुभ कार्यों के लिए बसंत पंचमी का दिन बेहद खास होता है। इस दिन पीलेबसंती या सफेद वस्त्र धारण करेंकाले या लाल वस्त्र भूलकर भी ना पहनें। ऐसा कहा जाता है कि काले या लाल वस्त्र धारण करने से बृहस्पति और शुक्र कमजोर होता है।