संदीप कुमार मिश्र- देश का मुकुट
मणी है कश्मीर।अब जब संसद में 370 हटाने का प्रस्ताव देश को गृह मंत्री ने पेश कर
दिया और जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया और दोनो को केंद्र शासित प्रदेश
घोषित कर दिया।अब आगे क्या ? इससे क्या फायदा
होगा ?
दरअसल अब देश के अन्य हिस्सों से बाहरी लोग जम्मू कश्मीर
में काम-धंधा कर सकेंगे।अब तक जम्मू-कश्मीर में वोट का अधिकार सिर्फ वहां के स्थाई
नागरिकों को ही था लेकिन अब दूसरे राज्यों के लोग भी यहां वोट कर सकेंगे।इतना ही
नहीं 370 के हटने से चुनाव में उम्मीदवार भी बन सकते हैं।कहने का मतलब देश का कोई
भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है।अन्य राज्यों की तरह देश के
किसी भी हिस्से का आम भारतीय नागरिक कश्मीर में जमीन खरीद सकता है मतलब वहां बस
सकता है।
इसके इतर 370 हटने से देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर
में शिक्षा अध्ययन के लिए स्कॉलरशिप हासिल कर सकता है साथ ही सुप्रीम कोर्ट का
आदेश भी जो पहले जम्मू-कश्मीर में सीधे नहीं लागू होते थे वो अब लागू होंगे।साथ ही
भारत के किसी भी हिस्से,प्रदेश का नागरिक अब कश्मीर में स्थायी तौर पर रह सकता है, अचल संपत्ति खरीद
सकता है जो कि 35A की वजह से नहीं
हो पा रहा था।
अब जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बना दिया गया है।जम्मू
कश्मीर की विधानसभा अब दिल्ली जैसी विधानसभा होगी। यानि राज्य का हेड गवर्नर होगा।जिसका
प्रभाव होगा कि जम्मू कश्मीर की पुलिस सीएम के बजाए राज्यपाल को रिपोर्ट करेगी
यानि लॉ एंड ऑर्डर केंद्र के पास होगा।
आपको जानकर हैरानी होगी कि सूचना का अधिकार कानून अब तक जम्मू-कश्मीर
पर लागू नहीं था, लेकिन धारा 370 हटने के बाद RTI कानून लागू हो
जाएगा।जम्मू कश्मीर में अब तिरंगे का
अपमान करना अपराध होगा,जो कि पहले नहीं था।
370 रहने से पहले होता था कि यदि कोई कश्मीरी महिला
पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से शादी करती थी, तो उसके पति को भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी
यानी किसी भी पाकिस्तानी को आसानी से जम्मू में रहने का अधिकार मिल जाता था लेकिन
अब ये मुमकिन नहीं होगा।इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर की महिला यदि किसी दूसरे राज्य
के स्थायी नागरिक से शादी करती हैं तो उसकी और उसके बच्चों के लिए अब कश्मीरी
नागरिकता जैसे अड़चने भी नहीं होंगी और सूबे से दोहरी नागरिकता भी खत्म हो जाएगी।
जो भी कानून संसद से पारित होंगे वो अब सीधे जम्मू कश्मीर
में भी लागू होंगे।जो कि अब तक भारतीय
संसद के अधिकार जम्मू कश्मीर को लेकर सीमित थे।आपको बता दें कि अब तक विदेश,डिफेंस
और वित्तीय मामले को छोड़कर यदि भारतीय संसद कोई भी कानून बनाती थी तो वो वह
जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होता था।इस प्रकार के कानून को लागू कराने का प्रावधान
पहले था कि संसद द्वारा पारित कानून को जम्मू-कश्मीर राज्य की विधानसभा में पास
होना जरूरी होता था। इस प्रकार के उल जूलूल अधिकार राज्य को 370 के तहत ही मिले
हुए थे जो कि अब खत्म हो गये हैं।
370 हटने से अब भारतीय संविधान के अनुसार अल्पसंख्यकों को
आरक्षण मिलेगा।पहले कश्मीर में
अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों को 16 फीसदी आरक्षण नहीं मिलता था, लेकिन धारा 370
हटने के बाद से लाभ भी मिलना शुरू हो जाएगा।शिक्षा का अधिकार और CAG का कानून भी लागू
नहीं था जो अब तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा।अंतत: राज्य की
विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का होगा, जो पहले छह साल का था।यानि कि अब एक देश, एक संविधान, एक कानून और एक
विधान.....
मोदी सरकार का अपने वादे पर बढ़ता एक और महत्वपूर्ण कदम....
यानी कि सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास....
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